Sept 2024_DA | Page 8

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है । सवतंरिता के बाद से कांग्ेस ने स्वयं को सत्ा के केंद्र में रखने के लिए हिन्दू समाज को जहां उच्च-निम्न जालत्यों में बांट लद्या , वहीं विभिन्न पंथों एवं महजब की कट्टरता के आधार पर गैर हिन्दू जनता को बांट कर कांग्ेस दलित , मुस्लिमों और ईसाई समूह की मसीहा भी बन ग्यी । कांग्ेस की हिन्दू विरोधी रणनीति में सिर्फ धर्म एवं संसकृलत के कट्टर विरोधी वामदलों ने उनका भरपूर साथ लद्या । परिणामसवरुप देश के हर राज्य में ्यानी उत्ि से दलक्ण तक और पूरब से पन््चिम राज्यों तक जातिगत मसीहा बनकर सत्ा का सुख लेने वाले विभिन्न राजनेता , राजनीतिक दल एवं संघठन का एक ऐसा जमावड़ा लग
ग्या , जिसने जाति-पांति , पंथ , तुन्ष्टकरण , क्ेरिवाद एवं परिवारवाद के मुद्े से देश को बाहर निकलने नहीं लद्या । दलितों के उत्ान के नाम पर राजनीतिक दलों ने दलितों का इस कदर शोषण लक्या कि वह आज भी समपूण्य दलित वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं , पर उनके अधिकार आज भी पूरी तरह उन्हें नहीं मिल सके हैं ।
हिन्ुओं को बांटने के लिए अंग्ेजों ने बनाया दलित वर्ग
अंग्ेजों द्ािा हिन्दुओं को तोड़ने के षड्ंरि एक अत््य उदाहरण 1931 की जनगणना में
देखा जा सकता है । अंग्ेजों ने जनसंख्या के आंकड़ों के वगटीकरण में " डिप्ेस कलास " नामक नए शबद का इसतेमाल लक्या ग्या । " डिप्ेस कलास " के तहत देश के उन सभी हिन्दुओं को रख लद्या ग्या जो समाज के कमजोर , अलशलक्त , निर्बल और कुलीन वगथों से नहीं जुड़े थे । इसी डिप्ेस कलास में शामिल की गई जनता को धीरे-धीरे जालत्यों में बांटने की जो शुरुआत हुई , उसका एकमारि उद्े््य देश की हिन्दू संसकृलत और समाज को खंड-खंड करना था । कांग्ेस का नेतृतव सदैव सत्ा प्राप्त के षड्ंरि के तहत जालत्यों में बंटते जा रहे हिन्दू समाज के साथ ही अत््य पंथ के लोगों को एकसाथ लेकर चिलते
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