कवर स्टोरी
िशण्त या समाज सदे बतहष््कृत कर सकती है । अनतजामातीय त्व्वाह इस व्यवसथा में तनरदेध होतदे हैं । सामाजिक त्वद्वेष और घृणा का प्रसार इस व्यवसथा की सबसदे बुरी त्वशदेरता है ।
इस प्रकार ्लॉ अम्बेडकर नदे यह सपष्ट करनदे का प्रयास किया कि जाति-व्यवसथा भारतीय समाज की एक बहुत बड़ी त्व्कृति है, जिसके दुखभा्व समाज के लिए बहुत ही घातक है । जाति व्यवसथा के कारण लोगों में एकता की भा्वना का अभा्व है, अत: भारतीयों का किसी एक त्वरय पर जनमत तैयार नहीं हो सकता । समाज कई भागों में त्वभकत हो गया । उनके अनुसार जाति व्यवसथा न के्वल हिनिू समाज को दुष्प्रभात्वत नहीं किया अपितु भारत के राजनीतिक, आर्थिक तथा नैतिक जी्वन में भी जहर घोल दिया ।
्लॉ अम्बेडकर नदे हिनिू समाज में प्रचलित असपृ्यता को अनयायपू्वमा् मानतदे हुए प्रबल त्वरोध किया । उनके अनुसार ब्राह्णों और शूद्र शासकों में अनतद्मानद् के कारण शूद्रों का जनम हुआ जबकि प्रारमभ में ब्राह्ण, क्तत्य और ्वै्य तीन ्वणमा ही हुआ करतदे थदे । शनैःशनैः ब्राह्ण्वाद का समाज में ्वचमास्व सथातपत हो गया तथा समाज में उनके द्ारा प्रतिपादित नियमों को मानना आवश्यक माना गया । इन नियमों को न माननदे ्वालों को हदेय माना गया । इनहोंनदे त्वतभन्न ऐतिहासिक उदाहरणों सदे यह सपष्ट करनदे का प्रयास किया कि असपृ्यता के बनदे रहनदे के पीछडे कोई तार्किक, सामाजिक अथ्वा व्यावसायिक आधार नहीं हैI अत: उनहोंनदे इस व्यवसथा का जोरदार शबिों में खंडन किया । उनका दृष्टिकोण था कि यदि हिनिू समाज का उतथान करना है तो असपृ्यता का जड़ सदे निराकरण आवश्यक है ।
्लॉ अम्बेडकर नदे असपृ्यता के निराकरण के लिए के्वल सैद्धांतिक दृष्टिकोण ही प्रसतुत नहीं किया अपितु उनहोंनदे अपनदे त्वतभन्न आनिोलनों ्व कायगों सदे लोगों में चदेतना जागत करनदे ए्वं इसके निराकरण के लिए त्वतभन्न सुझा्व भी प्रदेरित किए । उनहोंनदे असपृ्यता निराकरण के लिए सामाजिक, राजनीतिक,
आर्थिक, नैतिक, शैक्तण् आदि सतरों पर रचनातम् कायमारिम तथा संगत्ठत अभियान का आग्रह किया ।
्लॉ अम्बेडकर हिनिू समाज तथा हिनिू धर्म की उन आधारभूत मानयताओं के त्वरूद्ध थदे, जिनके कारण असपृ्यता जैसी संकीर्णता का जनम होता है । उनका मानना था कि हिनिू समाज में स्वतंत्ता, समानता तथा नयाय पर आधारित व्यवसथा सथातपत करनदे के लिए ््ठोर नियमों में संशोधन आवश्यक है । उनहोंनदे इसके लिए धार्मिक कायगों के लिए ब्राह्णों के एकाधिकार को समापत करनदे का आग्रह किया । उनके अनुसार उन शासत्ों को अधिकारिक नहीं माना जाना चाहिए जो सामाजिक अनयाय का समर्थन करतदे है ।
्लॉ अम्बेडकर का मानना था कि हिनिू समाज के उतथान के लिए जातीय बंधन समापत किया जाना आवश्यक है । उनके मत में इसके लिए यह आवश्यक है कि समाज के त्वतभन्न जातियों के लोगों के मधय अनतजामातीय त्व्वाह होनदे लगदेगा तो जाति व्यवसथा का बंधन स्वत: शिथिल होनदे लगदेगा, कयोंकि त्वतभन्न जातियों के मधय रकत के मिलनदे सदे अपनत्व की भा्वना पैदा होगी । उनहोंनदे स्वयं अनतजामातीय त्व्वाहों तथा सहभोजों को प्रोतसातहत किया । जब कभी इस प्रकार के अ्वसर उनहें मिलतदे तो ्वदे उनमें अवश्य ही सशममतलत होतदे थदे ।
्लॉ अम्बेडकर का त्व््वास था कि दलितों के उतथान में के्वल उच्च वर्णो की सहानुभूति और सद्भा्वना ही पर्यापत नहीं है । उनका मत
8 vDVwcj 2025