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केबी हेडगेवार से कही थी । गांधीजी भी एक हिंदू संगठन में एक दूसरे की जाति नहीं पूछने की इस अनूठी संसकृलत से प्भावित हुए थे ।
ततकालीन केंद्री्य कानून मंरिी के रूप में , डा . आंबेडकर समान नागरिक संहिता के पक्िि थे और जममू-क्मीि में अनुचछेद 370 को लागू करने का विरोध कर रहे थे । डा . आंबेडकर ने शेख अबदुलला से कहा कि “ आप चिाहते हैं कि भारत आपकी सीमाओं की रक्ा करे , उसे आपके क्ेरि में सडकों का निर्माण करना चिाहिए , उसे आपको खाद्ान्न की आपूर्ति करनी चिाहिए , और क्मीि को भारत के बराबर होना चिाहिए , लेकिन भारत सरकार की केवल सीमित शन्कत्यां होनी चिाहिए और भारती्य लोगों को क्मीि में कोई अधिकार नहीं होना चिाहिए । इस प्सताव को सहमति देना , भारत के हितों के खिलाफ एक लव्वासघाती बात
होगी और मैं , भारत के कानून मंरिी के रूप में , ऐसा कभी नहीं करूंगा ।“ दूसरी तरफ शुरुआत से ही संघ अनुचछेद-370 का विरोधी रहा है ।
इस दिशा मे संघ ने जममू-क्मीि के भारत मे विल्य के लल्ये हरसंभव प्रयास लक्या था । ततकालीन गृह मत्रिी सरदार पटेल के आग्ह पर ततकालीन सरसंघचिालक गोलवरकर ने अकतूबर 1947 मे राजा हरि सिंह से मुलाकात कर जममू-क्मीि के भारत मे विल्य की बात भी की । अनुचछेद-370 के विरोध मे ही श्यामा प्साद मुखजटी ने नेहरु मंलरिमंडल से इसतीफा देकर जन संघ की स्ापना की , जो आगे चिलकर भाजपा के रूप मे सामने आ्यी । “ एक निशान , एक विधान और एक प्िान ” के संकलप पर का्य्य करते हु्ये मुखजटी ने अपना सववोच्च बलिदान लद्या । 1967 में , गोलवलकर
ने संघ के मुखपरि ऑर्गनाइ्ि को दिए एक साक्ातकाि में ्यह बात दोहराई , “ क्मीि को रखने का केवल एक ही तरीका है-और वह है पूर्ण एकीकरण । अनुचछेद-370 जाना चिाहिए ; अलग झंडा और अलग संविधान भी जाना चिाहिए । तब से लेकर अनुचछेद-370 के उन्मूलन तक संघ अपनी इस मांग पर अडिग रहा । आज जब भारत सरकार ने अनुचछेद-370 को समा्त कर जममू-क्मीि का भारत मे पूर्ण एकीकरण लक्या तो ्यह संघ के एक सपने के साकार होने जैसा था , जिसके पीछे संघ का एक बहुत बड़ा आन्दोलन , लमबी रणनीति एवं समर्पण भाव था ।
डा , आंबेडकर ने मुस्लिम समाज मे फैली कट्टरता और विशेष रूप से पाकिसतान के समर्थक रवै्ये के बारे में बहुत मजबूत लवचिार रखे थे । उनका हमेशा ्यह मानना था कि राष्ट्र
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