Nov 2024_DA | Page 13

उसकमी साख बढ़मी है । कई क्ेरिों में भाििमीय परमपिा तथा भावना में अनिवन्खवहि विचारों का सम्ान बढ़ा है । विशिबंधुति कमी भावना , पर्यावरण के प्रति हमािमी दृष्टि कमी स्वीककृवि , योग इतयावि को विशि नि : संकोच स्वीकार कर रहा है । इससे समाज में विशेषकर युवा पमीढ़मी में " सि " का गौरव बोध बढ़ता जा रहा है । विशिास है कि देश कमी युवा शक्ि , मातृशक्ि , उद्य्मी , किसान , श्व्क , जवान , प्रशासन , शासन सभमी , प्रतिबद्धतापमूि्खक अपने-अपने कार्य में ड्टे रहेंगे ।
महापुरुषों का अभिनंदन
सरसंघ चालक डा . मोहन भागवत ने कहा कि महारानमी दुगा्खििमी कमी जन्जयंिमी का 500वां वर्ष , पुणयशिोक अहिलयािेिमी होलकर कमी जन्जयंिमी का 300वां वर्ष , आर्य समाज के संसथापक महर्षि दयानंद सरस्वती कमी जन्जयंिमी 200वां वर्ष पमूिा देश मना रहा है । बिरसा मुंडा कमी जन्जयंिमी का 150वां वर्ष भमी आगा्मी नवंबर माह से आरमभ होगा । भारत वर्ष के नवोतथान कमी यह सभमी प्रेरक शक्ियां हैं । रामराजय सदृश जैसा वातावरण निर्माण
करने में प्रजा कमी गुणवत्ा , चारित्र्य तथा सिधर्म पर दृढ़िा होना अनिवार्य है । वैसा संसकाि एवं दायितिबोध उतपन्न करने वाला " सतसंग " अभियान परमपमूजय अनुकूलचनद्र ठाकुर के द्ािा प्रवर्तित किया गया था । वर्तमान बांगिािेश तथा तत्कालीन उत्ि बंगाल के पाबना में जन् लेने वाले श्री अनुकूलचनद्र ठाकुर होमियोपैथमी चिकितसक थे । वह अपनमी माता के द्ािा हमी अधयात् साधना में दीक्षित थे । वयक्िगत समसयाओं को लेकर उनके समपक्क में आने वाले लोगों में सहज रूप से चरिरि विकास तथा सेवा भावना के विकास कमी प्रक्रिया हमी ' सतसंग ' बनमी , जिसे 1925 में धर्मार्थ संसथा के रूप में पंजमीककृि किया गया । 2024 से 2025 ‘ सतसंग ’ के मुखयािय देवघर ( झारखंड ) में उस कर्मधारा कमी भमी शताब्दी मनाई जाएगमी । विकास के अनेक उपक्रमों को लेकर यह अभियान आगे बढ़ रहा है । भगवान बिरसा मुंडा कमी जन्जयंिमी जनजािमीय बंधुओं कमी गुला्मी तथा शोषण से , सििेश पर विदेशमी वर्चसि से मुक्ि , अकसिति एवं अकस्िा कमी रक्ा एवं सिधर्म रक्ा के लिए भगवान बिरसा मुंडा द्ािा प्रवर्तित
उलगुलान कमी प्रेरणा का स्िण करािमी है । भारत के बढ़ते कदम
भारत को एकात् , सुख शाकनि्य , समृद्ध एवं बल संपन्न बनाने में कर्तवय कमी भमूव्का को रेखांकित करते हुए सरसंघचालक डा . भागवत ने कहा कि समाज सियं जागता है , अपने भागय को अपने पुरुषार्थ से लिखता है , तब महापुरुष , संगठन , संसथाएं , प्रशासन , शासन आदि सहायक होते हैं । इसलिए ‘ सि गौरव ’ कमी प्रेरणा आवशयक है । हम कौन हैं ? हमािमी परमपिा और हमारा गंतवय ्या है ? भारतवासियों को विविधताओं के बावजमूि जो बड़मी , सर्व समावेशक , प्राचमीन काल से चििमी आ रहमी मानिमीय पहचान व्िमी है , उसका सपष्ट सिरूप ्या है ? इसका ज्ान होना आवशयक है । सि-गौरव कमी प्रेरणा का बल हमी जगत में उन्नति एवं सिाििंबन का कारण बनने वाला वयिहार उतपन्न करता है । इसको सििेशमी का आचरण कहते हैं । राष्ट्रीय नमीवि में उसकमी अभिवयक्ि बहुत बड़मी मारिा में , समाज में दैनंदिन जमीिन में वयक्ियों द्ािा होने वाले सििेशमी वयिहार पर निर्भर कििमी है । इसमी को सििेशमी का आचरण कहते हैं । अपनमी परंपरा का धयान रखना हमी सििेशमी वयिहार है । सब क्ेरिों में देश के सिाििंबमी बनने से सििेशमी वयिहार करना सरल होता है । इसलिए सििनरि देश कमी नमीवि में देश के सिाििंबमी बनने का परिणाम देने वािमी नमीवि जुड़नमी चाहिए । साथ हमी समाज को सििेशमी वयिहार को जमीिन तथा सिभाव का अंग बनाना हो होगा , तभमी भारत के बढ़ते हुए कदमों को गति मिल सकेगमी । जानकािमी हो कि दशहरा पर्व पर आयोजित समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में भाििमीय अंतरिक् अनुसंधान संगठन ( इसरो ) के पमूि्ख अधयक् डा . कोवपकलिि राधाककृषणन के साथ विदर्भ प्रांत के संघचालक , सह संघचालक , नागपुर महानगर के संघचालक सहित अधिकािमी गण , नागरिक , माता भगिनमी तथा बड़मी संखया में सियंसेवक उपकसथि रहे । �
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