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मनुस्मृति और जाति व्यवस्ा
संजीव निवार
में आज भ्रष्टाचिार , आतंकवाद , कट्टरवाद , िमाांतरण , नैतिक भारत
पतन , अशिक्ा , चििमरा्यी हुई सवासथ्य व्यवस्ा , सफ़ाई की समस्या के साथ ही अनेक संकट छाए हुए हैं । पर इन सभी से ज्यादा भ्यावह है – जातिवाद और लिंग भेद । कारण ्यह है कि ्यह दो मूलभूत समस्याएं ही बाकी समस्याओं को पनपने में मदद करती हैं । ्यह दो प्श्न ही हमारे भूत और वर्तमान की समसत आपदाओं का मुख्य कारण हैं । इनको मूल से ही नष्ट नहीं लक्या तो हमारा उज्जवल भलवष््य लसफ़्फ एक सपना बनकर रह जाएगा क्योंकि एक समृद्ध और समर्थ समाज का अस्तितव जाति प््ा और लिंग भेद के साथ नहीं हो सकता ।
्यह भी गलौि लक्या जाना चिाहिए कि जाति भेद और लिंग भेद केवल हिन्दू समाज की ही समस्याएं नहीं हैं , ्यह दोनों सांसकृलतक समस्याएं हैं । लिंग भेद सलद्यों से वैन््वक समस्या रही है और जाति भेद दलक्ण एलश्या में पनपी हुई , सभी िमथों और समाजों को छटूती हुई समस्या है
36 flracj 2024