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GLOBAL PUBLIC SCHOOL 2021
व्क्तित्व
‘ व्जकततव ‘ अंग्ेजी के पस्सनेलटी ( Personality ) का प्ा्स् है । पस्सनेलटी शबि की उतपजतत ्ूनानी भाषा के ‘ पससोना ‘ शबि से हुई है , जजसका अ््स है ‘ मुखौटा ( Mask )’।
हर व्जकत अलग है , ्ह ्बात हम स्ब जानते हैं । हर इंसान का चररत्र , चलने और ्बात करने का तरीका , प्रनतभा अलग है । जो चीज लोगों को एक- िूसरे से अलग करती है । वह है उसका व्जकततव । व्जकततव एक व्जकत के समसत मानलसक एवं शारीररक गुणों का ऐसा गनतशील संगठन है , जो वातावरण के सा् उस व्जकत का सामनजस् स्ावपत करता है । ्द्वप व्जकततव में जलिी से पररवत्सन नहीं होता ककं तु ्बुरी आितों को ्बिलना और अच्छी आितों को अपनाना जरूरी है ।
व्जकततव ववकास के ललए ्ह ्बहुत आवश्क है कक आपके अंिर ककता्बी ज्ान ना होकर व्वहाररक ज्ान हो । अच्छी पुसतकें पढ़ना , सकारातमक ववचार रखना , सिैव सच ्बोलना और समृद्ध भाषा हमारे व्जकततव को चार चाँि लगा सकती है
- धचनम्ी मनोज 10 - A
घर-ववद्ाल् का वातावरण भी व्जकततव को प्रभाववत करता है । कई ्बार माता-वपता अपने ्बचचों की प्रनतभाओं को ्बढ़ाने की कोलशश नहीं करते हैं । वे चाहते हैं कक उनके ्बचचे लसफ्स पढ़ाई करें और ्बड़े होकर ककसी ऊँ चे पि ्ा पैसे कमाने वाले व्वसा् को अपनाएँ । उनके ्बचचे क्ा करना चाहते हैं ्ह वह सोच ही नहीं पाते । भारत में आज भी सामाजजक सवीका््सता को लोग अधिक महतव िेते हैं । इसललए ्दि ्बचचा लीक से हट कर कु ् अलग करना चाहे तो ि्बाव में आकर उसे अपने व्जकततव को भुलाकर अन् का््स करना पड़ता है ।
इस त्ाग से वह ्बचचा कभी खुश नहीं रह पाएगा । माता-वपता अपने ्बचचों की अच्छी जजंिगी तो चाहते हैं लेककन इसके ललए वे सामाजजक िारणा से ्ोड़ा अलग रासता लेने के ललए तै्ार नहीं है । ्ह अत्ंत संकु धचत सोच है । अगर हमें आगे ्बढ़ना है तो रूदढ़वािी सोच को फें क कर िूसरों के व्जकततव को सवीकारना चादहए ।
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