Sept 2025_DA | Page 28

वयाखयान

घोषणा पर निर्भर नहीं है, यह सतय है । इसरे स्ीकार करनरे सरे आपका लाभ है; स्ीकार न करनरे सरे आपका नुकसान है ।
सरसंघचालक डा. भागवत नरे कहा कि 100 साल की संघ की यात्ा हो रही है, ्यों हो रही है? संघ चलाना है, ऐसा नहीं है । संघ चलानरे का एक उद्देशय है । और यह राष्ट्ीय स्यंसरे्क संघ ्यों शुरू हुआ? इतनी सारी बाधाएं वगैरह आईं, स्यंसरे्कों नरे सारी कठिन परिस्थितियों में सरे रासता निकालकर, इसको चलतरे ्यों रखा? और 100 साल चलनरे के बाद भी नए क्षितिजों की बात ्यों कर रहा है? इसका अगर एक वा्य में आपको उत्र दरेना है, तो वह वा्य संघ की प्राथि्णना के अंत में स्यंसरे्क लोग रोज कहतरे हैं-‘ भारत माता की जय’।
सरसंघचालक डा. भागवत नरे कहा कि समाज और जीवन में संतुलन ही धर्म है, जो किसी भी अतिवाद सरे बचाता है । भारत की परंपरा इसरे मधयम मार्ग कहती है और यही आज की दुनिया की सबसरे िड़ी आवशयकता है । उन्होंनरे कहा कि दुनिया के समक्ष उदाहरण बननरे के लिए समाज परिवर्तन की शुरुआत घर सरे करनी होगी । इसके लिए संघ नरे पंच परिवर्तन बताए हैं- कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, स्-बोध
( स्दरेशी) और नागरिक कर्तवयों का पालन । आतमधनभ्णर भारत के लिए स्दरेशी को प्राथिधमकता दें तथिा भारत का अंतरराष्ट्ीय वयापार केवल स्वेचछा सरे होना चाहिए, किसी दबाव में नहीं ।
सरसंघचालक डा. भागवत नरे चिंता वय्त करतरे हुए कहा कि दुनिया कट्टरता, कलह और अशांति की ओर जा रही है । पिछलरे साढ़े तीन सौ ्षषों में उपभोगवादी और जड़्ादी दृष्टि के कारण मानव जीवन की भद्रता क्षीण हुई है । उन्होंनरे गांधी जी के बताए सात सामाजिक पापों,“ काम बिना परिश्रम, आनंद बिना ध््रेक, ज्ान बिना चररत्, वयापार बिना नैतिकता, विज्ान बिना मानवता, धर्म बिना बलिदान और राजनीति बिना सिद्धांत” का उल्लेख करतरे हुए कहा कि इनसरे समाज में असंतुलन गहराता गया है । आज दुनिया में समन्वय का अभाव है और दुनिया को अपना नजरिया बदलना होगा । दुनिया को धर्म का मार्ग अपनाना होगा । सभी प्रकार के रिलिजन सरे ऊपर धर्म है । धर्म हमें संतुलन सिखाता है- हमें भी जीना है, समाज को भी जीना है और प्रकृति को भी जीना है । धर्म ही मधयम मार्ग है जो अतिवाद सरे बचाता है । धर्म का अथि्ण है मर्यादा और संतुलन के साथि जीना । इसी दृष्टिकोण सरे ही विश्
शांति स्थापित हो सकती है ।
जनसांसखयकी परिवर्तन को लरेकर धमाांतरण और घुसपैठ पर चिंता वय्त करतरे हुए उन्होंनरे कहा कि जनसांसखयकी परिवर्तनों के गंभीर परिणाम होतरे हैं, यहां तक कि दरेश का विभाजन भी हो सकता है । केवल भारत की बात नहीं कर रहा हूं । सब दरेशों में यह चिंता रहती है । संखया सरे ज़़यादा, वासतध्क चिंता इरादरे की है । धमाांतरण ज़बरदसती या बल प्रयोग सरे नहीं होना चाहिए- अगर ऐसा होता है, तो उसरे रोका जाना चाहिए । घुसपैठ भी चिंताजनक है । धमाांतरण के लिए इस्तेमाल किए जा रहरे विदरेशी धन पर, गहन जांच की आवशयकता पर बल दरेतरे हुए उन्होंनरे कहा कि अगर विदरेश सरे सरे्ा के लिए धन आता है, तो ठीक है, लरेधकन इसका उपयोग केवल उसी उद्देशय के लिए किया जाना चाहिए । समसया तब उतपन् होती है, जब इस धन का उपयोग धमाांतरण के लिए किया जाता है । ऐसरे धन की गहन जांच और प्रबंधन सरकार की ज़िम्मेदारी है ।
भविष्य की दिशा पर उन्होंनरे कहा कि संघ का उद्देशय है कि सभी स्थानों, ्गषों और सतरों पर संघ कार्य पहुंचरे । साथि ही समाज में अचछा काम करनरे वाली सज्जन शक्त आपस में जुड़े । इससरे समाज स्यं संघ की ही तरह चररत्
28 flracj 2025