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बढ़िा गया । बिरसा का आकर्षण भमी वैषणि के प्रति था । बिरसा भमी वैषणि बन गए । बिरसा के अनुयायियों का दावा है कि पा्टपुर में बिरसा को महाप्रभु विषणु भगवान के दर्शन भमी हुए थे । बिरसा तुलसमी पमूजन भमी करते थे । षड्ंरिपमूि्खक जनजातियों को गैर सनातनमी दिखाने का प्रयास किया जाता है , जबकि जनजािमीय समाज परंपरा सनातन संस्कृति के वाहक हैं । आनंद पांडे के पास बिरसा का िमीन साल गुजरा और 1893-94 तक वह वहां रहे । 1894 तक वह यौवन अवसथा में आ चुके थे ।
जब लोर्ों ने धरती आबा कहना शुरू कर लद्या
1894 में बारिश न होने के कारण भयंकर अकाल पड़ गया और महामािमी फैल गई । उस समय बिरसा मुंडा एवं उनके शिषयों ने न केवल लोगों कमी सेवा कमी , बकलक उनहें अंधविशिास कमी जाल से बाहर निकालने का प्रयास किया । 1895 के आसपास बिरसा भगवान कमी तरह उभरे । लोगों का कहना था कि बिरसा के पास चमत्कारी शक्ि है , जिससे वह सािमी बमी्ारियों नो्टो्ट ने को िमूि कर सकते हैं । लोग तो यहां तक कहने लगे कि मुट्टमीको अनाज को वह कई गुणा बढ़ा सकते हैं । छो्टा नागपुर में जब अकाल पड़ा , तब बिरसा ने अपने शिषयों के साथ मिलकर लोक् कमी अथक सेवा और सहायता कमी , बिरसा कमी सेवा भावना ने मनुषय से राजा दिला दिया । एक बार कमी बात चलकंद में बिरसा अपने साथियों के साथ जंगल जा रहे थे , उसमी समय बिजिमी कड़कमी और बिरसा पर वगिमी , लेकिन बिरसा को कुछ भमी नहीं हुआ । साथियों ने इस कहानमी को गांव वालों को सुनाया । ग्रामीण भमी सुनकर आशचय्खचकित सा गए । उसके बाद लोग उनहें धििमी आबा कहकर पुकारने लगे बानमी भगवान मानने लगे ।
आंदोलन की पृष्ठिभूमि
1895 में पोराहा्ट क्ेरि में लगाए गए वन प्रतिबंध को लेकर वनवासियों के मन में भयानक आक्रोश था , ्योंकि वनवासियों कमी जमीिनचर्या
हो वनों से जुड़ी हुई थमी । प्रतिबंध के कारण जनजातियों को वन एवं वन उतपाि से वंचित कर दिया गया , परिणामसिरूप जनजातियों के सामने बड़ी समसया खड़ी हो गई । जनजािमीय समाज वरिव्टश सरकार के दमन और शोषण कमी चक्की में पिस रहा था । उनकमी हालत दिनोंदिन बद से बदतर हो रहमी थमी । वनवासियों कमी ज्मीनों को छमीना जा रहा था । अंग्ेजों कमी निरंकुशता ने वनवासियों के मन में पनप रहमी विद्रोह कमी चिंगािमी को और सुलगा दिया । वनवासियों कमी दुर्दशा और अंग्ेजमी सरकार कमी अंसेवदनशमीििा को देखकर बिरसा ने आंदोलन करने का संकलप लिया और उनहोंने वनवासियों को एकजु्ट करना शुरू कर दिया । भगवान बिरसा ने अपने समाज को शोषण कमी भट्टमी में झुलसने से बचाने के लिए िमीन सिि पर समाज को संगठित करना
आवशयक समझा । उनहोंने कहा कि जनजािमीय समाज को एक-िमूसरे के प्रति सहयोग कमी भावना विकसित करनमी होगमी । हमािमी आपसमी िड़ाई और असहयोग कमी भावना के कारण हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ा है । भगवान बिरसा के इस जनजागरण से वरिव्टश बौखला गए । बिरसा के जनजागरण का प्रभाव हमी था कि लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने लगे , परिणामसिरूप अंग्ेज और अंग्ेज पोषित महाजन , जमींदार बिरसा के विरुद्ध षड़यंरि रचने लगे । भगवान बिरसा कमी िमूसिमी महतिपमूण्ख पहल थमी आर्थिक सुधार । इस सुधार के माधय् से बिरसा जनजािमीय समाज को अंग्ेज और अंग्ेज पोषित ज्मीिािमी एवं जागमीििारों के आर्थिक शोषण से मुक्ि दिलाना चाहते थे । भगवान बिरसा ने सामाजिक और आर्थिक सिि पर
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