क्ण है । उनके आदर्श और विचार अतयंत प्रभावशाली हैं । हमें पंडित जी के बारे में विसतार से सीखना चाहिए और उनके दर्शन को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए । उनहोंने दीनदयाल उपाधयाय की शिक्ाओं के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर देते हुए कहा कि उनका धयान वयप्तगत विकास पर था , वयप्तयों को समाज का अभिन्न अंग बनने के लिए सश्त बनाना । उनहोंने समाज के अंतिम वयप्त की जरूरतों को पूरा करने के महति पर जोर दिया , जो अंतयोदय की अवधारणा में समाहित है , जिसका उद्ेशय सबसे अधिक हाशिए पर पड़े वयप्तयों का उतथान करना है ।
प्रधषानमंत्री नषे अर्पित की श्रद्धषांजलि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाधयाय को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की । श्री मोदी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाधयाय की अंतयोदय की अवधारणा विकसित भारत के संकलप को प्रापत करने में अमूलय भूमिका निभाएगी ।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि महान राष्ट्िादी विचारक पंडित दीनदयाल उपाधयाय जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन । अंतयोदय की उनकी अवधारणा विकसित भारत के संकलप की सिद्धि में अमूलय भूमिका निभाने वाली है । देश के लिए उनका समर्पण और सेवा भाव अविसमरणीय रहेगा ।
उनहोंने कहा कि दीनदयाल जी का अधययन करते हुए धयान रखना पड़ेगा कि वह कितने दूरदशसी थे । समय बदल रहा है , तकनीकी आ गई है , सोच बदल गई है , पर वह दूरदशसी थे । विचारक , दार्शनिक और सामाजिक हितकारी थे । ्यों ? उनका केंद्र वयप्त विकास पर था , वयप्त को बल मिले , वयप्त समाज का एक ऐसा अंग बने कि वह सकारातमक रूप से अपना सहयोग दे पाए समाज को । दीनदयाल जी का अधययन कीजिए , उनके आदशथों को समझिए , उनकी सोच को समझिए , उनके दर्शन को समझिए और कोशिश कीजिए कि आप उनका अनुपालन कर पाएं । दूसरा , राष्ट्वहत और देश सेवा को निजी और राजनीतिक सिाथ्ग से ऊपर रखें । ऐसी कोई पररपसथवत नहीं है कि हम राष्ट्वहत को हमारे निजी सिाथ्ग और राजनीतिक सिाथ्ग से काम आंके । जो ऐसा करते हैं , वह गलतफहमी में हैं उनकी सराहना कभी नहीं करनी चाहिए चाहे देश में या चाहे बाहर कोई भी , जो हमारे राष्ट्ीय हित को नुकसान पहुंचाता है , वह हमारा हितैर्ी नहीं है ।
और यह सोच आज भारत की राजनीति को प्रभावित कर रही है । आज के दिन , यदि आप देखोगे , भारत की जो विकास यात्रा है , जिसको हम कह सकते हैं , हर घर शौचालय , हर घर नल , हर घर बिजली , आदमी को मकान मिले प्का , उसके हाथ को काम मिले , उसको शिक्ा मिले , उसको वह सब सुविधाएं प्रापत हों जो हर किसी को प्रापत हैं । इसी को तो कहते हैं अंतयोदय । आखिरी आदमी की चिंता करने का अर्थ है कि हम सृष्टि की चिंता कर रहे हैं , हम पूरे पृथिी की चिंता कर रहे हैं । यह सोच बड़ी मुपशकल से आती है ्योंकि जब भी आदमी को अवसर मिलता है , खुद के बारे में सोचता है , खुद के नजदीकी लोगों के बारे में सोचता है , और कुछ हद तक समाज की भी सोच लेता है । राष्ट्िाद को धयान रखते हुए हर हालत में इस बात का धयान दीजिए कि हम राष्ट् के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं । हम भारतीय हैं , भारतीयता हमारी पहचान है , राष्ट्धर्म हमारा सबसे बड़ा धर्म है ।
काय्गरिम में उपराष्ट्पति धनखड़ ने सामूहिक कार्रवाई का आह्ान किया , छात्रों , वशक्कों और
सभी उपपसथत लोगों को अपनी मां के नाम पर पेड़ लगाने की प्रधानमंत्री की पहल में भाग लेने के लिए प्रोतसावहत किया । उनहोंने कहा कि अपनी मां के नाम पर पेड़ लगाने से गहरा जुड़ाि महसूस होता है । वह सभी लोगों से आग्ह करते हैं कि इस साठ एकड़ के परिसर में पेड़ लगाएं और ककृवर् संसथानों के मार्गदर्शन में उनकी देखभाल करें । उनहोंने कहा कि आज , मुझे दो दूरदशसी नेताओं की याद आ रही है , जिनका जनमवदन एक ही दिन है । पंडित दीनदयाल उपाधयाय और चौधरी देवी लाल दोनों निसिाथ्ग विचारक थे , जिनहोंने अपना जीवन समाज को वापस देने के लिए समर्पित कर दिया । उनहोंने बताया कि कैसे नए संसद भवन के प्रेरणा केंद्र में चौधरी देवी लाल की प्रतिमा को देखने से गहरा जुड़ाि महसूस हुआ , जिससे उनहें याद आया कि कैसे पूर्व- उपप्रधानमंत्री ने उनहें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया । उपराष्ट्पति ने भारत की कड़ी मेहनत से प्रापत सितंत्रता के महति के बारे में चर्चा करते हुए युवाओं से आपातकाल के दौर से सीख लेने का आग्ह किया । उनहोंने कहा कि हमें भारत की सितंत्रता के महति को पहचानना चाहिए , जिसे बहुत संघर््ग के बाद हासिल किया गया । ' संविधान हतया दिवस ' हमें याद दिलाता है कि कैसे एक वयप्त ने हमारे अधिकारों को कमजोर किया और अपने पद को सुरवक्त रखने के लिए आपातकाल लगाया , जिससे सितंत्रता का वयापक हनन हुआ । उपराष्ट्पति ने युवाओं को पारंपरिक रासतों से आगे निकलकर अवसरों को अपनाने के लिए प्रोतसावहत किया और कहा कि असफलता से कभी न डरें , यह किसी भी प्रयास का सिाभाविक हिससा है । आपके लिए अवसरों का विसतार हो रहा है । आज , भारत को निवेश और अवसर के लिए पसंदीदा गंतवय के रूप में देखा जाता है , न केवल सरकारी नौकरियों के कारण बपलक संभावनाओं के वयापक वक्वति के कारण ।
काय्गरिम में राजसथान के राजयपाल हरिभाऊ बागड़े , राजसथान के उपमुखयमंत्री िलॉ . प्रेम चंद बैरवा , पंडित दीनदयाल उपाधयाय शेखावाटी विशिविद्ालय के कुलपति प्रो . अनिल कुमार राय और अनय गणमानय वयप्त भी उपपसथत थे । �
vDVwcj 2024 47