Mummatiya by Dharmendra Rajmangal Mummatiya by Dharmendra Rajmangal | Page 4
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भ म ू िका-
िम्िटिया उपन्यास एक ऐसी स्त्री की कहानी है जो अपने जीवन िें आयी तिाि िुश्ककलों को झेलते हुये
आगे चलती चली जाती है । एक अकेली स्त्री और सािने खडी पहाड सी िुश्ककलें । साथ िें अगर वो ववधवा
हो तो उसके मलये श्जन्दगी और ज्यादा कटिन हो जाती है ।
एक िटहला किला जो आगे बढकर अपने आप और अपने बच्चों को सुखी दे खना चाहती है , वहीीं द स
री
तरफ उसे द ख
दे कर पीछे धकेलने वाले लोग लगातार उसको हानन पहुींचाये जाते है । लेककन वो स़्त्री इतनी
जल्दी हार िानना नही चाहती ।
वो पहले ही अपनी श्जन्दगी िें बहुत कुछ खो चुकी है । अब उसे िुश्ककलों से लडने का अभ्यास सा हो गया
है । कफर वो क्योंकर पीछे हि जाये ? आखखर ये उसकी और उसके बच्चों की श्जन्दगी का सवाल है ।