The Progress Of Jharkhand #46 | Page 8

हमारी जन्मभूतम स्वतंत्रता  रल्श्म पाठक ह मने इस वषफ भारतीय स्वतंत्रता का 73वां प्रदवस मनाया जो वास्तव में स्वतंत्रता की उस पिरप्रध का सूचक है जो प्रकतने ही संघष और बलिदानों से िाप्त हो पाया है । 15 अगस्त 1947 को 12 बजकर 2 प्रमनट का वह समय जब भारत को पूणफत: सम्िभु और िोकतांप्रत्रक राष्ट्र घोप्रषत प्रकया गया था, तब प्रकन भावनाओं का संचार हर भारतीय के मन में हुआ होगा इसकी हम प्रसर्फ पिरककपना कर सकते है । वतफमान समय में चंद मौजूदा स्वतंत्रता सेनाप्रनयों, क्ांप्रतकािरयों से अगर पूछा जाये प्रक वे तब क्या अनुभव कर रहे थे , उनका जवाब शब्द नहीं बल्कक, अश्रुप ि ु रत आंखों की चमक आज भी प्रदखाई दे जायेगी तब वह समय रहा होगा जब स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा मात्र से पूरा वातावरण प्रकसी जीत के माधयम जैसा होगा । स्वतंत्रता रुपी संग्राम में न जाने प्रकतने िोगों ने अपनी कुबाफनी दी थी, लजसमे न प्रसर्फ पुरषों ने बल्कक मप्रहिाओं और उन बच्चों का भी योगदान था लजन्हें स्वतंत्रता के अथफ को बखूबी जान लिया था । प्रकसी आंधी की तरह हर भारतीय के मन में स्वतंत्र भारत की पिरककपना का जन्म हो चुका था । आज हम कुछ बहुत ही महत्वपूणफ स्वतंत्रता सेनाप्रनयों, क्ांप्रतकािरयों से पिरप्रचत है , िेप्रकन कुछ ऐसे भी क्ल्न्तकारी, दे शभक्त हुए लजनकी कुबाफनी और कायफ बहुत ही महत्वपूणफ रहे । न जाने प्रकतने ही नाम ऐसे है , लजनका योगदान देश की स्वतंत्रता में मीि के पत्थर जैसी भूप्रम का प्रनभा गयी । ऐसे ही कुछ क्ांप्रतकािरयों, दे श भक्तों में एक नाम ऊधम चसह का भी आता है , जो आजादी की िड़ाई में अहम योगदान करने वािे महान क्ांप्रतकारी थे । उनका जनम 21 प्रदसंबर 1899 को पंजाब के सुनाम गांव में हुआ था, लजन्होंने 13 अिैि 1919 को पंजाब में ‘जलियांवािा बाग हत्याकाण्ि’ के उत्तरदायी माइकि ओ िायर की हत्या िंदन में जाकर की थी और उन तमाम प्रनदोष भारतीयों की मौत का बदिा लिया था । सवफ धमफ समभाव के ितीक ऊधम ऊधम ब्स ह ां चसह ने अपना नाम राम मोहम्म्द आजाद चसह रखा था । उनकी मौत प्रब्रटेन के पेटनप्रविे जेि में र्ांसी से हुई थी । वे एक महान शूरवीर थे और एक सच्चे भारतीय जो इप्रतहास के पन्नों में वीर शहीद के नाम से पुकारे जात हैं । ऐसे ही क्ल्न्तकारी एवं समाज सुधारक हुए लजनमे एक नाम इन्ानारायण प्रिवेदी का आता है जो 20सवीं सदी के महत्वपूणफ समाज सुधारको में आते थे । पल्ण्ित मदन मोहन मािवीय के लशष्ट्य इन्ानारायण प्रिवेदी न कृषक आंदोिन से जुड़ने के बाद र्रवरी 1918 ई० में संय क्त िांत प्रकसान सभा की स्थापना इिाहबाद म होमरूि िीग के च्चवन से प्रकया था । अंग्रेजो के अत्याचार और कर वसूिी से पीप्रड़त प्रकसानों के लिए उन्होंन संघषफरत होकर सहायता की थी । वतफमान शताब्दी के क्ांप्रतकारी एवं समाज सुधारकों में एक नाम पप्रिम बंगाि के मानवेन्ा नाथ राय का भी आता है जो एक महान प्रवचारक एवं मानवतावाद के िबि समथफक थे । वे संगठनों को प्रवदे शों से धन एवं हप्रथयारों की तस्करी में सहयोग दे ते थे , लजन्हें 1912 ई० में हावड़ा षड्यंत्र केस में प्रगरफ्तार भी प्रकया गया 8 । The Progress of Jharkhand (Monthly) मानवेन्र ना राय