Sept 2024_DA | Page 19

पहले कानून मंरिी बने , बल्कि पाकिसतान के संविधान लिखने वाली कमेटी के अध्यक् भी रहे थे । लेकिन , 1950 में मंडल ने पाकिसतान सरकार से इसतीफा लद्या और वापस कलकत्ा आ गए और फिर ललौट कर कभी पाकिसतान नहीं गए ।
भारत में हिंदूओं और मुस्लिमों की संसकृलत एक-दूसरे से इतनी अलग प्सतुत की ग्यी थी कि दोनों एक ही देश में नहीं रह सकते । कुछ ऐसी ही सवतंरिता आंदोलन के सम्य स्थिति मुस्लिम लीग एवं अत््य अलगाववादी तातकालिक मुस्लिम नेताओं द्ािा बनाई गई थी । ततकालीन सम्य में जोगेंद्र नाथ मंडल को दलितों के बड़े नेता के रूप में पहचिाना जाता था और उनका भी मत ्यही था कि मुसलमानों की तरह , दलित
भी सवतंरि भारत में हिंदू बहुसंख्यक वर्ग के साथ देश मंी नहीं रह पाएंगे । देखा जाए तो जोगेंद्र नाथ मंडल ही एकमारि वह दलित नेता थे , जो मुस्लिम लीग की अलग देश की दलित समर्थक आवाज थे । उन्होंने आजादी के बाद पाकिसतान में रहना सवीकार लक्या और पाकिसतान के पहले कानून मंरिी भी बने लेकिन उनका ्यह भ्रम जलदी ही टटूट ग्या । पर उससे पहले मंडल और जिन्ना ने दलितों को भ्रामक सपने दिखने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी ।
उस सम्य का दलित समाज आठ सलौ वषथों से हो रहे शोषण की मार को झेल रहा था और वह उन न्स्लत्यों को और ज्यादा झेलने के लिए तै्यार नहीं था । हिन्दू विरोधी शन्कत्यों ने भारत की जाति व्यवस्ा का लाभ उठाकर उन्हें
प्लतलक्यावादी बना लद्या था और देश के दलित जिन्ना की धोखाधड़ी के शिकार हो गए । मुस्लिम लीग ने तो दलितों को मोहरा बना्या था ताकि जनसंख्या के दम पर अलग देश बना कर अधिक भूमि हल््याई जा सके और जब पाकिसतान बन ग्या तो दलितों के मकान , दुकान पाकिसतानी मुस्लिमों के द्ािा बलपूर्वक हड़प लिए गए । अविभाजित भारत के पूवटी बंगाल और सिलहट ( आधुनिक बांगलादेश ) में करीब 40 प्लतशत आबादी हिंदुओं की थी , जिन्होंने पाकिसतान के पक् मे वोट लक्या था । आज वही दलित वर्ग दलित-मुस्लिम गठजोड़ के कारण हिंसा और उतपीडन का शिकार बन रहा है ।
( पुसतक दलित-मुससलम गठजोड़ के समपालदत अंश )
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