Mummatiya by Dharmendra Rajmangal Mummatiya by Dharmendra Rajmangal | Page 5

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जूनपुर गााँव का एक िोहल्ला. बेहद पतली गली और उस गली िें बने हुए बेहद घने िकान. इतने घने कक एक छत पर ककसी तरह चढ़ जाओ तो पूरे िोहल्ले की छतों पर घूि लो. सारे िकानों की ऊीं चाई एक जैसी थी.
लगता था जैसे पूरे िोहल्ले के िकान एक साथ एक एक इींच नाप कर बनाये गये हैं. लेककन ऐसा नही था. इन्हीीं िें से एक घर रािचरन का था. रािचरन के पाींच भाइयों के िकान भी उन्हीीं के िकान से सिे हुए बने थे.
रािचरन के चार बेिे और एक बेिी थी. बेिी किला सबसे बड़ी थी. उम्र थी कोई सोलह सरह साल की. रािचरन ने बेिी को बड़े होते देख आसपास के लोगों और ररकतेदारों से कह रखा था कक उनकी बेिी के लायक कोई लड़का हो तो बता दें.
रािचरन की पत्नी सुशीला ने अपनी लडकी को हर काि पहले से ही मसखा रखा था. घर की रोिी बनाने से लेकर खेत और पशुओीं का काि भी किला को खूब आता था.
रािचरन ककसी लोहे के कारखाने िें बैश्ल्डींग करने का काि करते थे. घर खचच के टहसाब की तनख्वाह तो मिल जाती थी लेककन जोड़ सकने को कु छ न बच पाता था. लेककन कफर भी रािचरन ने बेिी की शादी के मलए थोडा सा पैसा जोड़ मलया था. अब इन्तजार था तो मसफच ऐसे घर का श्जसिें अपनी लडकी को भेज सकें.
इस सिय गााँव िें सब लोगों की यही राय हुआ करती थी कक लडकी श्जतनी जल्दी अपने घर को ववदा हो चली जाए उतना अच्छा है. यही कारण था कक सोलह सरह साल की किला घर वालों को बोझ लगने लगी थी. हालााँकक सब किला को चाहते थे. पूरे खानदान की सबसे बड़ी और सबसे पहली लडकी थी किला.
वैसे एक घर था श्जसिें रािचरन अपनी लडकी किला का ररकता कर सकते थे. घरवार भी िीक था और लड़का भी जाना पहचाना था. लेककन एक ही टदक्कत थी कक उसकी एक शादी पहले से हो चुकी थी और दो बच्चे भी थे. पत्नी की िौत हो चुकी थी. जो रािचरन के खानदान की ही थी.
इस कारण रािचरन उस लडके को जानते थे. अच्छा लड़का कहीीं न मिलने के कारण रािचरन अपनी लडकी की शादी इसी लडके से करने के मलए राजी हो गये. जो इस वक्त दो लड़ककयों का बाप था और उम्र भी किला से बहुत अधधक थी.
रािचरन ने झिपि उस लडके के घर बात की और अपनी लडकी किला का ररकता उस घर िें तय कर