धर्म से पहले होता है । इसलिए स्वयं के विष्य मे उनका प्लसद्ध वाक्य है कि “ हम सबसे पहले और अन्त मे भारती्य हैं ” । मुस्लिम समुदा्य पर उनके लवचिार “ थाटस ऑन पाकिसतान ” और “ पार्टिशन ऑफ़ इंलड्या ” मे मिलते हैं । जहां वह लिखते हैं कि “ मुसलमानों को किसी भी संघर्ष में गैर-मुसलमानों का पक् नहीं लेने का इसलामी निषेध , इसलाम का आधार है । ्यह भारत में मुसलमानों को ्यह कहने के लिए प्ेरित करता है कि वह मुस्लिम पहले हैं , भारती्य बाद में । ्यह भावना है , जो बताती है कि भारती्य मुस्लिम ने भारत की उन्नति में इतना छोटा हिससा क्यों लल्या है , इसलालमक कट्टरता कभी भी एक सच्चे मुसलमान को भारत को अपनाने की अनुमति नहीं दे सकती है ।
एक चिेतावनी के रूप में उन्होंने कहा कि “ अगर भारती्य मुस्लिम अपने आपको देश की
धरती से जोड नहीं सका और मुस्लिम साम्राज्य स्ालपत करने के लिए विदेशी मुसलमान देशों की ओर सहा्यता के लिए देखने लगा , तो इस देश की सवतंरिता पुन : खतरे में पड जाएगी ।“ इन दो पुसतकों में व्यकत की गई मुस्लिमों की उनकी धारणा लगभग सावरकर के साथ मेल खाती है , जिनकी पुसतक “ हिंदुतव ” पर आरएसएस का दर्शन काफी हद तक आधारित है । जाहिर है , डा . आंबेडकर ने जिस भाषा का इसतेमाल लक्या है , वह संघ की तुलना में तीखी कही जा सकती है ।
इन प्मुख मुद्ों के अतिरिकत भी संविधान मे पंथनिरपेक् शबद के प्रयोग , वामपंथी लवचिारधारा के भारत विरोधी एजेणडे , संसकृत भाषा को राजभाषा बनाने जैसे अनेक विष्यों पर डा . आंबेडकर और संघ के लवचिार ना सिर्फ समान हैं , बल्कि एक-दूसरे के पूरक भी हैं ।
्यही वजह थी कि डा . आंबेडकर 1940 से ही संघ के समपक्फ मे थे । वह संघ के कार्यों से बहुत प्भावित थे । संघ के वरिष्ठ नेता एवं सवदेशी जागरण मंचि के संस्ापक दत्ोपंत ठेंगडी से उनका विशेष लगाव था , जिनसे वे सम्य सम्य पर अनेक सामाजिक मुद्ोँ एवं संघ की का ्यपद्धति पर विमर्श लक्या करते थे । एक तरफ अपने राजनीतिक हितों की वजह से अनेक दलों और संगठनों मे संघ और डा . आंबेडकर को एक- दूसरे का विरोधी साबित करने की होड़ सी लगी हुई है । दूसरी तरफ संघ निरंतर समाज मे समानता , समरसता , एकता और राष्ट्री्यता जैसे लवचिारों को स्ालपत करने के का ्य मे लगा हुआ है । संघ का काम करने का अपना एक “ धीरे- धीरे जलदी चिलो ” का तरीका है . जिसके माध्यम से वह एकीकृत हिन्दू राष्ट्र की स्ापना की दिशा में का ्य कर रहा है । �
flracj 2024 31