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डा . आंबेडकर और राष्ट्रवाद ck

बासाहब डा . भीमराव आंबेडकर को जानने और समझने की सबसे बड़ी सीमा यह रही है कि या तो उनकी अनदेखी की गई या फिर उनकी पूजा की गई । जयादा लोग ऐसे हैं , जिनहोंने बाबासाहब के जीवन के किसी एक पहलू को उनका पूरा सवरूप मान लिया और उस र्ुकड़े में ही वह बाबासाहब का समग् चिंतन तलाशते रहे । बाबासाहब के लोकजीवन का विसिाि इतना बड़ा और विशाल है कि उसके किसी एक खंड की विशालता से विससमि होना बिलकुल मुमकिन है । कई लोग इस बात से चकित हैं कि अछूत परिवार में पैदा हुआ एक बच्चा अपने दौर का सबसे बड़ा विद्ान कैसे बन गया ! कोई कहता है कि बाबासाहब संविधान निर्माता थे , जो कि वह थे ।
कुछ लोगों की नजर में बाबासाहब अपने दौर के सबसे बड़े अर्थशासत्ी थे , जिनके अधययन के आलोक में भारतीय रिज़र्व बैंक की सथापना हुई , भारतीय मुद्रा और राजसव का जिनहोंने विसिाि से अधययन किया । कई लोगों की नजरों में बाबासाहब दलित उदािक हैं , तो कई लोग हिंदू कोड बिल के रचनाकार के रूप में उनहें ऐसे शखस के रूप में देखते हैं , जिनहोंने पहली बार महिलाओं को पैतृक संपतत् में हिससा दिलाने की पहल की और महिला समानता की बुनियाद रखी । श्रम कानूनों को लागू कराने से लेकर नदी घार्ी परियोजनाओं की बुनियाद रखनेवाले शखस के रूप में भी बाबासाहब को जाना जाता है । बाबासाहब के कायषों और योगदानों की सूची बेहद लंबी है ।
लेकिन , इन सबको जोड़ कर बाबासाहब की जो समग् तसवीर बनती है , वह निससंदेह एक राष्ट् निर्माता की है । बाबा साहब का भारतीय राष्ट् कैसा है ? कया वह राष्ट् एक नकशा है , जिसके अंदर ढेर सारे लोग हैं ? कया राष्ट् किसी झंडे का नाम है , जिसे कंधे पर लेकर चलने से
कोई राष्ट्वादी बन जाता है ? कया राष्ट् एक तसवीि है , जिसमें एक महिला भगवा धवज लेकर शेर की पीठ पर बैठी है , जिसे राष्ट्माता मान कर उसकी जय-जयकार करना जरूरी है ? कया भूगोल ने , पहाड़ और नदियों ने अपनी प्राककृतिक सीमाओं से घेर कर जमीन के एक र्ुकड़े को राष्ट् का रूप दे दिया है ? या फिर , कया हम इसलिए एक राष्ट् हैं कि हमारे सवाथ्ण और हित साझा हैं ? बाबासाहब का राष्ट् इन सबसे अलग है । धर्म , भार्ा , नसल , भूगोल या साझा सवाथ्ण
को , या फिर इन सबके समुच्चय को , बाबासाहब राष्ट् नहीं मानते । बाबासाहब का राष्ट् एक आधयासतमक विचार है । वह एक चेतना है । हम एक राष्ट् हैं , कयोंकि हम सब मानते हैं कि हम एक राष्ट् हैं ।
इस मायने में यह किसी सवाथ्ण या संकीर्ण विचारों से बेहद ऊपर का एक पतवत् विचार है । इतिहास के संयोगों ने हमें एक साथ जोड़ा है , हमारा अतीत साझा है , हमने वर्तमान में साझा राष्ट् जीवन जीना तय किया है और भविष्य के
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