Nov 2024_DA | Page 50

tUefnu fo ' ks " k

कमान अधिकािमी को आदेश दिया कि 150 माल जवानों के साथ रमूं्टमी रवाना हो । सरकार का आदेश मिलने के अब बाद आयु्ि भमी रमूं्टमी चल पड़े ।
अंग्ेजों के विरुद्ध बिरसा के नेतृति में मुंडाओं का 1897 से 1900 तक लंबा संघर्ष चला । इस बमीच बिरसा और अंग्ेजों के बमीच युद्ध होते रहे । ओज और तेज से भरपमूि भगवान बिरसा ने अंग्ेजों के हौसले पसि कर दिए । मुंडाओं के कमान से निकले हुए िमीिों ने वरिव्टश सैनिकों को मैदान से ह्टने के लिए विवश कर दिया था । इसमी बमीच अंग्ेजमी सरकार कमी सैनय ्टुकड़ी पहाड़ों कमी तरफ चल पड़ी । 9 जनििमी 1900 का दिन भाििमीय सििंरििा संग्ा् के इतिहास का एक ऐसा दिन है , जिसके पन्ने सैकड़ों झारखंडियों के रमून से लिखे गए । वहां जल , जंगल और ज्मीन बचाने के लिए वनवासियों का जु्टान हो रहा था । अंग्ेजों के विरुद्ध उलगुलान कमी रणनमीवि भमी बन रहमी थमी । डोंबािमी बुरु कमी पहावड़यां कड़ाके कमी ठंड में कोहरे के आगोश में थीं । कुछ हमी देर में अंग्ेज सैनय दसिों का सामना आंदोलनकािमी वनवासियों से हुआ । पारंपरिक हथियार िमीि-धनुष , भाला ,
कुलहाड़मी इतयावि से लैस आंदोलनकारियों का उतसाह सातवें आसमान पर था । अंग्ेजमी अधिकारियों ने बैठक कर रहे आंदोलनकारियों को आत्समर्पण करने के लिए कहा , परंतु जोश एवं उतसाह से भरपमूि वनवासियों के सामने अंग्ेजों कमी एक नहीं चिमी । बिरसा मुंडा के अननय भ्ि नरसिंह मुंडा ने आगे आकर अंग्ेजों को ललकारा और कहा कि यहां हमारा राज है , तुम अंग्ेजों का नहीं । हम अपने अधिकारों के लिए अंतिम सांस तक िड़ने के लिए तैयार हैं । इतना सुनते हमी वरिव्टश सैनिकों ने उन पर हमला बोल दिया । अंग्ेजों ने आंदोलनकारियों पर गोिमी चलाना शुरू कर दिया । वरिव्टश सैनिक और बिरसा के नेतृति वािमी मुंडाओं के बमीच भयंकर युद्ध हुआ । वनवासियों ने अंग्ेजों का ड्टकर सामना किया परंतु अतयाधुनिक हथियारों से लैस गोिमी-बारूद वाले अंग्ेजों के सामने आखिर िमीि-धनुष कब तक व्टकते । देखते-हमी-देखते डोंबािमी बुरू कमी पहावड़यां रमून से लाल हो गई । वनवासियों ने काफमी देर तक अंग्ेजों का मुकाबला किया । सैकड़ों वनवासमी औरतें और नवजात बच्े मारे गए । क्रूर अंग्ेजमी सरकार का
यह सा्मूवहक कतिेआम था ।
भर्वान बिरसा का बलिदान
9 जनििमी 1900 को डोबािमी बुरू कमी पहावड़यों में बिरसा मुंडा के िमीि योद्धाओं ने प्राणों कमी आहुति िमी । इसके बाद अंग्ेजों ने बिरसा मुंडा कमी तलाश तेज कर यह डोंबािमी बुरू से किसमी तरह निकल चुके थे । बिरसा अग्ेजों को पकड़ से बाहर थे । अंग्ेजों ने बिरसा को पकड़ने के लिए एड़ी-चो्टमी एक कर िमी । घोषणा कमी गई कि बिरसा कमी गिरफ्तारी में सहायता करने वालों को पांच सौ रूपए का इनाम दिया जाए‌गा । इसमी बमीच किसमी ने बिरसा के ठिकाने कमी समूचना अंग्ेजों को दे िमी । अंग्ेजों ने समूचना पाकर गुपचुप ििमीके से बिरसा के ठिकानों पर धावा बोलकर 3 फिििमी 1900 को उनहें गिरफिाि कर लिया । बिरसा कमी गिरफ्तारी कमी समूचना हवा कमी गति से चारों तरफ फैल गई । गिरफ्तारी के समय भमी भगवान बिरसा के मुख कमी लालिमा धमूव्ि नहीं हुई थमी , उनके चेहरे पर मुसकान थमी । जेल जाने के बाद भमी वह हमेशा वनवासियों को लेकर चिंतित रहे । वह अपने बारे में सोचने के बजाए गिरफिाि हुए अनुयायियों के बारे में सोचा करते थे । कहा जाता है कि धििमी आबा ने अपने अनुयायमी भििमी मुंडा को कहा था कि वह लोग नयायालय में उनके वानमी भगवान बिरसा के बारे में किसमी भमी तरह कमी जानकािमी से अनवभज्िा जाहिर करें ताकि वह लोग सजा से बच सकें ।
बिरसा ने 1897 में कारावास से मु्ि होने के बाद अंग्ेजों के विरुद्ध जिस सशसरि क्रांति का आह्ान किया , वह उनकमी गिरफ्तारी ( 1900 ) तक चलता रहा । कारावास में िमी गई यातनाओं के कारण 9 जमून 1900 को रांचमी जेल में हमी सुबह आठ बजे बिरसा रमून कमी उल्टमी कर , अचेत हो गए और उनकमी मृतयु हो गई । मारि 25 साल कमी जिंदगमी में बिरसा मुंडा ने वह कर दिखाया जो किसमी मनुषय को युगपुरुष बनाता है । जनजाति समाज ने जमीिे-जमी हमी उनहें धििमी आबा यानमी धििमी का भगवान माना । मृतयु से आज तक भाििमीय जनमानस के अंतर्मन में भगवान बिरसा बसे हुए हैं । �
50 uoacj 2024