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का कहना था कि “ अत््या्य के कृत्यों के कारण कांग्ेस के अधिकार के अधीन रहना ” नही चिाहेंगें । इसी बीचि दुर्भाग्यवश बंगाल सहित पूवटी भारत में दलित कल्याण के लिए सलक्य जोगेंद्र नाथ मंडल का संपर्क जिन्ना से हो ग्या और जिन्ना द्ािा पूर्णरूपेण भ्रमित होकर जोगेंद्र नाथ मंडल भी जिन्ना के साथ पाकिसतान निर्माण के लिए ततपि हो उठे । जोगेंद्र नाथ मंडल का साथ मिलने के बाद जिन्ना और भी अधिक सलक्य हो गए । जिन्ना को लगने लगा था कि मुस्लिम और दलित समुदा्य के सं्युकत दबाव के आगे अंग्ेज समझलौता करने के लिए बाध्य हो जा्येगे और ऐसा ही हुआ । इस बीचि गांधी जी को किनारे कर लद्या ग्या और उनकी सुनने के लिए नेहरू जी सहित कोई भी नेता तै्यार नहीं था । जिन्ना की रणनीति और सामप्दाल्यक दंगों के कारण कांग्ेस को भी विभाजन का एकमारि विकलप ही नजर आने लगा था ।
हालांकि पाकिसतान न बने , इसके लिए गांधी जी सहित अत््य कई नेताओं ने प्रयास तो किए पर उनके प्रयासों का कोई प्भाव जिन्ना पर नहीं पड़ा और आखिर में जिन्ना सलौदेबाजी करने में सफल हो गए और जोगेंद्र नाथ मंडल के साथ पाकिसतान चिले गए । उस सम्य ्यह दुलन्या का सबसे बड़ा विस्ापन था । लोगों का कहना है कि अंग्ेजों ने बंटवारे की प्लक्या को सही से नहीं निभा्या था । देश में शांति व्यवस्ा बना्ये रखने की जिममेदारी भारत और पाकिसतान की नई सरकार के कन्धों पर थी । लेकिन दोनों ही देश इसमें नाकाम हुए ।
असफल हु आ दलित-मुस्लिम गठजोड़
भारत के बंटवारे पर अगर ध्यान लद्या जा्ये तो अंग्ेजों की कूटनीति को बड़ी आसानी से समझा जा सकता है । शुरुआत कैबिनेट मिशन ्योजना से हुई थी । इस ्योजना के तहत भारत में कांग्ेस ने मुस्लिम लीग के साथ सह्योग कर एक अंतरिम सरकार का गठन लक्या , लेकिन मुस्लिम लीग इस अंतरिम सरकार में रहकर भी केवल व्यवधान डालने का का ्य करती रही ।
इस बीचि सामप्दाल्यकता बढ़ रही थी । भारत की विषम होती जा रही सामप्दाल्यक समस्या का हल करने के लिए और कैबिनेट ्योजना की रक्ा के लिए लरिटिश प्िानमंरिी एटली ने लन्दन में एक सममेलन का आ्योजन लक्या , लेकिन फिर भी कांग्ेस तथा लीग में समझलौता नहीं हो पा्या । उधर जिन्ना ने अपनी रणनीति के तहत जोगेंद्र नाथ मंडल को पाकिसतान निर्माण का समर्थन करने के लिए राजी कर लल्या था और वा्यसरा्य लार्ड माउंटबेटन भारत के उन अनेकों नेताओं से बातचिीत कर इस निष्कर्ष पर पहुंचि चिुके थे कि भारत का विभाजन हर हाल में होकर रहेगा । 3 जून 1947 को “ माउंटबेटन ्योजना ” की घोषणा हुई और ्योजना के अनुसार ्यह त्य हुआ कि लरिटिश सरकार भारत का प्शासन ऐसी सरकार को सौंप देगी जो जनता की इचछा से निर्मित हो । साथ ही ्यह भी सुलनन््चित हुआ कि जो प्ांत भारती्य संघ में सम्मिलित नहीं होना चिाहते हैं उन्हें आतम-लनण्य का अधिकार लद्या जा्येगा । ्यलद मुस्लिम-बहुल क्ेरि के निवासी देश के विभाजन का समर्थन करते हैं तो भारत और पाकिसतान की सीमा का निर्धारण करने के लिए एक कमीशन की लन्युक्ति की जाएगी . माउंटबेटन ्योजना को सबसे पहले मुस्लिम लीग ने ही सवीकार लक्या , बाद में कांग्ेस ने मत विभाजन के बाद इसे सवीकार कर लल्या ।
4 जुलाई , 1947 को भारती्य सवतंरिता अधिलन्यम पेश लक्या ग्या जिसके अनुसार 15 अगसत 1947 को भारत दो अधिराज्यों में विभाजित हो ग्या । इस प्कार माउंटबेटन ्योजना के द्ािा भारत का विभाजन हुआ और सवतंरिता अधिलन्यम के द्ािा सवतंरिता मिली । देखा जा्ये तो जिन्ना और अंग्ेजों के बीचि हिन्दू विरोधी गोपनी्य रूप से कही न कही कोई समझलौता अवश्य हुआ था । इसका प्माण ्यही कि विभाजन से पहले अंग्ेजों ने सामप्दाल्यकता को प्ोतसालहत लक्या और इसमें कांग्ेस की अपनी भूमिका रही । इस प्कार दलित-मुस्लिम गठजोड़ के नाम पर जिन्ना और जाने-अनजाने जोगेंद्र नाथ मंडल ने जो चिाल चिली थी , अंग्ेजों ने उसका पूरा फ़ा्यदा उठा्या और देश को दो हिससों में बांट
लद्या । बंगाल की राजनीति में पहली बार जोगेंद्र नाथ मंडल ने दलित-मुस्लिम गठजोड़ का प्रयोग लक्या था ।
डा . बी आर अंबेडकर से उलट उनका इस नए गठबंधन पर अटटूट लव्वास था । जोगेंद्र नाथ मंडल के कद का पता इसी बात से चिल जाता है कि जिन्ना ने 1946 में अविभाजित भारत की अंतरिम सरकार में मुस्लिम लीग की तरफ से जिन पांचि नामों को भेजा था , उनमें एक नाम जोगेंद्र नाथ मंडल का भी था । ्यही नहीं , भारत की संविधान सभा के चिुनाव में अंबेडकर जब बंबई में हार गए थे , तो ्ये मंडल ही थे जिन्होंने डलॉ बी आर अंबेडकर को बंगाल असेंबली के जरि्ये चिुनकर संविधान सभा में भेजा था । विभाजन के बाद मंडल न सिर्फ पाकिसतान के
18 flracj 2024