संवैधानिक गणतंत्
लयोकतंत् करे ससधिांतयों और आवश्यकताओं कयो समझनरे पर जयोर दिया डा. आंबरेडकर नरे
संजय वी. पटेल
सं प्रणाली के रूप में, िसलक एक जीवन
विधान निर्माता डा. बी. आर. आंिरेडकर नरे लोकतंत् को न केवल एक शासन
शैली के रूप में भी स्ीकार किया । इसके माधयम सरे वह शांतिपूर्ण तरीकों सरे समाज में सामाजिक- आधथि्णक और राजनीतिक परिवर्तन ला सकतरे थिरे । उन्होंनरे समानता, स्तंत्ता और बंधुत् को लोकतंत् का मूल आधार माना । सभी जानतरे हैं कि समाज में जाति, पंथि, धर्म, धन, क्षेत्र, भाषा के आधार पर कोई भरेदभाव नहीं किया जा सकता ।
डा. आंिरेडकर का मानना थिा कि वासत् में लोकतंत् का अथि्ण केवल यह नहीं है कि जनता निर्वाचित प्रतिनिधियों को नियंधत्त करती है । सही मायनरे में लोकतंत् उसरे कहतरे हैं जिसमें शासन करनरे वालों में समाज के सभी लोगों की भागीदारी सुधनसशचत हो । डा. आंिरेडकर नरे समाज में सामाजिक और आधथि्णक न्याय प्रापत करनरे के लिए लोकतांधत्क शासन प्रणाली में दो बातों पर ज़ोर दिया । एक यह कि लोकतंत् कानून द्ारा निर्मित होना चाहिए और दूसरा यह कि लोकतंत् में कोई भी वयस्त या संस्था अपनी इचछा सरे शासन न कररे और कानूनी प्रावधानों के अनुसार कार्य कररे । किसी भी वयस्त को तब तक अपराधी नहीं माना जाता जब तक न्यायपालिका उसरे दोषी न घोषित कर दरे । कानून सभी लोगों पर समान रूप सरे लागू होना चाहिए और कानून के तहत सभी को समान सुरक्षा भी मिलनी चाहिए ।
डा. बी. आर. आंिरेडकर भी अन्य राष्ट्ीय
48 flracj 2025