May-June 2024_DA | Page 21

से भ्रष्र्ाचारमुकि विकासवादी परिवर्तन को गति देने का कार्य किया है । भारत को सविंत्िा मिलने के बाद अगर देश की राजनीति पर धयान दिया जाए तो यह कहना गलत नहीं लगता कि सविंत् भारत में पहली बार कोई ऐसा नेता जनता के सामने आया है , जिसने सत्ा संभालने के मधय उन मुद्ों और रणनीति को पीछे छोड़ दिया , जिस पर सविंत् भारत की नींव तर्की हुई थी । कांग्ेस ने कई दशकों तक सत्ा तो संभाली , पर देश की राजनीति
को जाति , धर्म , वर्ग एवं परिवारवाद के खानों में बांर् दिया । अपनी सत्ा को बरकरार रखने के लिए कांग्ेस ने जहां वामपंथियों , जातिगत और धर्म के आधार पर राजनीति करने वालों को अपने खेमे में बनाये रखने के लिए भ्रष्र्ाचार और जोड़-तोड़ का सहारा लिया , वहीं देश के विकास के नाम पर अमीरी-गरीबी की खाई को जानबूझकर बनाए रखने में कोई कमी नहीं छोड़ी । यही कारण रहा कि कांग्ेस और उसके सहयोगियों द्ािा पोतर्ि भारतीय राजनीति न
तो देश में कोई विशेर् परिवर्तन ला पायी और न ही विदेशों में भारत की छवि को लेकर कोई चमतकाि कर सकी । वैसशवक समुदाय की दृसष्र् में यह देश केवल एक विकासशील देश बन कर रह गया । लेकिन 2024 के चुनाव में प्रधानमंत्ी मोदी की शासन और प्रशासन वाली जन-उपकारी नीतियां और विकासवाद का एजेंडा ही आम चुनाव के केंद्र में है , जिसपर बहस करने सथान पर जनता को भ्रमित करके अपने हित साधने की पुरजोर कोशिश कर रहा है । �
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