को डा . आंबेडकर के लवचिारों का दु्मन तक घोषित कर लद्या । जबकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है । राष्ट्री्य स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) का मानना है कि डा . आंबेडकर को किसी भी वैचिारिक चिारदीवारी में बांधना उलचित नही है । उनके लवचिार सर्व समाज के लल्ये उप्योगी है । संघ की दृन्ष्ट में डा . आंबेडकर समाज सुधारक के साथ-साथ एक बहुआ्यामी व्यक्तितव का राष्ट्रवादी लवचिारक , विधिवेत्ा , अर्थशासरिी और संघ से प्भावित एक स्वयंसेवक हैं । दुलन्या के सबसे बडे सामाजिक-सांसकृलतक संगठन राष्ट्री्य स्वयंसेवक संघ और डा . आंबेडकर की वैचिारिक साम्यता को उद्धृत करने के लिए तथ्यों के लव्लेषण के आधार पर ्यह कहा जा सकता है कि कुछ विष्यों पर मतभेद के वावजूद भी डा . आंबेडकर और संघ के लवचिार एक दूसरे के पूरक हैं और संघ डा . आंबेडकर
के सिद्धांतों को समाज मे स्ालपत कर रहा है ।
बाबा साहब बाल्यकाल से ही ततकालीन समाज मे व्या्त असपृ््यता एवं जाति व्यवस्ा की कुरीति के खिलाफ थे । वे जाति से मुकत अविभाजित हिन्दू समाज की बात करते थे । उनका मानना था कि जाति व्यवस्ा ही हिन्दू समाज की सबसे बड़ी दु्मन है । जिसका उललेख उन्होने अपनी पुसतक “ फिलोसोफी ऑफ़ हिंदुजम ” में लक्या है । वहीं दूसरी तरफ 1942 से ही संघ हिंदुओं में अंतरजाती्य विवाह का पक्िि रहा है और हिंदुओं की एकजुटता को लेकर प्रयासरत है । संघ का ्यह सपष्ट मत है कि असपृ््यता दूर हो और शोषितों और वंलचितों को समानता का अधिकार मिले । संघ समाज मे अपने अनेक का ्यकमों के माध्यम से जाति व्यवस्ा के उन्मूलन के लल्ये प्रयासरत है । संघ की संगठनातमक संिचिना से लेकर व्यावहारिक
जीवन तक जाति का कोई उललेख नही होता है । भोजन की पंक्ति मे बैठे स्वयंसेवक को ्यह नही ज्ात होता की उसके बगल बैठे स्वयंसेवक की जाति क्या है ।
संघ की शाखाओं में स्वयंसेवकों को उनकी ऊंचिाई के कम मे कतारबद्ध लक्या जाता है , जाति ्या वर्ग के कम मे नही । 40 के दशक से ही संघ प्त्येक गांव में “ एक मंदिर , एक कुआं और एक ्मशान ” की अवधारणा पर जोर देता रहा है । हाल ही मे सरसंघचिालक मोहन भागवत ने अपने वकतव्य में इसे संघ की प्लतबद्धता करार लद्या । डा . आंबेडकर स्वयं 1949 में पुणे में संघ के एक का ्यकम में शामिल हुए और ्यह जानकर आ्चि ्यचिलकत थे कि संघ में एक- दूसरे की जाति पूछना वर्जित था । ्यही बात महातमा गांधी ने भी 1932 में वर्धा में संघ की एक शाखा के दलौिे के बाद संघ के संस्ापक
flracj 2024 29