The Progress Of Jharkhand #46 | Page 9

था । 1922 ई० में बर्लिन से ‘द िीजेंि ऑफ़ इंप्रियन इंप्रिपेंि स ’ नामक समाचार पत्र भी प्रनकािा था । इन्ह भारत में ‘कम्युप्रनस्ट पाटी’ की स्थापना का सृजक भी माना जाता है । ऐसे ही एक नाम शचीन्ानाथ सान्याि का भी नाम क्ल्न्तकारी आंदोिनों में सप्रक्य रहने वािे नई पीढ़ी के िप्रतप्रनप्रध में िदे श के बनारस में हुआ था । बनारस की प्रमट्टी में जन्मे शचीन्ानाथ ने 1908 में पन्ाह वषफ की आयु में काशी में ‘अनुशीिन सप्रमप्रत ’ की स्थापना की थी । वषफ 1923 में उनके िारा स्थाप्रपत ‘प्रहन्दुस्तान िरपल्ब्िकन एसोप्रसएशन’ को ही भगत चसह एवं अन्य साप्रथयों ने ‘प्रहन्दुस्तान समाजवादी िजातांप्रत्रक संघ ’ के रूप में प्रवकप्रसत प्रकया था । शचीन्ानाथ के क्ांप्रतकारी जीवन ने दे श के लिए अपन साप्रथयों को िेिरत प्रकया था और स्वतंत्रता के िक्ष्य के साथ सम्पूणफ एलशया के महासंघ बनाने की पिरककपना दी थी । उन्हें जीवनकाि में दो बार कािे पानी की सजा हुई थी। शचीन्रना सान्याल भारतीय स्वतंत्रता और क्ांप्रत का यह वैसा दौर था जब घर की मप्रहिायें भी पुरे जोश एवं साहस के सत्य अंग्रेजो से अपने दे श की स्वतंत्रता के लिए संघषफ करने प्रनकि पड़ी थी । क्या गाँव और क्या शहर बस जोश या तो प्रसर्फ इस बात का की वे अपना जीवन भारत माता की पूणफ स्वतंत्रता में न्योछावर कर दे । हमार दे श में ऐसी ही कई वीरांगनाएँ हुई लजनका एक ही िक्ष्य था प्रक वे भारत माता को परतंत्रता की बेप्रड़यों स आज़ाद करे । ऐसी ही एक वीरांगना थी रानी चेन्नमा लजनका जन्म 23 अक्टूबर 1778 ई० में कनाफटक के प्रकत्तूर लजिे में हुआ था । दल्क्षण भारत में जन्मी रानी चेन्नमा ने रानी िक्ष्मीबाई के पहिे ही अंग्रेजो की सत्ता को चुनौती दी थी और अंग्रेजो को उनके सामने दो बार हार का सामना करना पड़ा या संस्कृत, कन्नड़, मराठी और उदूफ भाषा के ज्ञात रानी ने घुड़सवारी, अस्त्र शस्त्र चिाने और युद्धकिा की लशक्षा पाई थी । क्ांप्रतकारी मप्रहिाओं में एक नाम अंजना दे वी चौधरी का नाम है जो स्वतंत्रता सैनानी राम नारायण चौधरी की धमफपत्नी थी । वे िथम कांग्र स ी मप्रहिा थी ; लजन्होंने सापंती अत्याचारों के प्रवरोध प्रवाोह प्रकया रानी चेनम्मा था । उन्होंने 1921 से 1924 ई0 तक मेवाड़ तथा बूंदी की मप्रहिाओं को जागृत कर समाज सुधार एव सत्याग्रह में लिए िेिरत प्रकया था । उन्होंने प्रबजोलिया में 500 मप्रहिाओं में जुिूस का नेतृत्व करते हुए प्रगरफ्तारी दी थी तथा प्रगरफ्तार प्रकये गये प्रकसानों को िरहा करवाया था । उन्होंने स्वतंत्र ता संग्राम में अपन पप्रत के कंधे से कंधा प्रमिाकर साथ प्रदया था । एक और नाम सुशीि दीदी से िप्रसद्ध क्ांप्रतकारी मप्रहिा का भी लिया जाता है , लजन्होंने काकोरी काण्ि के कैप्रदयों के मुकदमे की पैरवी के लिए अपनी स्वगीय माँ िारा शादी के लिए रखे जेवरों को दान दे दान दे प्रदया था । और प्रसर्फ यहीं नहीं, बल्कक क्ांप्रतकािरयों का केस िड़ने के लिए उन्होंने 'मेवाड़पप्रत ' नामक नाटक खेिकर चंदा इकठ्ठा प्रकया था । सन्न 1930 के सप्रवनय अवज्ञा आंदोिन में 'इंद म ती' के छघ नान से सुशीिा दीदी ने भाग लिया और प्रगरफ्तार हुयीं थी । मदाफने वेष में उन्होंने स्वतंत्रता आंदोिन में भाग लिया और बाि गंगाधर प्रतिक के गरम दि में शाप्रमि होने पर प्रगरफ्तार दुर्ाषवती देवी हुईं थी । इसके अिावा मप्रहिा मताप्रधकार को िेकर 1917 में सरोलजनी नायिू के नेतृत्व में वायसराय स प्रमिने गये िप्रतप्रनप्रध मंिि में वे भी शाप्रमि थी । क्ांप्रतकारी मप्रहिाएं में दुगाफवती दे वी का नाम मूिरूप स भगत चसह की क्ांप्रतकारी गप्रतप्रवप्रधयों में सहायक के तौर पर लिया जाता है । उनका जन्म 7 अक्टू बर 1907 ई0 को इिाहाबाद में हुआ था । इन्होंने वेश बदिकर 18 प्रदसंबर 1928 को भगत चसह के साथ किकत्ता मेि से यात्रा की थी । चंाशेखर आज़ाद के अनुरोध पर 'प्रद प्रर्िॉसर्ी ऑर् बम' दस्तावेज़ तैयार करने वाि क्ांप्रतकारी भगवती चरण बोहरा की पत्नी दुगाफवती बोहरा तमाम क्ांप्रतकािरयों के बीच दुगाफ भाभी के नाम स िप्रसद्ध थीं । सन्न 1927 में िािा िाजपत राय की मौत का बदिा िेने के लिए िाहौर में बुिायी बैठक की अधयक्षता दुगाफ भाभी ने ही की थी । उस समय बम्बई के गवनफर जनरि हेिी को मारने की योजना में गोिी दुगाफ भाभी ने ही चिाई थी, परंतु दुभाफग्यवश हेिर नामक एक अंग्रेज घायि हो गया था । कनकलता बरुआ क्ांप्रत के उस दौर में उम्र की नहीं, बल्कक जज़्बे और हौसिे बुि द थे। भागेश्वरी दे वी र्ुकन एक क्ांप्रतकारी मप्रहिा का जन्म सन्न 1872 में हुआ था, लजन्होंने 70 वषफ की वृद्धावस्था में 1942 ई0 के भारत छोड़ो आंदोिन के समय असम में नौगांव लजिे के बेहरामपुर कस्बे में अंग्रेजो के प्रवरोध नेत त् ृ व कर प्रमसाि कायम की थी । उन्होंने घर की चहारदीवारी से प्रनकि कस्बे की मप्रहिाओं को िोत्साप्रहत प्रकया था । 13 प्रसतंबर को प्रवजयादशमी के प्रदन एकप्रत्रत भीड़ पर पुलिस दि ने जब िाप्रठयां बरसानी शुरू की थी तब यह समाचार सुनत द प्रोग्रेस ऑफ़ झारखण्ड (माससक) । 9