Sept 2024_DA | Page 46

lkfgR ;

डा . आंबेडकर और दलित विमर्श

प्ो . रमा

दलित विष्यक साहित्य वर्तमान का ऐसा विमर्श बन चिुका है जिसका अध्य्यन किए बिना समपूण्य हिन्दी साहित्य को समझना ग़लत होगा । भारी संख्या में इस दिशा में लेखन के लिए प्ेरित होना ्यह बताता है कि ्यहां भी कम चिेतना नहीं है । बस बोलने का मलौक़ा नहीं लद्या ग्या । आज दलित विमर्श हिन्दी का ही नहीं , हिन्दी प्देश की सीमाओं से बाहर निकालकर बड़ा सवरूप ले चिुका है , जिसका मूल उद्े््य है दलित जीवन की बुलन्यादी समस्याओं को जनता के सामने लाना । समपूण्य भारती्य भाषा में दलित विष्यक लेखन तेज़ी से हो रहा है । दलित विष्यक साहित्य के लेखन में किस-किस को शामिल लक्या जाए ्यह अभी तक सपष्ट नहीं हो पा्या है । दलित विष्यक साहित्यकारों का मनाना है कि दलित की पीड़ाओं को वही समझ सकता है , जिसने इसको भोगा है , ्यानि कि अनुभूति के आधार पर , जबकि दूसरा खेमा दलितों से इतर लिखे गए साहित्य को , जो दलित जीवन पर उसी भी उसमें शामिल करने की बात कर रहा है ।

हिन्दी साहित्य के मुख्यधारा में ‘ दलित विमर्श ’ का मुद्ा अससी के दशक में उभरा जो नबबे तक आते-आते काफी चिलचि्यत हो चिुका था । साहित्य की बहुचिलचि्यत पलरिका ‘ हंस ’ में दलित साहित्यकार ओमप्काश वालमीलक की आतमकथा ‘ जूठन ’ धारावाहिक रूप मे प्काशित हुई जो आलोचिकों और पाठकों में बहुत चिलचि्यत हुई । 1997 में इसे राजकमल प्काशन ने आतमकथा के रूप में प्काशित लक्या जो बहुत चिलचि्यत हुआ । ्यहीं से दलित विष्यक साहित्य , विमर्श का मुद्ा
बन ग्या । दलित विष्यक साहित्य में दलित साहित्यकार अपने जीवन के कटु अनुभवों को व्यकत करते हैं , जिसका एक मारि उद्े््य ्यही है कि पूरी दुलन्या ्यह जाने के उनके साथ क्या दुर्व्यवहार हुआ है । विख्यात दलित लचिंतक कंवल भारती ने लिखा है- " दलित विष्यक साहित्य से अभिप्राय उस साहित्य से है , जिनमें दलितों ने स्वयं अपनी पीड़ा को रूपाल्यत लक्या है , अपने जीवन-संघर्ष में जिस ्य्ार्थ को भोगा है ,
दलित साहित्य उनका उसी की अभिव्यक्ति का साहित्य है । ्यह कला के लिए कला का नहीं , बल्कि जीवन का और जीवन की जिजीविषा का साहित्य है ।"
हिन्दी साहित्य में दलित जीवन की समस्याओं को साहित्य में आरंभ से उठा्या जा रहा है । प्ेमचिंद पहले ऐसे साहित्यकार हैं जिनकी िचिनाओं में दलित जीवन को प्मुखता से स्ान मिला है । छुआछटूत , जात-पात , आडंबर , कर्म-
46 flracj 2024