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भ्रामक विमर्श से ब्चाना

होगा जनजाति समाज को

वनवषािी कल्याण आश्रम कके तीन दिवसीय राष्ट्ी् सम्मेलन में जनजषातीय कल्याण कके लिए कषा््ग करनषे कषा आह्वान

अजीत कुमषार सिंह

दे श भर में अनुसूचित जनजातियों के लिए

काम कर रहे वनवासी कलयाण आश्रम
का तीन दिवसीय राष्ट्ीय कार्यकर्ता सममेलन समवेत-2024 हरियाणा पसथत समालखा में गत 20 सितंबर से 22 सितंबर के मधय संपन्न हुआ । सेवा , साधना एवं ग्ाम विकास केंद्र ( समालखा ) में आयोजित सममेलन का उदघाटन गुजरात के प्रसिद्ध भागवत कथाकार रमेश भाई ओझा के करकमलों द्ारा हुआ । सममेलन में राष्ट्ीय सियं सेवक संघ के सरसंघचालक डा . मोहन भागवत ने सभी प्रतिनिधियों से अपने क्ेत्र में जाकर जनजाति बंधुओं के बीच में वयापक रूप से कार्य करने का आह्ान किया ।
सिक्कम की बहनों द्ारा बुद्ध प्रार्थना की प्रसतुवत से आरमभ हुए उद्धघाटन सत्र में कथाकार रमेश भाई ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी को परमातमा ने जीवन एक साथ जीने के लिए दिया है । जिंदगी को पार्टनरशिप में जीना चाहिए । भागवत में तीन संदेश है - मनुष्य को मनुष्य के साथ कैसा
वयिहार करना चाहिए , समग् सृष्टि और जीव जंतु से कैसा वयिहार करें और प्रककृवत के साथ कैसा वयिहार करना चाहिए । यह तीनों वरियाएं मनुष्य के यज् को ऊंचाइयों तक ले जाते हैं जो समाज के कलयाण और राष्ट् निर्माण में सहायक होते हैं । उनहोंने कहा कि मैं सभी साधु-संतों को भी वनवासी क्ेत्रों में कथा और प्रवचन के लिए बोलते रहता हूं ताकि देश की अखंडता और एकता कायम रहे दूसरे विधमसी वहां पहुंच कर उसका लाभ ना उठाएं ।
उदघाटन सत्र में राष्ट्ीय सियं सेवक संघ के सह-सरकार्यवाह रामदत् ने कहा कि तीन िर््ग पशचात वनवासी कलयाण आश्रम के 75 िर््ग पूर्ण होने जा रहे हैं । सभी कार्यकर्ता यहां से
संकलप लेकर जाएं कि जिन जनजातियों में हमारा काम नही है , वैसे जनजातियों के बीच भी हम कार्य का विसतार करें ।
कार्यकर्ता सममेलन में वनवासी कलयाण आश्रम के राष्ट्ीय अधयक् सतयेंद्र सिंह ने कहा कि जनजाति समाज विशाल सनातनी समाज का आधार सतंभ है । हम सभी का िड़-नाल वनों में ही गड़ा हुआ है । प्राचीन वेदों की रचना में वनवासी समाज का भी अहम योगदान रहा है । सभी जनजाति समाज के पर्व-तयौहार एवं पूजा पद्धति सनातनी परंपरा से मिलते हैं , जिसका भाव एक ही है । अलग करने का र्ड्ंत्र अंग्ेिों की देन है जिनहोंने इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पुसतकों के माधयम से रचा । जनजाति समाज
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