The Progress Of Jharkhand #46 | Page 26

संघष अंग्रेजों के चालबाजी से शहीद हुई थीं रानी लक्ष्मीबाई अ ग्रेज़ों की तरफ़ से कैप्टन रॉप्रिक प्रब्रग्स पहिा शख़्स था लजसन रानी िक्ष्मीबाई को अपनी आँखों से िि ाई के मैदान म िि ते हुए देखा. उन्होंने घोि े की रस्सी अपन दाँतों से दबाई हुई थी. वो दोनों हाथों स तिवार चिा रही थीं और एक साथ दोनों तरफ़ वार कर रही थीं. उनसे पहिे एक और अंग्रेज़ जॉन िैंग को रानी िक्ष्मीबाई को नज़दीक स दे खने का मौका प्रमिा था, िेप्रकन िि ाई के मैदान में नहीं, उनकी हवेिी में. जब दामोदर के गोद लिए जाने को अंग्र ज़ ों ने अवैध घोप्रषत कर प्रदया तो रानी िक्ष्मीबाई को ंाँसी का अपना महि छोि ना पि ा था. उन्होंने एक तीन मंलज़ि की साधारण सी हवेिी 'रानी महि' में शरण िी थी. रानी ने वकीि जॉन िैंग की सेवाए िीं लजसने हाि ही में प्रब्रप्रटश सरकार के ल्खिाफ़ एक केस जीता था. िैंग का जन्म ऑस्ीेलिया में हुआ था और वो मेरठ में एक अख़बार, 'मुफ़ुस्सिाइट' प्रनकािा करते थे. िैंग अच्चछी ख़ासी फ़ारसी और चहदुस्तानी बोि िेते थ और ईस्ट इंप्रिया कंपनी का िशासन उन्ह पसंद नहीं करता था क्योंप्रक वो हमेशा उन्ह घेरने की कोलशश प्रकया करते थे. बहरहाि कैप्टन रॉप्रिक प्रब्रग्स न तय प्रकया प्रक वो ख़ुद आगे जा कर रानी पर वार करने की कोलशश करेंगे. िेप्रकन जब- जब वो ऐसा करना चाहते थे , रानी के घुि सवार उन्हें घेर कर उन पर हमिा कर देत थे. उनकी पूरी कोलशश थी प्रक वो उनका धयान भंग कर दें . कुछ िोगों को घायि  गौरव कुमार (संकिन) करने और मारने के बाद रॉप्रिक ने अपने घोि े को एि िगाई और रानी की तरफ़ बढ चि थे. उसी समय अचानक रॉप्रिक के पीछे से जनरि रोज़ की अत्यंत प्रनपुण ऊँट की टुकि ी ने एंीी िी. इस टुकि ी को रोज़ ने िरज़वफ में रख रखा था. इसका इस्तेमाि वो जवाबी हमिा करने के लिए करने वािे थे. इस टुकि ी के अचानक िि ाई में कूदने से प्रब्रप्रटश खेमे में प्रर्र से जान आ गई. रानी इसे फ़ौरन भाँप गईं. उनके सैप्रनक मैदान से भागे नहीं, िेप्रकन धीरे - धीरे उनकी संख्या कम होनी शुरू हो गई. उस िि ाई में भाग िे रहे जॉन हेनरी प्रसिवेस्टर ने अपनी प्रकताब 'िरकिेक् शंस ऑफ़ द कैंपेन इन मािवा एंि सेंीि इंप्रिया' में लिखा, "अचानक रानी ज़ोर से प्रचल्लाई, 'मेरे पीछे आओ.' पंाह घुि सवारों का एक जत्था उनके पीछे हो लिया. वो िि ाई के मैदान से इतनी तेज़ी से हटीं प्रक अंग्रेज़ सैप्रनकों को इसे समं पाने में कुछ सेकेंि िग गए. अचानक रॉप्रिक ने अपने साप्रथयों से प्रचल्ला कर कहा, 'दै ट्स प्रद रानी ऑफ़ ंाँसी, कैच हर.'" रानी और उनके साप्रथयों ने भी एक मीि ही का सफ़र तय प्रकया था प्रक कैप्टेन प्रब्रग्स के घुि सवार उनके ठीक पीछे आ पहुंच . े जगह थी कोटा की सराय. िि ाई नए प्रसरे से शुरू हुई. रानी के एक सैप्रनक के मुकाबिे में औसतन दो प्रब्रप्रटश सैप्रनक िि रहे थे. अचानक रानी को अपने बायें सीने में हकका-सा ददफ महसूस हुआ, जैसे प्रकसी सांप ने उन्हें काट लिया हो. एक अंग्रेज़ सैप्रनक ने लजसे वो देख नहीं पाईं थीं, उनके सीने में संगीन भोंक दी थी. वो तेज़ी से मुि ीं और अपने ऊपर हमिा करने वािे पर पूरी ताकत से तिवार िेकर टू ट पि ीं. रानी को िगी चोट बहुत गहरी नहीं थी, िेप्रकन उसमें बहुत तेज़ी से ख़ून प्रनकि रहा था. अचानक घोि े पर दौि ते - दौि ते उनके सामने एक छोटा-सा पानी का ंरना आ गया. उन्होंने सोचा वो घोि े की एक छिांग िगाएंगी और घोि ा ंरने के पार हो जाएगा. तब उनको कोई भी नहीं पकि सकेगा. उन्होंने घोि े में एि िगाई, िेप्रकन वो घोि ा छिाँग िगाने के बजाए इतनी तेज़ी से रुका प्रक वो ़िरीब ़िरीब उसकी गदफ न के ऊपर िटक गईं. उन्होंने प्रर्र एि िगाई, िेप्रकन घोि े ने एक इंच भी आगे बढ ने से इंकार कर प्रदया. तभी उन्हें िगा प्रक उनकी कमर में बाई तरफ़ प्रकसी ने बहुत तेज़ी से वार हुआ है . उनको राइफ़ि की एक गोिी िगी थी. रानी के बांए हाथ की तिवार छू ट कर ज़मीन पर प्रगर गई. उन्होंने उस हाथ से अपनी कमर से प्रनकिने वािे ख़ून को दबा कर रोकने की कोलशश की. 26 । The Progress of Jharkhand (Monthly)