दर्शन में हमेशा राजनीतिक शुचिता के पालन को प्राथमिकता दी । यही कारण है कि भारतीय जनता पाटसी ने भ्रष्टाचार मु्त शासन के संकलप को अपनी कार्यपद्वत में जोड़ाI इसी का परिणाम है कि आज विशि में भारत की साख में वृवद् हुई है तथा जनता का शासन में विशिास बढ़ा है । पंडित जी का मानना था कि सामाजिक नयाय के उद्ेशयों को प्रापत करने के लिए सभी िगयो में
साधन , वयप्तगत गतिविधि एवं सामाजिक विशेर्ाधिकारों के अवसरों का सममानपूर्ण बंटवारा होना चाहिए । साथ ही देश में समाज के हर वयप्त के जीवन में समाज के साथ आतमीयता का होना नितानत आवशयक है । इसके लिए उनहोने कर्तवयबोध पर बल दिया । पंडित दीनदयाल जी ने कहा कि भारतीय विचार सहयोग एवं परसपर पूरकता को प्रधानता देती है । हमारी प्रतयेक सामाजिक परिकलपना वयप्त की पूर्णता का विचार करती है ।
अगर विचार किया जाए तो एकातम मानवतावाद वयप्त के विभिन्न रूपों और समाज की अनेक संसथाओं में सथायी संघर््ग या हित
विरोध नहीं मानता । समानता न होते हुए भी एकातमता हो सकती है । पंडित दीनदयाल उपाधयाय का मानना था कि भारतिर््ग विशि में अपनी सांस्कृतिक संसकारों के कारण हमेशा प्रथम रहेगा । उनके द्ारा सथावपत एकातम मानववाद की परिभार्ा वर्तमान परिप्रेक्य में जयादा सामयिक हैI उनहोंने कहा था कि वयप्त का शरीर , मन , बुद्धि और आतमा अगर ठीक रहेंगे तभी वयप्त को सुख और वैभव की प्रापपत हो सकती है । सामानयत : वयप्त शरीर , मन , बुद्धि और आतमा इन चारों की चिंता करता है । वयप्त की इसी सिाभाविक प्रवृति को पं . दीनदयाल उपाधयाय ने एकातम मानववाद की संज्ा दी । पंडित दीनदयाल उपाधयाय कहते हैं कि विशि को भी यदि हम कुछ सिखा सकते हैं तो उसे अपनी सांस्कृतिक सहिष्णुता एवं कर्तवय- प्रधान जीवन की भावना की ही शिक्ा दे सकते हैं ।
अर्थ , काम और मोक् के विपरीत धर्म की प्रमुख भावना ने भोग के सथान पर तयाग , अधिकार के सथान पर कर्तवय तथा संकुचित असहिष्णुता के सथान पर विशाल एकातमता प्रकट की है । ऐसा नहीं कि पं दीनदयाल का ‘ एकातम मानववाद ’ महज एक वैचारिक अनुष्ठान था । इसमें राजनीति , समाजनीति , अर्थवयिसथा , उद्ोग , उतपादन , शिक्ा , लोक- नीति आदि पर वयापक और वयािहारिक नीति- वनदवेश शामिल थे , जिनहें आज केंद्र में शावर्त भाजपा सरकार अपना मार्ग-दर्शक सिद्धांत मानती है । प्रधानमंत्री मोदी द्ारा पेश की गयीं जयादातर योजनाएं- दीनदयाल उपाधयाय ग्ामीण-कौशल योजना , सटाट्ट-अप व सटैंड-अप इंडिया , मुद्रा बैंक योजना , दीनदयाल उपाधयाय ग्ाम जयोवत योजना , सांसद आदर्श-ग्ाम योजना , मेक-इन-इंडिया आदि एकातम मानववाद के सिद्धांतों से प्रेरित हैं और ‘ सबका साथ , सबका विकास ’ जैसा नारा भी उनहीं की ‘ अंतयोदय ’ ( समाज के अंतिम वयप्त का उतथान ) की अवधारणा पर आधारित है ।
पंडित जी के चिंतन को धयान में रखकर पूरे साल मनाये गए भारतीय जनता पाटसी पंडित
दीनदयाल जनम शताबदी िर््ग का मूल लक्य गरीबों , दलितों , पिछड़ों और वंचितों तक वह सब सुविधाएं पहुंचाना रहा , जिसके लिए वह सालों से इंतजार करते हुए राह देख रहे थे । कांग्ेस एवं सामयिादियों की विचारधारा , देश में नयायपूर्ण शासन की सथापना करने में पूरी तरह विफल रही । इतना ही नहीं , कथनी-करनी के अंतर के कारण देश की जनता ने उनहें नकार दिया । कांग्ेस के लमबे शासनकाल में उपेवक्त एवं वंचित िगयो को आधारभूत सुविधाओं का लाभ पारदशसी तरीके से नही मिला , जिसका परिणाम यह निकला कि ग्ामीण क्ेत्र में गरीबी का प्रभाव बढ़ गया तथा शहरी क्ेत्र में दलित , पिछड़ा एवं आर्थिक रूप से गरीब वर्ग मलिन बपसतयों में रहने को मजबूर हुआ । इसके विपरीत देश में आधारभूत सुविधाओं के प्रमुख मानक - सामाजिक सुरक्ा , खाद् सुरक्ा , ऊर्जा , आवास , पेयजल , सिचछता एवं शौचालय निर्माण , सिासथय एवं शिक्ा के लक्यों को हासिल करने के लिए भारतीय जनता पाटसी की केनद्र एवं राजय सरकारो ने अभूतपूर्व कदम उठाए है जो भारतीय जनता पाटसी के अनतोदय की नीतियों को संकलप के साथ लागू करने का परिणाम है ।
केनद्र में सत्ारूढ़ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृति वाली भाजपा सरकार ने देश में आर्थिक सशक्तकरण के इन मानकों को प्रापत करने के लिए जहां एक और आधार कानून के द्ारा वयिसथा की पारदर्शिता को उत्रदायी बनाया । वहीं उज्जवला योजना , दीन दयाल ग्ाम जयोवत योजना , सिचछता अभियान , योग दिवस अभियान जैसे काय्गरिमों में जन सहभागिता द्ारा देश में एक सकारातमक वातावरण का निर्माण किया । प्रधानमंत्री नरेनद्र भाई मोदी के नेतृति में गरीब एवं वंचित वर्ग के आर्थिक समावेशन के लिए जन-धन अभियान एवं सभी िगयो के लिए बीमा के माधयम से सामाजिक सुरक्ा की योजनायें , अनतोदय की दिशा में मील का पतथर साबित हो रही है और अब तमाम योजनाओं का लाभ वासति में दलितों , पिछड़ों और वंचितों तक पहुंच रहा है । सभी के लिए आवास तथा हर हाथ को काम , हर खेत को पानी के लक्य को
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