जागरूक कर समाज में नई चेतना पैदा कर िमी िमी आर्थिक सिि पर सारे वनवासमी शोषण के विरुद्ध संगठित होने लगे । भगवान बिरसा के नेतृति में लोगों ने बेगािमी प्रथा के विरुद्ध जबर्दसि आंदोलन छेड़ दिया , परिणामसिरूप अंग्ेज और अंग्ेज पोषित ज्मीिारों और जागमीििारों के घरों तथा खेतों और वन कमी ज्मीनों पर कार्य में रुकाि्ट आ गई । इसके कारण जनजािमीय समाज अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो गए । बिरसा के आह्ान पर जनजािमीय समाज एकजु्ट होने लगा । अपने अधिकारों के प्रति सचेत होने लगा । बिरसा ने जनजातियों को शोषण कमी भट्टमी से बाहर निकालने के लिए अनेक प्रयास किए और उनहें संगठित भमी किया । बिरसा मुंडा के प्रभाव कमी वृद्धि के बाद पमूिे क्ेरि के मुंडाओं में संगठित होने कमी चेतना जागमी और वह एकवरित होने
लगे । 1897 से 1900 के बमीच मुंडाओं और अंग्ेजमी सिपाहियों के बमीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने हर बार अंग्ेजों कमी नाक में दम कर दिया ।
उलर्ुलान का आह्ान
बिरसा ने अंग्ेजों के शोषण , अनयाय और अतयाचार के विरुद्ध उलगुलान का आह्ान किया । बिरसा के इस आह्ान के बाद विद्रोह कमी आग द्रुतगति से चारों ओर फैलने लगमी । उनहें यह विशिास हमी गया कि बिरसा हमी उनके अधिकारों और ज्मीनों को वापस दिला सकता है । इसके बाद अंग्ेजों के विरुद्ध बड़ी संखया में लोग विद्रोह पर उतर आए । 1 अ््टटूबर 1894 को बिरसा मुंडा के नेतृति में मुंडाओं ने अंग्ेजों से लगान ( कर ) माफमी के लिए आंदोलन किया । 1895
में जब धििमी आवा ने यारिा निकािमी तो गांव-गांव के लोगों ने इसका समर्थन किया । बिरसा के इस आंदोलन से अंग्ेजों कमी नींव तक हिलने लगमी । कहा जाता है कि विद्रोह कमी इस जिािा ने अंग्ेजों कमी नींद उड़ा िमी थमी । अंग्ेजों को पता था कि विद्रोह का नेतृति विरसा मुंडा कर रहे हैं । देश भर में हुए इस संघर्ष से वरिव्टश डर गए और जनजािमीय समाज को बदनाम करने और बां्टने कमी साजिश रचने लगे । 1895 में हमी बिरसा मुंडा को गिरफिाि कर साल के लिए हजािमीबाग केन्द्रीय कारागार में डाल दिया था । अंग्ेजों ने कार्रवाई करते हुए बिरसा को गिरफिाि कर लिया और दंगे-फसाद का आरोप में उनको दो साल कमी सजा सुनाई गई । बिरसा को गिरफिाि कर रांचमी लाया गया । मुंडा और उसके सहयोगियों पर रांचमी के उपायु्ि को ्ट में नवंबर 1895 में सुनवाई शुरू हुई । 19 नवंबर के आसपास सुनवाई पमूिमी हुई और बिरसा एवं उनके सहयोगियों को दो- दो साल कमी सजा सुनाई गई । इसके अतिरि्ि बिरसा पर पचास रुपए का आर्थिक दंड भमी लगाया गया । पचास रुपए का आर्थिक दंड न चुका पाने के कारण छह माह कमी अलग सश्् सजा सुनाई गई । बिरसा के सहयोगियों को बमीस-बमीस रुपए का आर्थिक दंड लगाया गया , न चुका पाने कमी कसथवि में िमीन-िमीन माह कमी कड़ी सजा सुनाई गई । सजा सुनाने के बाद बिरसा को उनके साथियों के साथ हजािमीबाग केन्द्रीय कारागार भेज दिया गया । बिरसा के अनुयायमी उनहें जेल से मु्ि कराने के लिए कोशिश करने लगे । रांचमी जिले के रमूं्टमी , तोरपा , तमाड़ , किमी , बसिया एवं सिंहभमू् जिले के चक्रधर थाने में विद्रोह कमी आग भड़क उठमी । आंदोलनकारियों ने अंग्ेजों , पुलिस थानों एवं अंग्ेज अधिकारियों के आवास पर हमला कर दिया । इस घ्टना के बाद बिरसा के शिषयों का उनके प्रति विशिास और अधिक दृढ हुआ । बिरसा के नेतृति में आंदोलन कमी आग तेजमी से फैलने लगमी । पुलिस थानों पर हमलों ने अंग्ेजमी सरकार को अंदर तक झकझोर दिया । तमाम दसिािेजों एवं उपलबध जानकारियों को पढ़ने के बाद पता चाहता है कि उ्ि घ्टना के बाद अंग्ेजमी सरकार ने डोरंडा कसथि सेना के
uoacj 2024 49