गौरव
झंडा ऊँचा रहे हमारा
सुनीता चसह गग
य
ववश्व ववजयी वतरंगा प्यारा... झंडा ऊँ चा रहे हमारा...
ह गीत भारत का हर बच्चा चक् के नाम से जानते हैं। इस ितीक को सारनाथ में अशोक महान के स्तंभ से लिया गया
आल्ख़र क्या बात है इस धवज म से जुि ा हुआ है। हर प्रतरंगे में अशोक चक् श्वेत रंग के तीन चौथाई भाग में ही होना चाप्रहए।
गुनगुनाता है.. बि े ही शान से।
लजसने आज़ादी के परवानों में एक नया
जोश भर प्रदया था और जो आज भी हर
भारतीय को अपने गिरमामय इप्रतहास की
है। प्रतरंगे की बनावट पर हमारे दे श में काफ़ी धयान प्रदया जाता है क्यों प्रक ये हमारे सम्मान
राष्ट्रीय धवज खादी के कपि े का होना चाप्रहए। आज जो धवज हमारे दे श की पहचान है उस
इस रूप में ढािने वािे थे चपगिी वेंकैया।
प्रतरंगे में इन रंगो की क्या महत्ता है ये जानना बहुत ज़रूरी है। केसिरया यानी
याद प्रदिाता है और प्रवलभन्नता में एकता भगवा रंग वैराग्य का रंग है। हमारे आज़ादी के दीवानों ने इस रंग को सबसे पहिे अपन
हर स्वतंत्रता प्रदवस और गणतंत्र प्रदवस पर कर दे श के प्रवकास में खुद को समर्षपत कर दें । जैसे भप्रक्त में साधु वैराग िे मोह माया से हट
वािे इस दे श को एक सूत्र में बाँधे हुए है।
िाि प्ऱििे की िाचीर पर राष्ट्रीय धवज को
बि े ही आदर और सम्मान के साथ र्हराया
जाता है। दे श के िथम नागिरक से िेकर
आम नागिरक तक इसे सिामी दे ता है। 21
धवज में इसलिए सल्म्मलित प्रकया लजससे आने वािे प्रदनों में दे श के नेता अपना िाभ छोि
भप्रक्त का मागफ अपनाते हैं। श्वेत रंग िकाश और शांप्रत के ितीक के रूप में लिया गया। हरा
रंग िकृप्रत से संब ध
और संपन्नता दशाफता है , और केंा में ल्स्थत अशोक चक् धमफ के 24
प्रनयमों की याद प्रदिाता है।
हमारे राष्ट्रीय धवज का इप्रतहास भी बहुत रोचक है। २०वी सदी में जब हमारा देश
तोपों की सिामी से सेना इसका सम्मान प्रब्रप्रटश सरकार की गुिामी से मुप्रक्त पाने के लिए संघषफ कर रहा था, तब स्वतंत्रता सेनाप्रनयों
की पहचान होता है। प्रतरंगा हम भारतीयों रहा है। सन 1904 में प्रववेकानंद की लशष्ट्या प्रसस्टर प्रनवेप्रदता ने पहिी बार एक धवज
करती है। प्रकसी भी दे श का ंंिा उस देश
की पहचान है। राष्ट्रीय ंंिे ने पहिी बार
आज़ादी की घोषणा के कुछ ही प्रदन पहि
22 जुिाई 1947 को पहिी बार अपना वो
रंग रूप पाया जो आज तक कायम है।
हमारा राष्ट्रीय धवज तीन रंगों से बना ह
इसलिए हम इसे प्रतरंगा भी कहते हैं। सबस
ऊपर केसिरया रंग प्रर्र सफ़ेद और सबस
नीचे हरा। बीच में गहरे नीिे रंग का चक्
बना है लजसमें २४ चक् हैं लजसे हम अशोक
को एक धवज की ज़रूरत महसूस हुई क्यों प्रक धवज स्वतंत्रता की अलभव्यप्रक्त का ितीक
बनाया लजसे बाद में प्रसस्टर प्रनवेप्रदता धवज से जाना गया। यह धवज िाि और पीिे रंग स
बना था। पहिी बार तीन रंग वािा धवज सन 1906 में बंगाि के बँटवारे के प्रवरोध म
प्रनकािे गए जिूस में शचीन्ा कुमार बोस िाए। इस धवज में सबसे उपर केसिरया रंग , बीच
में पीिा और सबसे नीचे हरे रंग का उपयोग प्रकया गया था। केसिरया रंग पर 8 अधल्खि
कमि के र्ूि सफ़ेद रंग में थे। नीचे हरे रंग पर एक सूयफ और चंामा बना था। बीच में पीि
रंग पर चहदी में वंदेमातरम लिखा था।
सन 1908 में मैिम भीकाजी कामा ने जमफनी में प्रतरंगा ंंिा िहराया और इस प्रतरंगे म
सबसे ऊपर हरा रंग था, बीच में केसिरया, सबसे नीचे िाि रंग था। इस ंंिे में धार्षमक
एकता को दशाफते हुए हरा रंग इस्िाम के लिए और केसिरया चहदू और सफ़ेद ईसाई व बौद्ध
द प्रोग्रेस ऑफ़ झारखण्ड (माससक) । 17