Oct 2025_DA | Page 13

ज्ान को ब्राह्ण, क्तत्य, शूद्र, ्वै्य, शसत्यों के लिए तथा जो अतयनत पतित हैं उनके भी ््याण के लियदे दो । त्वद्ान और धनिक मदेरा तयाग न करें ।( यजुर्वेद 26 / 2)
-हदे ईश्वर, मुझदे ब्राह्ण, क्तत्य, शूद्र और ्वै्य सभी का प्रिय बनाइए । मैं सभी सदे प्रसंशित होऊं ।( अथ्वमा्वदेि-19 / 32 / 8)
-सभी श्रदेष्ट मनुष्य मुझदे पसंद करें । मुझदे त्वद्ान, ब्राह्णों, क्तत्यों, शूद्रों, ्वै्यों और जो भी मुझदे िदेखदे उसका प्रियपात् बनाओ ।( अथ्वमा्वदेि-19 / 62 / 1) इन ्वैदिक प्रार्थनाओं सदे त्वतित होता है कि –-्वदेि में ब्राह्ण, क्तत्य, ्वै्य और शूद्र चारों ्वणमा समान मानदे गए हैं ।-सब के लिए समान प्रार्थना है तथा सबको बराबर सममान दिया गया है
।-और सभी अपराधों सदे छूटनदे के लिए की गई प्रार्थनाओं में शूद्र के साथ
किए गए अपराध भी शामिल हैं ।-्वदेि के ज्ान का प्रकाश समभा्व रूप सदे सभी को िदेनदे का उपिदेश है । यहां धयान िदेनदे योगय है कि इन मंत्ों में शूद्र शबि ्वै्य सदे पहलदे आया है । अतः सपष्ट है कि न तो शूद्रों का सथान अंतिम है और ना ही उनहें कम महत््व दिया गया है । इस सदे सिद्ध होता है कि ्वदेिों में शूद्रों का सथान अनय वर्णों की ही भांति आदरणीय है और उनहें उच्च सममान प्रापत है । यह कहना कि ्वदेिों में शूद्र का अर्थ कोई ऐसी जाति या समुदाय है जिससदे भदेिभा्व बरता जाए, पूर्णतया निराधार है | �
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