इसका पहला परिणाम ( अंग्ेजों की पहल पर ) आगा खान के नेतृतव में 1906 में मुस्लिम लीग की स्ापना हुई ।
भारत में सामप्दाल्यकता एवं तुन्ष्टकरण के साथ देश का बंटवारा तथा पाकिसतान निर्माण के विकास का एक महतवपूर्ण चििण अंग्ेजों द्ािा बंगाल का विभाजन करना था । वासतव में बंगाल का क्ेरिी्य विभाजन धर्म के आधार पर करके , सवतंरिता आन्दोलन की प्लक्या को कमजोर करना था । बंगाल उस सम्य राष्ट्री्य आन्दोलन का एक प्मुख केंद्र बन चिुका था । बंगाल के विभाजन ने मुस्लिम लीग को एक नई प्ेिणा देते हुए एक न्यी राह दिखा दी । अंग्ेजों की ्यह नीति सफल भी रही और मुस्लिमों का एक बहुत बड़ा तबका अंग्ेजों के झांसे में आकर बंगाल विभाजन के समर्थन में उतर आ्या । अंग्ेजों द्ािा
बहकाए ग्ये भ्रमित मुस्लिमों ने बंगाल विभाजन का समर्थन लक्या और इसका परिणाम बंगाल में हुए हिन्दू-मुस्लिम दंगे के रूप में सामने आ्या । अचिानक दंगे एवं मारकाट के कारण 1911 में बंगाल विभाजन को िद् करना पड़ा । बंगाल विभाजन िद् होने से बंगाल के उन मुस्लिमों को बहुत निराशा हुई जो नए राज्य में अपने लिए कुछ विशेष राजनीतिक व प्शासनिक विशेषाधिकारों की उममीद लगा रखे थे । तब तक मुस्लिम लीग अपने अस्तितव में आ चिुकी थी और उसका लक््य भारत को अंग्ेजो से सवतंरि कराना नही होकर अंग्ेजों के प्लत भारती्य मुस्लिमों के दृन्ष्टकोण को परिवर्तित कर उन्हें लरिटिश सरकार के नजदीक लाना था । लखनऊ पैकट के द्ािा मुस्लिमों की संस्ा के रूप में मुस्लिम लीग को मात््यता प्दान करने के साथ ही एक नए प्कार के साम्रदाल्यक सोचि का विकास हुआ ।
सांप्दाल्यक दंगा हिन्दू-मुस्लिम विभाजन का एक बाहरी रूप था । असली मुद्ा तो राजनीतिक था । जब मोहममद अली जिन्ना मुस्लिम लीग के नेता के रूप में स्ालपत हुए तब उनकी सोचि एक अलग पाकिसतान की मांग के रूप में सामने आ्यी । नेहरु रिपोर्ट के प्ावधानों से असंतुष्ट होकर जिन्ना आकामक होकर कांग्ेस पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाकर मुस्लिमों को धार्मिक आधार पर गोलबंद करने लगे । 1937 के मुस्लिम लीग के लखनऊ अधिवेशन में जिन्ना ने कांग्ेस पर आरोप लगा्या कि वह हिंदूवादी नीलत्यों का अनुसरण करके मुस्लिमों को अलग-थलग कर रही है । देश के मुस्लिम समुदा्य पर जिन्ना के इस भाषण का दूरगामी प्भाव पड़ा और मुस्लिम राजनीतिक वर्ग जो भले ही किसी दल से हो , वे जिन्ना को अपना नेता सवीकार करने लगे । जिन्ना ने मुस्लिम आबादी के साथ ही दलित आबादी को भी पाकिसतान में बसने के भरमा्या और दलित आबादी को पाकिसतान में असपृ््यता से मुक्ति मिलने और समाज में बराबरी के साथ जीने के अधिकार समबंलित इसलाम का एक झूठा सवरुप दिखला कर उन्हें समानता मिलने का सपना
दिखा्या । निसंदेह असपृ््यता के कारण समाज के सबसे लनचिले पा्यदान पर खड़े दलित समाज ने जिन्ना द्ािा दिखाए गए सपने एवं फैलाए गए भ्रम को सचि मान लल्या और फिर दलित भी देश के बॅटवारे की मांग के समर्थन में जिन्ना के साथ खड़े हो गए । ्यह कहना अनुलचित नहीं लगता कि दलित समाज को राजनीतिक रूप से मुस्लिमों के समर्थन करने के लिए जो झूठे सपने जिन्ना ने दिखाए तो उन सपनों को सीधे-साधे और भोले-भाले दलित समाज ने सचि मान लल्या और इस तरह से ततकालीन सम्य में दलित समाज को भ्रमित करने एवं रिझाने में जिन्ना सफल हो गए ।
दलित-मुस्लिम गठजोड़ के कारण जिन्ा ने की सौदेबाजी
लरिटिश शासन के दलौिान देश में मुस्लिमों की कुल आबादी लगभग 25 प्लतशत थी । मुस्लिम लीग की अनुलचित एवं अनर्गल मांगों के कारण हिंदू और मुसलमानों के बीचि भेदभाव बढ़ रहा था । मुसलमान , देश भर में रह रहे थे , पर बंगाल और पंजाब के क्ेरिों में उनकी संख्या बहुमत में थी । भारत उस सम्य सवतंरिता प्राप्त के कगार पर खड़ा हुआ था तथा अपनी सरकार और संविधान बनाने के लिए तै्यार था । उधर मुसलमान अपने झूठे नेताओं द्ािा इतना भ्रमित कर लद्या ग्या था कि वह इस बात के लिए डर रहे थे कि हिंदू समाज बहुसंख्यक मुसलमानों के जीवन के साथ गंभीर रूप से हसतक्ेप करेंगे और उनकी सामाजिक और धार्मिक सवतंरिता को दूर करने का प्रयास करेंगें । ऐसी सांप्दाल्यक भावनाओं के साथ , मुस्लिम लीग के नेता मोहममद अली जिन्ना ने अलग मुस्लिम राज्य के अलभ्यान पर काम शुरू कर लद्या था ।
जिन्ना ने चिालाकी से खुद को मुस्लिमों का अग्दूत बना लद्या था । अपने विशिष्ट मुस्लिम राजनीतिक दल के लिए मुस्लिम समर्थन को प्ेरित करने और इकट्ा करने के लिए , जिन्ना ने इस बात की वकालत की थी कि प्सतालवत पाकिसतान के अस्तितव के बिना मुस्लिम समुदा्य का एक समन्त्वत विकास असंभव है । जिन्ना
flracj 2024 17