Mummatiya by Dharmendra Rajmangal Mummatiya by Dharmendra Rajmangal | Page 16
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वाडच के बाहर बैिी अभागन सुहागन किला को अभी तक नही पता था कक वो ववधवा हो चुकी है . वो तो
टदल िें अपने पनत को िीक होते दे खने की कािना मलए हुई थी. भला कोई स्त्री पहले से अपने पनत के
प्रनत ऐसी कािना क्यों रखने लगी.
उसी सिय डॉक्िर का कम्पाउीं डर बाहर आया और बोला, “भैया ये रणवीर नाि के िरीज के साथ कौन
है ?” किला बबजली के करीं ि की गनत से खड़ी हो बोली, “हााँ भैय्या बताओ. हि हैं उनके साथ.”
किला के साथ शोभराज और आटदराज के साथ साथ उसके वपता और भाई भी बैिे हुए थे . घूींघि ककय
बैिी किला को ककसी का ध्यान न रहा. उसे तो बस अपने पनत की कुशलिेि जाननी थी. अभी कम्पाउीं डर
कुछ कहता उससे पहले ही शोभराज बोल पड़ा, “हााँ भाई बताओ क्या बात है ? कोई दवाई बगैरह आनी ह
क्या?” कम्पाउीं डर अधीरता से बोला, “आना कुछ नही है बस आप िेरे साथ आ जाओ.”
इतना कह कम्पाउीं डर अींदर की तरफ चल पड़ा. शोभराज उसके पीछे पीछे चल टदया. किला का िन नही
िाना तो वो भी इन दोनों के पीछे पीछे चल दी. अींदर पहुींचते ही डॉक्िर ने शोभराज से पूींछा, “आप कौन
है रणवीर नाि के िरीज के?”
शोभराज ने झि से उत्तर टदया, “जी भाई है वो िेरा और ये किला उसकी बीबी है . ” डॉक्िर का टदल बतान
िें घबरा रहा था. बोला, “दे खखये सब्र से काि लीश्जयेगा. िुझे बताते हुए बहुत खेद है कक रणवीर को हि
लोग बचा नही सके .”
किला तो जैसे इस बात को सुन ही न पायी थी. उसे डॉक्िर की बात का जरा भी यकीन नही हुआ . घूींघि
ककये खड़ी किला ने अपना घूाँघि ऊपर ककया और डॉक्िर की तरफ भयावह नजरों से दे ख बोली, “ये क्या
बोल रहे हैं डॉक्िर साहब आप? अरे शुभ शुभ बोमलए.”
डॉक्िर च प
चाप बैिा रहा. वो जानता था ये औरत अपने पनत के मलए ऐसा क्यों कह रही है . उसने किला
से कहा, “आप इस कम्पाउीं डर के साथ जा अपने पनत को दे ख सकती हैं . ” शोभराज ऊपर से द ख
ी और अींदर
से अत्यींत ख श
हो रहा था.
किला कम्पाउीं डर से आगे आगे चल पड़ी. अभी तक उसकी आाँखों िें एक आसूीं भी नही था. शायद किला
का टदल डॉक्िर की बात पर यकीन ही नही कर पा रहा था. अींदर पहुींच किला ने जैसे ही रणवीर को दे खा
तो उसे यही लगा कक रणवीर अभी तक श्जन्दा है .
शाींत हो ि त
पड़े रणवीर को दे ख शायद ही कोई कह पाता कक वो िर चुका है . किला ने रणवीर के सर
को अपने हाथों िें ले टहलाकर दे खा. अब िन िाने या न िाने ककन्तु रणवीर अब इस द न ु नया िें नही था.
किला की रोने की दहाड़ें वाडच िें ग ाँ ू ज रहीीं थीीं . डॉक्िर ने आ किला को न रोने की टहदायत दे दी लेककन
किला पर इस टहदायत का कोई फकच नही पड़ा. शोभराज से डॉक्िर ने कहा, “अच्छा आप इन्हें बाहर ल