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मिलना चाहिए । उनको भय था कि बहुमत के शासन में दलित ्वगमा के हितों तथा अधिकारों की उपदेक्ा होनदे की संभा्वना हो सकती है । किनतु यदि दलित ्वगमा को कार्यपालिका में जब पर्यापत प्रतिनिधित्व मिलदेगा तो ्वह अपनदे अधिकारों तथा हितों के प्रति होनदे ्वाली उपदेक्ा को समापत करनदे में सक्म होगा तथा अपनदे त्व्ास के लिए त्वशदेर नीतियों का निर्माण कर रचनातम् कायमारिमों को शासन के माधयम सदे सफलतापू्वमा्
तरियान्वित किया जा सकता है । ्लॉ अम्बेडकर को असपृ्य लोगों के प्रति हिनिू समाज के व्यवहार सदे काफी ्ठडेस लगी अत: ्वदे इस निष्कर्ष पर पहुंचदे कि दलितों को अपनदे सममान को बचाए रखनदे के लिए हिनिू धर्म को अशनतम हथियार के रूप में तयाग िदेना चाहिए । किनतु उनका मानना था कि भारत में इसलाम और ईसाई धमगों का भी दलितों के प्रति दृष्टिकोण नयायपू्वमा् नहीं है, अत: दलितों को भारत में प्रचलित एक अनय धर्म बौद्ध धर्म को अपना लदेना चाहिएI
उनका त्व््वास था कि बौद्ध धर्म सामाजिक असमानता को समापत कर भ्रातृत्व की भा्वना त्व्तसत करता है । यही कारण था कि ्लॉ अम्बेडकर नदे स्वयं अपनदे जी्वन के अंतिम दिनों में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था । इस संदर्भ में ्लॉ अम्बेडकर के त्वचार महातमा गांधी के त्वचारों सदे मदेल नहीं खातदे थदे । महातमा गांधी का यह दृढ़ त्व््वास था कि धर्म परर्वतमान करनदे मात् सदे दलित वर्गों की शसथति में ्वास्तविक सुधार होगा ही, इसकी कोई निश्चतता नहीं है ।
्लॉ अम्बेडकर भारतीय समाज में शसत्यों की हीन दशा सदे काफी क्ुबध थदे । उनहोंनदे उस साहितय की कटु आलोचना की जिसमें शसत्यों के प्रति भदेि-भा्व का दृष्टिकोण अपनाया गया । उनहोंनदे दलितों के उतथान ए्वं प्रगति के लिए भी नारी समाज का उतथान आवश्यक माना । उनका मानना था कि शसत्यों के सममानपू्वमा् तथा स्वतंत् जी्वन के लिए शिक्ा बहुत महत्वपूर्ण
है । अम्बेडकर नदे हमदेशा सत्ी-पुरूष समानता का वयापक समर्थन किया । यही कारण है कि उनहोंनदे स्वतंत् भारत के प्रथम त्वतधमंत्ी रहतदे हुए‘ हिंदू कोड बिल’ संसद में प्रसतुत करतदे समय हिनिू शसत्यों के लिए नयाय सममत व्यवसथा बनानदे के लिए इस त्वधदेयक में वयापक प्रा्वधान रखदे । भारतीय संत्वधान के निर्माण के समय में भी उनहोंनदे सत्ी-पुरूष समानता को सं्वैधानिक दर्जा प्रदान कर्वानदे के गमभीर प्रयास किए ।
्लॉ अम्बेडकर के सामाजिक चिनतन में असपृ्यों, दलितों तथा शोषित ्वगमा के उतथान के लिए काफी दर्शन झलकता है । ्वदे उनके उतथान के माधयम सदे एक ऐसा आदर्श समाज सथातपत करना चाहतदे थदे जिसमें समानता, स्वतंत्ता तथा भ्रातृत्व के तत्व समाज के आधारभूत सिद्धांत हों । ्लॉ अम्बेडकर एक महान सुधारक थदे जिनहोंनदे तत्ालीन भारतीय समाज में प्रचलित अनयायपूर्ण व्यवसथा में परर्वतमान तथा सामाजिक नयाय की सथापना के जबरदसत प्रयास किए । उनहोंनदे दलितों, पिछड़ों, असपृ्यों के त्वरूद्ध सदियों सदे हो रहदे अनयाय का न के्वल सैद्धांतिक रूप सदे त्वरोध किया अपितु अपनदे कार्य कलापों, आनिोलनों के माधयम सदे उनहोंनदे शोषित ्वगमा में आतमबल तथा चदेतना जागृत करनदे का सराहनीय प्रयास किया । इस प्रकार ्लॉ अम्बेडकर का जी्वन समर्पित लोगों के लिए सीखनदे तथा प्रदेरणा का नया स्ोत बन गया । �
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