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क्ा वेद जातिवाद का समर्थन करते है?

डॉ. विवेक आर्य

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रत के समाज में ्वदेिों के बारदे में फैलाई गई भ्रांतियों में सदे एक यह भी है कि ्वदे ब्राह्ण्वादी ग्रंथ हैं और शूद्रों के साथ अनयाय करतदे हैं । हिनिू / सनातन / ्वैदिक धर्म का मुखौटा बनदे जातत्वाद की जड भी ्वदेिों में बताई जा रही है और इनहीं त्वरैलदे त्वचारों पर दलित आनिोलन िदेश में चलाया जा रहा है |
परंतु, इस सदे बडा असतय और कोई नहीं है | इस श्रृंखला में हम इस मिथया मानयता को खंडित करतदे हुए, ्वदेि तथा संबंधित अनय ग्रंथों सदे सथातपत करेंगदे कि –
1. चारों वर्णों का और त्वशदेरतया शूद्र का ्वह अर्थ है ही नहीं, जो मैकालदे के मानसपुत् दुष्प्रचारित करतदे रहतदे हैं |
2. ्वैदिक जी्वन पद्धति सब मान्वों को समान अ्वसर प्रदान करती है तथा जनम- आधारित भदेिभा्व की कोई गुंजाइश नहीं रखती ।
३.. ्वदेि ही एकमात् ऐसा ग्रंथ है जो सर्वोच्च गुणवत्ता सथातपत करनदे के साथ ही सभी के लिए समान अ्वसरों की बात कहता हो, जिसके बारदे में आज के मान्वता्वादी तो सोच भी नहीं सकतदे ।
आइए, सबसदे पहलदे कुछ उपासना मंत्ों सदे जानें कि ्वदेि शूद्र के बारदे में कया कहतदे हैं –
-हदे भग्वन, हमारदे ब्राह्णों में, क्तत्यों में, ्वै्यों में तथा शूद्रों में ज्ान की जयोति दीजियदे । मुझदे भी ्वही जयोति प्रदान कीजियदे ताकि मैं सतय के दर्शन कर सकूं ।( यजुर्वेद-18 / 48)
-जो अपराध हमनदे गां्व, जंगल या सभा में किए हों, जो अपराध
हमनदे इशनद्रयों में किए हों, जो अपराध हमनदे शूद्रों में और ्वै्यों में किए हों और जो अपराध हमनदे धर्म में किए हों, ्कृपया उसदे क्मा कीजियदे और हमें अपराध की प्र्वृतति सदे छुडाइए ।( यजुर्वेद-20 / 17)
-हदे मनुष्यों, जैसदे मैं ईश्वर इस ्वदेि ज्ान को पक्पात के बिना मनुष्यमात् के लिए उपिदेश करता हूं, इसी प्रकार आप सब भी इस
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