May-June 2024_DA | Page 26

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राकेश कुमार आर्य

जातिवाद के नाम पर देश

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रत मूल रूप में जातिविहीन देश है । इसका कारण यह है कि भारत का मूल चिंतन जातिविहीन और वर्ग विहीन समाज की संरचना पर बल देने वाला रहा है । हमारा आदर्श एक जाति विहीन समाज की संरचना करके प्रतयेक वयसकि को ' ब्ाह्मण ' बना देना है , आर्य बना देना है । ' सबका साथ- सबका विकास ' -भारत की गौरवमयी विरासत भी है और वसीयत भी है । इस संकलप में ना कोई पिछड़ा है और ना कोई अगड़ा है , ना किसी के लिए आरक्षण की वयवसथा है और ना किसी का तुसष्र्करण है । अपनी-अपनी प्रतिभा के विकास के लिए सबको समान अवसर देने की एक उत्कृष्र् मानवीय भावना है । सबको ' ब्ाह्मण ' बना देने का अभिप्राय है-जिसमें सांसारिक राग-द्वेष का लेशमात् भी ना हो , जो सब से प्रेम करता हो और जिससे सब प्रेम करते हों । ऐसी श्रेष्ठ वयवसथा को भारत ने न केवल अपने लिए अपने लिए उचित समझा है , अपितु विशव के लिए भी उचित समझा है ।
इसके उपरांत भी कुछ लोग आतमप्रवंचना के आतमघाती खेल में लगे रहे हैं । ऐसे लोगों की मूर्खताओं के कारण ही हमारा वासितवक धयेय ( सारे संसार को ' ब्ाह्मण ' यानी श्रेष्ठ या आर्य बनाना ) हमसे कहीं विलुपि हो गया । आज इस प्रकार की मूर्खता को समापि करने के लिए एक और बड़ी मूर्खता की जा रही है कि जो ऊंची श्रेणी के लोग हैं , उनहें नीचे खींचा जा रहा है , जिससे उनहें अपने साथ अनयाय होता दिख रहा है । फलसवरूप जातिवाद और भी अधिक फैल रहा है । सही बात यह होगी कि जो ऊंची श्रेणी के हैं , उनकी प्रतिभा और योगयिा का सममान यथावत रखते हुए अधिक धयान नीचे

को बांटने की कोशिश

की श्रेणी के लोगों में वैसी ही योगयिा और प्रतिभा का विकास करने पर लगाया जाए ।
अब जातीय विसंगतियों के विरूद विद्रोह की एक नई प्रतरिया का विकास होता जा रहा है । देश के दलितों में से अपने समर्थकों के बड़े समूह को साथ लेकर मायावती ने बौद बन जाने की धमकी दी । उनहें संभवत : यह लगता है कि इस प्रकार की धमकी के तरियानवयन के फलसवरूप वह भारत की कथित ब्ाह्मणवादी वयवसथा को या मनुवाद को तोड़ने में सफल हो जाएंगी । पर यह उनकी भूल ही होगी । कयोंकि
ब्ाह्मणवाद या मनुवाद किसी जाति विशेर् का पोर्क न होकर एक वयवसथा का पोर्क है और वह ' ब्ाह्मण ' उसी को मानता है जिसका बौतदक मार्गदर्शन पाकर लोग सवयं ही संतुष्र् और प्रसन्न हों । जबकि क्षतत्य वह है जिसके कारण लेाग अपने आपको सवयं ही सुरक्षित समझें । ' ब्ाह्मण ' अहंकारी या तानाशाही प्रवृतत् का नही हो सकता और क्षतत्य रिूि या निर्दयी नही हो सकता ।
मायावती जैसे कई नेता ऐसे हैं जो चाहे कहीं भी चली जाएं , इनसे अलग उनहें ' ब्ाह्मण ' या क्षतत्य की परिभार्ा तो उनहें नहीं मिलनी । भगवान
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