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समाज का झुकाव भी सपा-कांग्ेस के पक् में रहाI लेकिन चुनाव के बाद दलित जनता को यह समझ आया कि विपक् ने उसके साथ किस प्रकार से छल किया है ।
आरक्षण पर कांग्रेस की सोच सरे विपक्ष सकतरे में
आरक्ण के मुद्े पर कांग्ेस नेता राहुल गांधी के सपष्टीकरण से विपक् के वह नेता भी सकते में है , जो विपक्ी एकता के नाम पर कांग्ेस का राजनीतिक सहयोग करते आ रहे है । विशेर् रूप से दलित , पिछड़े एवं आदिवासी वर्ग के नेता यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर आरक्ण के नाम पर कांग्ेस किस खेल को खेलने की तैयारी कर रही है । बहुजन समाज पाटसी ( बसपा ) की नेता मायावती ने दलित वर्ग की जनता को कांग्ेस और राहुल गांधी से सजग रहने की सलाह दी है । उनहोंने कहा कि केंद्र में लंबे समय तक सत्ा में रहते हुए कांग्ेस पाटसी की सरकार ने ओबीसी आरक्ण को लागू नहीं किया । देश में जातीय जनगणना कराने वाली पाटसी अब इसकी आड़ में सत्ा में आने के सपने देख रही है । कांग्ेस नेता कह रहे हैं कि भारत जब बेहतर पसथवत में होगा तो वह दलित , आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग का दिया जा रहा आरक्ण खतम कर देंगे । सपष्ट है कि कांग्ेस वर्षों से आरक्ण को खतम करने के र्ियंत्र में लगी है । इनके इस नाटक से सचेत रहें जो आगे कभी भी जातीय
जनगणना नहीं करा पाएगी । मायावती ने खुल कर घोर्णा की है कि दलित वर्ग की जनता कांग्ेस नेता राहुल गांधी से सतर्क रहें ।
आरक्षण और कांग्रेस
कांग्ेस वर्षों से इनके आरक्ण को खतम करने के र्ियंत्र में लगी है । केनद्र की सत्ा में रहने के दौरान कांग्ेस सरकार में आरक्ण का कोटा पूरा नहीं किया । कांग्ेस नेता जवाहरलाल नेहरू की दलित विरोधी नीतियों के कारण बाबा साहब डा . भीमराव आंबेडकर ने कानून मंत्री पद से इसतीफा दे दिया था । वर्तमान में भारत एक परमाणु संपन्न महाशक्त के रूप में विशि मंच पर सथावपत है । लेकिन अभी भी भारत की छवि को क्वत पहुंचाने के लिए योजनाबद्ध रूप से मिथया और भ्रमातमक विर्यों तथा अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों की समसयाओं के नाम
पर अधिक दुष्प्रचार किया जा रहा है । दलित समाज के सनदभ्ग में बड़ी प्रमुखता से यह प्रचार किया जा रहा है कि उनकी दीन और दयनीय दशा के लिए तथाकथित हिनदू समाज की कुछ जातियां ( ब्राह्ण और क्वत्रय ) ही मुखय रूप से जिममेदार हैं । इतना ही नहीं , प्रायः तथाकथित वामपंथी और हिनदू विरोधी विद्ान यह विचार प्रकट करते हैं कि दलित जातियां हजारों वर्षों से हिनदू समाज में हैं और इसके पीछे वर्ण वयिसथा का हाथ हैI जबकि वासतविकता में भारतीय समाज में मुसलमान वर्ग और दलित जातियों का उदय एक साथ हुआ । अरब के विदेशी मुपसलम आरिांता शासकों के छह सौ वर्षों के शासन काल से लेकर अंग्ेिों के 190 वर्षों के शासनकाल तक , दमन एवं दालान के उपरांत दलित बनाए गए लोगों की पसथवत एक श्रमिक , कामगार या नौकर से जयादा नहीं थी
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8 vDVwcj 2024