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डा . आंबेडकर के नाम पर झूठ फै ला रहे हैं नवबौद्ध

अरुण लवशन्षा

इसलाम और ईसाईवादी नवबौद्ध भार्ा विज्ानविद् यह साबित करने में जुटे हुए हैं कि वेदादि ग्ंथ बुद्ध के बाद अपसतति में आए और सर्वप्रथम पाली में लिखे गए । ब्राह्णों ने इसके पशचात् पाली से संस्कृत में इनका अनुवाद किया । यह साजिश डा . आंबेडकर के नाम पर ही रचकर दलितों को सफलतापूर्वक भ्रमित करके बरगलाया भी जा रहा है ।

जबकि डा . आंबेडकर ने अपनी पुसतक ' बुद्ध और उसका धमम ' के प्रथम कांड , प्रथम विभाग , जनम से प्रवजया में सिद्धार्थ गौतम के बचपन तथा शिक्ा के बारे में लिखा है कि जिनहें शुद्धोदन ने महामाया के सिप्न की वयाखया करने के लिए बुलाया था और जिनहोंने सिद्धार्थ के बारे में भविष्यवाणी की थी , वह ही आठ ब्राह्ण उसके प्रथम आचार्य हुए । धयान देने की बात है कि डा . आंबेडकर ने भी अपनी बचपन की शिक्ा को लेकर अपने जीवन की प्रथम , वद्तीय और तृतीय मधुर समृवतयां अपने ब्राह्ण आचायथों के साथ ही जुड़ी हुई मानी है ।
सिद्धार्थ गौतम के जनम की कथा बताते हुए डा . आंबेडकर ने लिखा है कि उस रात शुद्धोदन और महामाया निकट हुए और महामाया ने गर्भ धारण किया । राजकीय शैयया पर पड़े-पड़े उसे नींद आ गई । वनद्राग्सत महामाया ने एक सिप्न देखा । उसे दिखाई दिया कि चतुर्दिक्
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