Oct 2024_DA | Page 25

संग्ही प्रवृवत् का नहीं होता । वह प्रककृवत से उतना ही लेता है जितना उसे जरूरत है , ऐसे जनजाति समाज के अपसतति को बचाना हम सभी का कर्तवय बनता है । वर्तमान में समाज में जो विमर्श भ्रम फैला रहे हैं , उस भ्रामक विमशथों से समाज को बचाने के लिए हमारे विमर्श सथावपत होने चाहिए । वर्तमान समय में हमारा विमर्श हमारी संस्कृति अरणय संस्कृति है । नगरवासी-वनवासी हम सब भारतवासी इस धयेय वा्य पर वनवासी कलयाण आश्रम कार्य कर रहा है I
जनजाति समाज को खतरा है बांगिादरेशी घुसपैठियाें सरे
सममेलन में राष्ट्ीय जनजाति सुरक्ा मंच के राष्ट्ीय सह संयोजक डा . राजकिशोर हांसदा ने लव जेहाद और लैंड जेहाद की समसया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह समसया झारखंड के संताल परगना क्ेत्र में दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ रही है । वहां घुसपैठ कर आए बांगलादेशी मुसलमान संथाली जनजाति लड़वकयों को झांसे में लेकर विवाह करते हैं और जनसंखया बढ़ाने के साथ जमीन भी हड़प रहे हैं । इसके विरुद्ध सभी को महाभारत छेड़ कर अपने बहन-बेटी , जंगल-जमीन के साथ धर्म की रक्ा भी करना होगा .
मतांतरित लोगाें सरे उत्र-पूर्व की संस्कृ ति को खतरा
नागालैंड के िलॉ . थुंबई जेलियांग ने उत्र-पूर्व के राजयों में धमाांतरण विर्य पर कहा कि मतांतरित लोग वहां के सथानीय लोगो को ही बाहरी साबित करने पर लगे हुए है । वनवासी कलयाण आश्रम द्ारा संचालित विद्ालयों के साथ देश के अनय सथानों में सथानीय बच्चों को पढ़ने की सुविधा से धमाांतरित लोग विचलित हो गए हैं I
माओवाद सरे पीड़ित है जनजाति समाज
छत्ीसगढ़ प्रांत के संगठन मंत्री रामनाथ ने बसतर के माओवाद समसया पर कहा की जिस जनजाति का अपसतति जंगल होता है , उस जंगल में माओवादियों द्ारा लैंड माइंस बिछाए गए हैं । जहां वह सितंत्र रूप से जा नहीं सकते हैं । वहां के लोगों को सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ता है । सबके पास आधार कार्ड नहीं है । आधार बनाने के लिए शहर जाते हैं तो मुखबिर बता कर माओवादी परेशान करते हैं । मौलिक अधिकारों का हनन होता है । सरकारी विद्ालयों और आंगनबाड़ी के प्के मकानों को तोड़ दिया जाता है ्योंकि वहां सुरक्ा बल रहने आते हैं । शिक्ा से वंचित रखकर माओवादी अशिक्ा के आड़ में ग्ामवासियों को अपने पक् में कर लेते हैं । ऐसे जनजाति क्ेत्रों में शिक्ा सिासथय संगठन के कार्य वयापक रूप में करने की आवशयकता है I
तीन दिवसीय सममेलन में अंडमान और निकोबार द्ीप समूह , लद्ाख , जममू , कशमीर , पूिाांचल और दवक्ण भारत के राजयों सहित देश के सभी राजयों से जनजाति प्रतिनिधि और कार्यकर्ता उपपसथत रहे । सममेलन के 12 सत्रों में सभी कार्यकर्ताओं के साथ देश के विभिन्न भागों में वनवासी कलयाण आश्रम की गतिविधियों और काय्गरिमों सहित विभिन्न मुद्ों पर चर्चा की गई । प्रांतों के कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने काय्गरिमों का वृतकथन रखा और अधिकारियों
का मार्गदर्शन प्रापत किया ।
जानकारी हो कि अखिल भारतीय वनवासी कलयाण आश्रम विभिन्न प्रांतों में अपने संबद्ध इकाइयों के माधयम से जनजाति समाज के सिाांगीण विकास हेतु शिक्ा , सिासथय , ग्ाम विकास , सिािलंबन इतयावद के 22152 प्रकलपों का संचालन देश के 17394 सथानों पर कर रहा है । वनवासी कलयाण आश्रम द्ारा प्रतयेक तीन िर््ग में अखिल भारतीय कार्यकर्ता सममेलन आयोजित किया जाता है .
सममेलन में देश की 80 विभिन्न जनजाति प्रतिनिधियों के द्ारा उनके अपने रीति रिवाज और परंपरा के अनुसार अपनी जनजाति पूजा पद्धति का प्रदर्शन कर ‘‘ एकता का संदेश '' देते हुए सांस्कृतिक काय्गरिम प्रसतुत किए । सममेलन सथल पर वनवासी कलयाण आश्रम की प्रगति , उपलपबधयों और मुखय काय्गरिमों की चित्र प्रदर्शनी लगाई गई और पुसतकों की वबरिी के केंद्र भी लगाए गए ।
जनजाति परमपरागत पूजा पद्धति का निदर्शन
सममेलन परिसर में जनजाति समाज की पूजा पद्धतियों को भी सामने रखा गया । सममेलन सथल पर बनाए गए पंडाल के अलग- अलग स्टॉल पर देश की विभिन्न जनजातियों द्ारा अपने-अपने रीति-रिवाज , परमपरागत पूजा पद्धति को दिखाया गया । इसका उद्ेशय भारत की एकातमता के दर्शन कराना रहा । कोई साकार को पूजते है , तो कोई निराकार को । आयोजन में विविधता के साथ एकति की अनुभूति हुई , जो हिंदू धर्म-संस्कृति के साथ सभी को जोड़ती है । सममेलन के दौरान रेखा नागर और डा . मदन सिंह वासकेल द्ारा लिखित रानी दुर्गावती , डा . राजकिशोर हांसदा द्ारा लिखित संताल जनजाति की सृष्टि कथा , रामलाल सोनी द्ारा लिखित अपनों के अपने जगदेव राम और विवेकानंद द्ारा अंग्ेिी में लिखित गलोबल जेनोसाइड ऑफ इंडीजीनस पीपलस नामक पुसतक सहित कुल चौदह पुसतकों का विमोचन किया गया । �
vDVwcj 2024 25