कषांग्रेस नषेतषा रषािुल रषांधी कषा घषातक ब्षान कषांग्रेस की आरषामी कषा््ग्ोजनषा को सिषट करनषे कके लिए कषाफी है । 2014 कके बषाद िषे चुनषावी रषाजनीति में िरषातषार पीछे हो रही कषांग्रेस अब खुल कर भषारत और भषारत की िषामषाशजक व्वस्था को नषट करनषे की शदिषा में चल पड़ी है ।
कि भाजपा अगर चुनाव जीतेगी तो संविधान बदल दिया जाएगा , जिससे आरक्ण समापत हो जाएगा । इस मुद्े ने आग में घी का काम किया । विपक् यह प्रचारित करता रहा कि अगर भाजपा को चार सौ सीट मिली तो नया संविधान बनाया जाएगा । दलित , पिछड़े , वनवासी वर्ग की वह जनता , जो मोदी सरकार की लोककलयाणकारी योजनाओं से लाभापनित होकर अपनी दीन दशा को बदलने में सफल हुई थी , वह भी विपक् द्ारा फैलाए गए मनोवैज्ावनक भय का शिकार हो गई और भाजपा के विरुद्ध मतदान करने के लिए बड़ी संखया में उतरी । इस भ्रमित जनता
को समझने और उनके भ्रम को दूर करने में भाजपा नेता असफल हुए , इसमें कोई संदेह नहीं है । भाजपा के बड़े नेताओं को सफाई देनी पड़ी कि वह न तो संविधान बदलेंगे , न आरक्ण खतम करेंगे , लेकिन दलितों और पिछड़े वर्ग के मधय संघ और भाजपा नेताओं के पुराने बयान भुनाए गए , जिनमें आरक्ण की समीक्ा करने की बात कही गई थी । इस प्रचार का वयापक असर हुआ और उत्र प्रदेश , राजसथान और हरियाणा में भाजपा के बड़ा वोट विपक् के पास चला गया ।
कांग्ेस के भ्रमजाल में विशेर् रूप से ग्ामीण
क्ेत्र की गरीब वर्ग की दलित , आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग की जनता फंसती चली गई । उत्र प्रदेश में भाजपा ने पिछले दस िर््ग से सवर्ण वोटबैंक के साथ ही गैर-यादव पिछड़ा वर्ग और गैर-जाटव दलितों को जोड़कर नई सोशल इंजीनियरिंग बनाई थी । लेकिन भाजपा के समीकरण फेल हो गए । संविधान और आरक्ण के मुद्े को जिस तरह विपक् ने उठाया , उसके चलते भाजपा पिछड़ गई । गैर-यादव पिछड़ा वर्ग की मललाह , कुमसी और मौर्य-कुशवाहा जैसी जातियां भाजपा से दूर होकर सपा और कांग्ेस के साथ चली गईं । संविधान के नाम दलित
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