May-June 2024_DA | Page 25

कना्णर्क एवं पसशचम बंगाल में लमबे समय से मुससलम वर्ग को सुनियोजित रूप से ओबीसी वर्ग में शामिल करके सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा था । पसशचम बंगाल में जहां ओबीसी आरक्षण को िद् कर दिया गया है , वही कना्णर्क में भी पुनः लागू किए गए मुससलम आरक्षण पर नयायालय ने रोक लगा रखी है । तुसष्र्करण की नीति के तहत केरल में शिक्षा में 8 प्रतिशत और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण
का लाभ मुससलम समुदाय को मिल रहा है , तो तमिलनाडु में 3.5 प्रतिशत मुससलम वर्ग ओबीसी आरक्षण का लाभ उठा रहा है । तेलंगाना में 4 प्रतिशत , आंध्र प्रदेश में दस प्रतिशत मुससलम ओबीसी आरक्षण की श्रेणी में हैं । उत्‍तर प्रदेश हो या बिहार या फिर राजसथान सभी राजयों में ओबीसी श्रेणी में जाति के आधार पर आरक्षण की वयवसथा कांग्ेस या भाजपा विरोधी दलों की राजय सरकारों द्ािा की गई ।
हैरत का तवर्य यह भी है कि देश के संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है । मुससलम समुदाय के विद्ान भी यह दावा करते रहते है कि मुससलम समुदाय में जाति- उपजाति जैसी कोई कथित हिंदूवादी प्रथा नहीं है । संविधान निर्माता डा . भीमराव आंबेडकर भी कहते थे कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता । लेकिन 2004 में जब कांग्ेस नेतृतव वाली यूपीए सरकार सत्ा में आई तो धर्मानिरित ईसाई एवं मुसलमानों को दलित साबित करके , उनहें अनुसूचित जाति में शामिल करने का जो प्रयास प्रारमभ हुआ , उसका परिणाम
सच्चर कमेर्ी की रिपोर््ट के रूप में सामने आया । इसके बाद विभिन्न राजयों में ओबीसी आरक्षण की श्रेणी में मुससलम वर्ग को शामिल किया गया । वर्षों से धर्मानिरित ईसाई एवं मुसलमानों को आरक्षण का लाभ दिए जाने का मामला उच्चतम नयायालय में भी इस आधार पर विचाराधीन है कि मुससलम और ईसाई धर्म में छुआछूत और जाति जैसी कोई वयवसथा नहीं है तो उनहें आरक्षण कयों और किस आधार पर दिया जा सकता है ? 15 अगसि 1947 में जब देश सविंत् हुआ और डा . आंबेडकर को संविधान निर्माण का उत्िदायितव मिला तो उस समय डा . आंबेडकर ने भी धर्मानिरित ईसाई एवं मुसलमानों को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं किया । उनका मानना था कि ऐसी मांग के पीछे धर्मानििण को बढ़ावा देने वाली मानसिकता के अलावा कुछ नहीं था ।
फ़िलहाल कोलकाता उच्च नयायालय के निर्णय में बाद उत्ि प्रदेश के मुखयमंत्ी योगी आदितयनाथ की सरकार भी ओबीसी आरक्षण की समीक्षा करने की तैयारी कर रही है । राजय
में समाजवादी पार्टी की सरकार द्ािा 24 से अधिक मुससलम जातियों को आरक्षण श्रेणी में लाया गया था । राजसथान में भी ओबीसी आरक्षण में शामिल 14 मुससलम जातियों को दिए जा रहे आरक्षण को राजय के सामाजिक नयाय एवं अधिकारिता मंत्ी अविनाश गहलोत गलत बताया हैI उनका कहना है कि संविधान में बाबासाहब ने भी लिखा है कि धर्म के आधार पर किसी जाति या वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए , लेकिन कांग्ेस एवं अनय राजनीतिक दलों की तुष्र्ीकरण की राजनीति के लिए ऐसा गलत कार्य किया । राजय सरकार एक विशेर् समिति बनकर ओबीसी आरक्षण की समीक्षा करके नियमानुसार कार्रवाई जलद प्रारमभ करेगी । कोलकाता उच्च नयायालय के निर्णय पर सार्वजनिक रूप से अपनी असहमित वयकि कर चुकी मुखयमंत्ी ममता बनजटी ने उच्चतम नयायालय में जाने की घोर्णा की है । देखना यह होगा कि उच्चतम नयायालय इस संवैधानिक मामले में कया निर्णय सुनाता है कयोंकि यह मसला लमबे समय से वहां पर विचाराधीन है । �
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