May-June 2024_DA | Page 27

बुद ने भी सज्जन सदाचारी , क्षमाशील और तपसवी वयसकि को ' ब्ाह्मण ' माना है । ब्ाह्मणी के गर्भ से जनमे वयसकि को ' ब्ाह्मण ' नही माना , तथा तप , संयम , ब्ह्मचर्य , शम , दम , सतय आदि से युकि होकर वयसकि ' ब्ाह्मण ' बनता है-ऐसा कहा है । ( भिक्षु धर्मरहित जातिभेद और
बुद पृष्ठ-6 )
भगवान महावीर के अनुसार '' जो निसंग और निशोक है , और वाणी में रमता है , उसे हम ' ब्ाह्मण ' कहते हैं । जो तपे हुए सोने के समान निर्मल है , राग द्वेष और भय से अतीत है , उसे हम ' ब्ाह्मण ' कहते हैं । जो तपसवी क्षीणकाय , जितेसनद्रय , रकि और मांस से अपचित , सुव्रत और शांत है , उसे हम ' ब्ाह्मण ' कहते हैं । जो रिोध और लोभ , भय और हासयवश असतय नही बोलता-उसे हम ' ब्ाह्मण ' कहते हैं । जो सवगटीय , माननीय और पाशविक किसी भी प्रकार से
अब्ह्मचर्य सेवन नही करता , उसे हम ' ब्ाह्मण ' कहते हैं । जिस प्रकार जल में उतपन्न हुआ कमल उसमें ऊपर रहता है-उसी प्रकार जो काम भोगों से ऊपर रहता है , उसे हम ' ब्ाह्मण ' कहते हैं । ( उत्िज्जयणाणि , 25 महायज् )
इस प्रकार भारत के वैदिक धर्म की प्रतयेक शाखा वयसकि को ' ब्ाह्मण ' या ' आर्य ' बनने की ओर लेकर चलती प्रतीत होती है । मायावती इस धर्मरूपी पेड़ की जिस शाखा पर भी जाकर बैठेंगी वही उनहें ' ककृणवनिो विशवमार्यम् ' का गीत अपनी सवि लहरियों के साथ बहता जान पड़ेगा । भारत की राजनीति ' ककृणवनिो विशवमाय्रयम् ' के रहसय को समझने में असफल रही है । इसने अपने मूल और प्राचीन परंतु जितना प्राचीन है उतना ही अधुनातन अर्थात सनातन मूलय को किनारे करके चलने की मूर्खता की है और समाज में वयसकि को ' आर्य ' ना बनाकर उसे ' ब्ाह्मण ' ( जाति विशेर् ) गुर्जर , जार् , चमार , भंगी बनाना आरंभ कर दिया । मायावती सहित कोई भी राजनीतिज् ऐसा नही है जो वयसकि को उसकी जातिगत पहचान से बाहर निकालने का प्रयास करता दिखाई पड़ रहा हो । लगता है इन लोगों को देश के सनातन मूलयों से ही घृणा है , या फिर ये जानबूझकर अपने मूलयों से घृणा करने का नार्क कर रहे हैं ।
अपनी वर्तमान राजनीति के कारण हमने अपना भारी अहित कर लिया है । हमने जीवन की उच्चतम वयवसथा को प्रापि करने की अपनी संघर््णशील प्रवृतत् को रोककर ' जहां हैं , जैसे हैं ' उसी में प्रसन्न रहने की अवैज्ातनक , अतार्किक और अप्राककृतिक मानयिा को विकसित कर सवयं अपनी ही प्रतिभा की हतया कर ली है । हमने आरक्षण की वयवसथा इसलिए अपनायी कि हमारे समाज के प्रतयेक वयसकि की प्रतिभा का विकास हो और वह ' आर्य ' बन सके । पर यह आरक्षण की वयवसथा भी रोर्ी और रोजगार की दलदल में जाकर फंस गयी और आज यह सवयं अपनी असफलता पर आंसू बहा रही है , कयोंकि यह वयवसथा भी वयसकि को श्रेष्ठ न बनाकर केवल ' बाबू ' ही बना पायी है , जी हां वही ' बाबू ' जो सरकारी कार्यालयों में भ्रष्र्ाचार का बादशाह
कहा जाता है । निककृष्र् और दिशाविहीन सवाथटी राजनीतिक चिंतन की परिणति है-यह अवयवसथा । मनु महाराज ( मनु . 2.168 ) कहते हैं कि वेदादिशासत्ों को न पढऩे वाला ब्ाह्मण भी शूद्रतव को प्रापि हो जाता है । ज्ान और शिक्षा का अनुभव भी शूद्रतव का लक्षण है ।
लगता है सारी राजनीति इस समय सारे समाज को ही शूद्र बनाने की एक ' फैक्टरी ' में परिवर्तित हो गयी है । सारी वयवसथा शीर्ा्णसन कर गयी है । लक्य की पतवत्िा और उत्कृष्र्िा ( ककृणवनिो विशवमाय्रयम् ) भंग हो चुकी है और निककृष्र्िा अपना नंगा नाच नाच रही है । इसी के चलते कुछ लोग शूद्रों पर गुजरात में हमले कर रहे हैं , तो कुछ उन पर हमले करा रहे हैं , जबकि कुछ उन हमलों का मजा ले रहे हैं और कुछ उनहें रंगत देकर अपने सवाथ्ण साधने की चेष्र्ा कर रहे हैं । हमारा विवेक मर गया है , अपने ही बंधुओं को हमने निककृष्र् मानकर उनके साथ अनयाय करने का रिम छोड़ा नही है । जबकि आज की परिससथतियों में तो हमें सारी छोर्ी बातों को छोडक़र ' चोर्ी की साधना ' ( उत्कृष्र्िा की प्रासपि ) में लगना चाहिए था । पर जो लोग ' चोर्ी ' ( सिर पर रखी जाने वाली शिखा ) को पिछड़ापन मानते हों , उनहें कया पता कि यह चोर्ी ही तो थी जो हमें शिखर की चोर्ी ( ज्ान और प्रतिभा के पूर्ण विकास के उच्चतम शिखर ) को छूने के लिए सदैव प्रेरित करती रहती थी ।
प्रधानमंत्ी मोदी के यह शबद मार्मिक हैं कि- '' मेरे दलित भाईयों को मत मारो-चाहे मुझे गोली मार दो ।'' मोदी उस र्िय़ंत् को समझ रहे हैं-जो इस देश को बांर्ने के लिए किया जा रहा है और मायावती जैसे नेता उस र्िय़ंत् को हवा दे रहे हैं । जो लोग दलितों पर हमले कर रहे हैं-उनहें रूकना होगा और दलितों को ' आर्य ' बनाने के लिए अपने सनातन धर्म की परंपरा का निर्वाह करना होगा । प्रेम की सृसष्र् करते हुए स्ेह की दृसष्र् अपनानी होगी । साथ ही दलित भाइयों को भी समाज के रचनातमक और विवेकशील लोगों के साथ मिलकर भारत को पुन : जातिविहीन बनाने के संकलप के साथ उठ खड़ा होना चाहिए । �
ebZ & twu 2024 27