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- कृ षणा रेनजज् 10 B
सच्या सुख :
कहयानी
GLOBAL PUBLIC SCHOOL 2021
शाम को मैं , राखी और ऐ्बल खेलने के ्बाि घर लौट रहे ्े । दिन भर की खेल- कू ि के ्बाि हमारे कं िे और घुटने िुःख रहे ्े । हम ऐ्बल के घर पहुँचने ही वाले ्े ज्ब हमने ककसी आिमी की चीख सुनी । हम एक िूसरे को िेखने लगे ।
“ तुमने वो आवाज़ सुनी क्ा ?” राखी ने मुझसे पू्ा । मैंने अपना लसर दहला्ा ।
“ चलो िेखते है । शा्ि कोई धगर ग्ा होगा । हम उनकी मिि कर सकते है । “ ऐ्बल ने कहा ।
हम स्ब उस दिशा में चल पड़े जजिर से आवाज़ आ रही ्ी ।
कु ् िेर चलने के ्बाि हमने एक ्बूढ़े आिमी को िेखा । उसका शरीर खून से ल्प् ्ा । हम भागकर उसमे पास गए ।
“ अंकल , आपको क्ा हुआ ? आपका शरीर तो खून से भरा है !” मैंने कहा ।
“ मैं भागकर मममी से एम्बुलेंस ्बुलवाती हूँ । तुम िोनों इनकी मिि करने की कोलशश करो । “ - राखी ने कहा । हमने अपना लसर दहला्ा , और वह िौड़ती हुई चली ग्ी ।
मैंने अपने सकाफ्स को उस ्बूढ़े आिमी के पेट के उपर लपेट दि्ा । ऐ्बल के हा् में जो पानी की ्बोतल ्ी , उससे उनहें ्ोड़ा पानी वपला्ा । हमने उनसे उनका नाम पू्ा ।
“ अंकल जी , आपका नाम क्ा है ?” ऐ्बल ने पू्ा ।
“ मेरा नाम नारा्ण गुपता है । िि्स से कराहते हुए उनहोंने कहा ।
“ क्ा आपको ्बहुत िि्स हो रहा है ?” मैंने पू्ा । उनहोंने अपना लसर दहला्ा । “ लेककन आपको ्ह चोट लगी कै से ?” ऐ्बल ने पू्ा ।
“ िो लुटेरों ने मेरी हालत ऐसी कर िी । वे मेरे हा् से पैसे लूटने की कोलशश कर रहे ्े । मैंने पैसे िेने से मना कक्ा तो उनमें से एक ने चाकू ननकालकर मुझे मारने की कोलशश की । “ - उनहोंने कहा ।
्ह सुनकर हम िोनों ्बुरी तरह डर गए । पाँच लमनट ्बाि राखी अपनी माँ के सा् आ गई । आंटी की मिि से हमने अंकल को उठा्ा और सड़क के ककनारे ्बैठा दि्ा । कु ् िस लमनट के ्बाि एम्बुलेंस भी आ गई । अंकल एम्बुलेंस से असपताल चले गए और हम अपने घर ।
िूसरे दिन ्बाि हम उन अंकल से लमलने गए । वे असपताल में ब्बसतर पर लेटे ्ें । उनहोंने हमें िेखकर अपना हा् हमारी तरफ दहला्ा । हम उनके पास गए ।
“ आओ , ्बचचों , आओ !” उनहोंने ख़ुशी से कहा । “ आप कै से है ?” हमने पू्ा ।
उनहोंने कहा कक वह ठछीक है | उनहोंने हमें िन्वाि दि्ा | हम कु ् िेर ्बाि घर लौटे | अपने जीवन का वह दिन मैं कभी नहीं भूलूंगी | मममी सच ही कहती ्ीं कक िूसरों की मिि करने से मन को शांनत और सचचा सुख लमलता है |
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