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किला बच्चों को टदल्ली नही ले जाना चाहती थी .
अभी कु छ सिय पहले पैदा हुआ छोिू तो मसफच एक डेढ़ साल का ही था . जो अभी तक अपनी िााँ किला का दूध पीता था लेककन किला आज उसे भी घर छोड़कर जा रही थी . छोिू को सम्हालने की श्जम्िेदारी सीिा की थी . जो घर िें इस वक्त सबसे बड़ी लडकी थी .
किला बच्चो को रोता बबलखता छोड़ अपने पनत व अन्य लोगों के साथ बैलगाड़ी िें बैि चुकी थी . श्जनिें शोभराज , आटदराज , किला के वपता रािचरन और किला का एक भाई शामिल था . बैलगाड़ी इन लोगों को सीधे बस स्त्िैंड पर ले पहुींच गयी .
वहाीं से सब लोग रणवीर को ले बस िें बैि गये . जो इन लोगों को ले टदल्ली की तरफ दौड़ चली . बस के पटहये के साथ रणवीर की उलिी धगनती शुरू हो चुकी थी . एक एक िण रणवीर के मलए पहाड़ों सा कटिन था .
रणवीर का शरीर बमलष्ि था . शरीर की ताकत ददच की तीव्रता को झेले जा रही थी लेककन ऐसा भी कब तक हो सकता था ? टदल्ली के नजदीक आते आते रणवीर का सारा बदन ननढाल होता चला गया . टदल्ली के बस स्त्िैंड पर बस रुकी तो रणवीर से खड़ा भी न हुआ गया .
चेहरे पर भयावह लकीरें थीीं श्जन्हें देख किला का कलेजा गले को आता था . शोभराज और आटदराज िन िें बहुत खुश थे लेककन उपरी दुुःख टदखाते हुए चल रहे थे .
किला के वपता और भाई भी बहुत घबरा रहे थे . बस स्त्िैंड से अस्त्पताल तक के मलए एम्बुलेंस कर ली गयी . रणवीर शायद अींनति सााँसे धगन रहे थे . किला हर िण भगवान से अपने सुहाग की रिा करने की भीख िाींग रही थी .
उसी एम्बुलेंस िें बैिे आटदराज और शोभराज भगवान से रणवीर की िौत िाींग रहे थे . एम्बुलेंस कु छ ही देर िें टदल्ली के िशहूर सरकारी अस्त्पताल िें जा पहुींची लेककन अब बहुत देर हो चुकी थी . रणवीर की साींसे तो चल रही थीीं लेककन जीने की ताकत अब बाकी नही थी .
रणवीर की गम्भीर हालत देख डॉक्िरों ने जल्दी से इलाज शुरू कर टदया लेककन इसका कु छ भी फायदा न हुआ . रणवीर को उलिी हुई श्जसिें खून काफी िारा िें था और थोड़ी ही देर िें रणवीर की साींसे थिने लगीीं .
डॉक्िरों ने जल्दी जल्दी रणवीर की छाती को दवाना शुरू कर टदया लेककन इसका भी कु छ फायदा न हुआ . देखते ही देखते रणवीर का बमलष्ि शरीर प्राणहीन हो गया . डॉक्िरों ने अपनी आखखरी कोमशश करनी भी रोक दी . जानते थे कक इस िरीज िें अब कु छ नही है .