The Shoreline'14 April, 2014 | Page 79

महान् संगीतकार दिव्यसानु द्वितीय वर्ष जन्पद अभियन्त्रिकि के छात्र हैं । हिन्दी तथा संस्कृत में लेखन के अतिरिक्त दिव्यासानु की राजनीति तथा संगीत में भी विशेष रूचि है । मत्स्वामी दीक्षितर ु तु -दिव्यसानु पाण्डेयः मत्तुस्वामी दीक्षित की रचनायें तो सन्दर बातों की ऐसी मणियां हैं जो कि उनके द्वारा ु ु समनोहर राग रूपी स्वर्ण में उपनिबद्ध होकर किसी हार जैसी सशोभित होती हैं । उनमें गेयता है, ु ु निश्चित ताल और राग हैं तथा भाषा में अलंकारों से चमत्कार भी उत्पन्न किया गया है । उदाहरण के लिये उनकी अधोलिखित कृ ति ‘मामव पट्टाभिराम’ जो कि मणिरंग राग में सगीतबद्ध हैं मामव पट्टाभिराम - राग मणिरङ् ग मामव पट्टाभिराम जय मारुति-सन्नुतनाम राम कोमलतरपल्लवपद कोदण्डराम घनश्यामलविग्रहाब्जनयन सपूर्णकाम रघुराम कल्याणराम राम ं भा रत में संगीत की एक प्राचीन परम्परा रही है । मख्यतः भारत के संगीत को हिन्दुस्तानी ु और कर्णाटक श्रेणियों में बांटा जा सकता है । हिन्दुस्तानी संगीत उत्तर भारत में प्रचलित है ,वहीं कर्णाटक संगीत का दक्षिण भारत में प्