रहे । लेकिन सवतंरिता के उपरांत जब सत्ा मिलने का प्श्न आ्या तो कांग्ेस और मुस्लिम लीग द्ािा हिन्दू समाज को जाति और वर्ग ( दलित एवं सवर्ण ) के भेद में बांधने का अलभ्यान ही प्ांिभ हो ग्या । नेहरू-गांधी के अलभ्यान का जिसने भी खुल कर विरोध करने का प्रयास लक्या , उसे किनारे कर लद्या ग्या , वह चिाहे डा . बी . आर . आंबेडकर रहे हों ्या सरदार बललभभाई पटेल ्या राष्ट्री्य स्वयं सेवक संघ । ्यह तो पहले से त्य था कि सवतंरिता के उपरांत देश की सत्ा कांग्ेस को मिलेगी । पर सत्ा हासिल करने के बाद कांग्ेस नेता नेहरू जी ने देश की हिन्दू जनता को धीरे-धीरे जालत्यों के आधार पर देखने
की जो शुरुआत की , वह कालांतर में राजनीतिक रूप से देश के अंदर एक जटिल जाति व्यवस्ा में बदल ग्यी ।
अंग्ेजों ने भी किया था दलितों का उपयोग
अंग्ेजी शासनकाल के दलौिान अंग्ेजों ने अपने हितों को पूरा करने और अपनी सत्ा की आ्यु बढ़ाने के लिए दलित वर्ग का भरपूर उप्योग लक्या । इसके लिए अंग्ेजों ने भारती्य राष्ट्री्य कांग्ेस बनवा कर हिन्दू समाज को भ्रमित करने का काम लक्या । अंग्ेज शासकों को आभास को ग्या था कि ्यलद भारत की हिन्दू जनता एकमत
भारत में मुससलम देश या राष्ट्र का पहला बीज मुससलम नेता सैयद अहमद खां ने बोया था । सर सैयद अहमद ने यह सिदांत प्लतपादित किया कि इसलाम और उसके समर्थक भी एक राष्ट्र हैं । उसने उच्च वर्ग के मुसलमानों को ( जो अशरफ कहलाते थे ) प्ोतसालहत करके उनमें सांप्दायिकता और अलगाव की प्वृत्तियों को बढावा दिया जिससे वे मुखयधारा से दूर होते गए । बाद में मुससलम हितों की रक्षा के लिए कट्टरपंथी मुससलम नेताओं ने मुससलम लीग नामक अपना राजनीतिक दल बनाया और फिर देश में धार्मिक आधार पर बंटवारे के लिए संगठित होकर पाकिसतान के निर्माण की भूमिका तैयार करते चले गए ।
होकर संगठित हो ग्यी तो उन्हें देश छोड़ना ही होगा । इसीलिए उस सम्य के ततकालीन अंग्ेज शासकों ने देश की जनता को जाति और धर्म
में बांटने के प्रयास शुरू कर दिए । अंग्ेजों ने अपनी सेना की ताकत बढ़ाने के लिए दलितों का इसतेमाल लक्या और चिमार , महार इत्यादि सेना के रेजिमेंट बनाए एवं अपनी सत्ा तथा स्वयं अपने आपको सुिलक्त रखने की चिाल चिलकर अपनी सत्ा को का्यम रखा ।
भारत की जनता की एकजुटता को तोड़ने के षड्ंरिों पर धीरे-धीरे जो काम शुरू हुआ , उसे डा . केशव राव बलीराम हेडगेवार जैसे लोगों ने महसूस करना शुरू लक्या । कांग्ेस के साथ मिलकर अंग्ेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों के साथ खड़े डा . केशव राव हेडगेवार ने जहां अंग्ेजों की हिन्दू विरोधी नीलत्यों के खिलाफ कांग्ेस को छोड़ लद्या और 1925 में हिन्दू हितों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्री्य स्वयंसेवक संघ की स्ापना की । भारत की जनता के खिलाफ अंग्ेजों के षड्ंरि का परिणाम 1921 में ' खिलाफत आंदोलन ' के रूप में सामने आ्या । 1922 में गांधी जी ने जब खिलाफत आंदोलन का समर्थन लक्या और फिर देश में मुस्लिम सांप्दाल्यकता का न्या रूप सामने आ्या । खिलाफत आंदोलन के कारण देश के कई हिससों में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए । अंग्ेजों ने इन दंगों का अपरोक् रूप से समर्थन लक्या और इसका नतीजा हिन्दू जनसंख्या के नरसंहार और देश के अंदर नए रूप में पैदा हुई सामप्दाल्यकता के रूप में सामने आ्या । इन दंगों का सबसे बड़े शिकार स्वयं दलित बने और बदतर एवं द्यनी्य न्स्लत्यों में जीने के बावजूद उन्हें अंग्ेजों से कोई राहत नहीं मिली ।
देश बांटने के लिए जिन्ा ने किया दलितों का उपयोग
भारत में मुस्लिम देश ्या राष्ट्र का पहला बीज मुस्लिम नेता सै्यद अहमद खां ने बो्या था । सर सै्यद अहमद ने ्यह सिद्धांत प्लतपादित लक्या कि इसलाम और उसके समर्थक भी एक राष्ट्र हैं । उसने उच्च वर्ग के मुसलमानों को ( जो अशरफ कहलाते थे ) प्ोतसालहत करके उनमें सांप्दाल्यकता और अलगाव की प्वृत्तियों को बढ़ावा लद्या जिससे वे मुख्यधारा से दूर होते गए । बाद में मुस्लिम
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