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हजार रुपए के ऋण का भुगतान महाराजा को नहीं कर सके तो आ ्य समाज के नेता मासटि आतमािाम ने महाराजा बड़ौदा से मिलकर उनसे विशेष निवेदन करके डा . आंबेडकर को लद्या ग्या वह ऋण माफ करवा लद्या था । ्यह घटना 1924 की है । इस प्कार डा . आंबेडकर के निर्माण में महाराजा बड़ौदा का उतना हाथ नहीं है , जितना आ ्य समाज का ्योगदान है । ्यलद आ ्य समाज के नेता आतमािाम ना होते तो महाराजा बड़ौदा उनसे अपने पैसे को वापस लेते । जिसे वह देने की स्थिति में नहीं थे ।
दलितों के उद्धार के लिए समर्पित महान सवतंरिता सेनानी अलीगढ़ की जाट रि्यासत के आ ्य राजा महेंद्र प्ताप अपने जीवन के आरंभिक दिनों में देश भर की ्यारिा करते हुए जब द्ारिका के तीर्थ स्ल में पहुंचिे तो मंदिर के पुजारी ने उनसे उनकी जाति पूछ ली । महाराजा को मंदिर के पुजारी का इस प्कार जाति पूछना अचछा नहीं लगा । उन्होंने अपनी वासतलवक जाति न बताकर पुजारी से कह लद्या कि वह भंगी हैं । तब पुजारी और अत््य लोग बोले कि ्यलद आप भंगी हैं , तो फिर इस मंदिर में प्वेश करने का अधिकार आपको नहीं है । ऐसा जानकर राजा को बहुत कष्ट हुआ । उनको लगा कि जाति के नाम पर ्यलद मेरे देश में कुछ लोगों के साथ इस प्कार का अत््या्य हो रहा है तो ्यह उलचित नहीं है । मंदिर के प्मुख व्यवस्ापक को जब उनकी वासतलवक जाति के बारे में ज्ान हुआ तो उसने राजा से क्मा ्याचिना की । परंतु राजा महेंद्र प्ताप भी अपने आप में बहुत उच्च आदर्श वाले राजा थे । अब वह अपने संकलप से डिगने का नाम नहीं ले रहे थे । उन्होंने मंदिर के भगवान का दर्शन करने से ्यह कहकर मना कर लद्या कि मैं ऐसे भगवान का दर्शन नहीं करूंगा जो जन्म के कारण मनुष््य का अपमान करता है ।
आजकल के कांग्ेस के नेता चिाहे कितनी ही डींगें मार लें कि उनके नेता महातमा गांधी जी ने दलितों के उद्धार के लिए विशेष का ्य लक्या था । पर सचि ्यह है कि दलित समाज का उद्धार करना कांग्ेस का मलौलिक लचिंतन नहीं था । महातमा गांधी भी अपने मलौलिक लचिंतन में अछटूतों
के प्लत किसी प्कार से भी उदार नहीं थे । जब कोई व्यक्ति ्या कोई संगठन किसी उधारी मानसिकता ्या सोचि ्या लचिंतन के आधार पर का ्य करता है तो उसके उधारे लचिंतन का कोई उललेखनी्य प्भाव दिखाई नहीं देता है ।
्यही कारण रहा कि कांग्ेस के महातमा गांधी के दलित कल्याण के कार्यों का कोई विशेष प्भाव दिखाई नहीं लद्या ।
कांग्ेस को दलितों के उद्धार के लिए प्ेरित करने वाले आ ्य समाज के बडे नेता महातमा मुंशीराम अर्थात सवामी श्द्धानंद जी महाराज थे । जिन्होंने 1913 में दलितोद्धार सभा का गठन लक्या था । अमृतसर के कांग्ेस अधिवेशन में 27 दिसंबर 1919 को उन्होंने अपने इस विष्य को कांग्ेस के मंचि से मुख्य रूप से उठा्या था और गांधी जी को इस बात के लिए प्ेरित लक्या था कि वे दलितों के उद्धार के लिए विशेष का ्य करें । ्यहीं से महातमा गांधी को सवामी श्द्धानंद जी के माध्यम से दलितों के लिए कुछ का ्य करने की प्ेिणा मिली । उन्होंने जो कुछ भी लक्या वह केवल समाज को दिखाने के लिए लक्या । कोई मलौलिक ्योजना उनके पास ऐसी नहीं थी जिससे दलितों का कल्याण हो सके ्या वह उन्हें समाज में सममानजनक स्ान दिला सकें ।
सवामी श्द्धानंद जी महाराज ने कांग्ेस के कलकत्ा व नागपुर अधिवेशन ( 1920 ) में भी सम्मिलित होकर दलितों के उद्धार के का ्यकम को प्सतुत लक्या था । उन्होंने 1921 में दिलली के हिंदुओं को इस बात के लिए प्ेरित लक्या था कि वह दलित वर्ग के लोग लोगों को अपने कुंए से पानी भरने दें । जिस सम्य दलितों के हित में कोई बोलने का साहस तक नहीं कर सकता था उस सम्य हिंदुओं को इस प्कार की प्ेिणा देना अपने आप में बहुत ही साहसिक पहल थी । जिसे कोई सवामी श्द्धानंद ही कर सकता था । उन्होंने इस का ्य को सहर्ष अपने हाथों में लल्या । इससे सवामी जी के साहसिक नेतृतव , दृढ़ इचछाशक्ति और दलितों के प्लत हृद्य से काम करने की प्बल इचछा शक्ति का पता चिलता है ।
्यह बात ध्यान रखनी चिाहिए कि जब-जब
हिंदू समाज को संगठित करने के प्रयास आ ्य समाज ्या किसी भी हिंदूवादी नेता की ओर से किए गए हैं , तब-तब मुसलमानों ने उसमें अडंगा डालने का का ्य लक्या है । जिस सम्य सवामी जी महाराज दलितों को गले लगाकर उन्हें हिंदू समाज की एक प्मुख इकाई के रूप में जोडने का साहसिक का ्य कर रहे थे , उस सम्य भी मुस्लिम नेताओं को उनका ्यह का ्य पसंद नहीं आ रहा था । ्यही कारण था कि सवामी जी महाराज के इस प्कार के का ्यकम में कांग्ेस के मुसलमान नेताओं ने बाधा डालने का प्रयास लक्या था , जिसमें मोहममद मलौलाना अली का नाम विशेष उललेखनी्य है । जिसने लगभग 7 करोड दलितों को हिंदू मुस्लिम में आधे-आधे बांटने की बात भी कही थी । मलौलाना अली के इस प्कार के कार्यों से क्ुबि होकर सवामी जी ने 9 सितंबर 1921 को गांधी जी को परि लिखा था । जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं नहीं समझता कि इन तथाकथित अछटूत भाइ्यों के सह्योग के बिना जो सविाज्य हमें मिलेगा , वह भारत राष्ट्र के लिए किसी भी प्कार से हितकारी होगा ।
आज के राजनीतिक दलों को बड़ौदा नरेश और आ ्य राजा महेंद्र प्ताप के दलितों के कल्याण संबंधी कार्यों से प्ेिणा लेनी चिाहिए । आज देश में राज्यसभा और लोकसभा के कुल मिलाकर लगभग 800 सांसद हैं । पर उनमें से कोई एक भी राजा महेंद्र प्ताप ्या महाराजा बड़ौदा बनने
34 flracj 2024