May-June 2024_DA | Page 20

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भ्रमित करके धर्मानििण करने में ईसाई मिशनरियां सालों से सतरिय हैं , वही देश के ग्ामीण क्षेत्ों में मुससलम की बढ़ी संखया भी दलित और पिछड़ी जातियों के कराए गए धर्मानििण का परिणाम कही जा सकती है ।
भारत एक बार फिर राजनीतिक , आर्थिक परिवर्तन के साथ-साथ वैचारिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है । साथ ही विशव मंच पर अपनी अलग छवि एवं पहचान बनाने में सफल हो रहा है । भारत के बढ़िे कदमों को रोकने के लिए भारत विरोधी शसकियां बड़ी तीव्र गति से सतरिय हैं । भारत विरोधी शसकियां जहां विदेशी मंचों पर भारत विरुद बोल तथा कार्य कर रही हैं , वहीं भारत की भीतर की जाति संरचना की संवेदनशीलता एवं अतयंि कमजोर कड़ी पर दबाव बनाकर , उसके माधयम से सत्ा प्रासपि का प्रयास भी कर रही हैं । भारत जैसे लोकतासनत्क देश की सबसे कमजोर कड़ी जातिवाद पर आधारित समाज तथा देश की राजनीति है । जातिवाद , वंशवाद , सामप्रदायिकता जैसे हथियारों का कांग्ेस और उसके सहयोगियों ने इसिेमाल किया और देश की समृतद को लूर्ने में लगे रहे । इसके लिए कांग्ेस ने भारत विरोधी शसकियों से हाथ मिलाने में परहेज नहीं कियाI इनको राजनीति के चोले में वामपंथी शसकियां , जिहादी ततव और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ततवों के रूप में देखा जा सकता है । वामपंथी शसकियां , तो वह शसकियां हैं , जो भारत में रह कर काम करती है । यह उन कट्ि मुससलम संगठनों का इनहें तमत् भी कहा जा सकता है , जो जेहादी ततवों को लगातार देश में पोतर्ि कर रहे हैं । देश में जेहादी ततवों की संखया करोड़ों में है , जो भारत के र्ुकड़े-र्ुकड़े करने के लिए सतरिय हैं । इसके अलावा वामपंथी हर भारत विरोधी शसकियों के साथी है एवं इनका एकमात् लक्य भारत और हिनदू संस्कृति के समूल नाश पर तर्का हुआ है ।
2014 के लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद जब प्रधानमंत्ी के रूप में नरेंद्र मोदी ने सत्ा की कमान संभाली तो देश के विभिन्न भाजपा विरोधी खेमों में मायूसी
छा गयी । समय बीतने के साथ ही जब जनता के बीच मोदी सरकार ने अपने विकासवादी एजेंडे पर काम शुरू किया तो सवाभाविक था कि भाजपा विरोधियों को यह रास नहीं आया और फिर देश के अंदर ही अंदर कई आंदोलन के माधयम से प्रधानमंत्ी मोदी एवं उनकी सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई । उसी तरह से एक बार फिर विपक्ष और उसका सहयोगी तंत् बहुसंखयक हिनदू वर्ग को दलित , पिछड़े तथा वनवासी वर्ग में विभकि
करके संविधान को नष्र् करने के साथ आरक्षण समापि करने के भ्रामक दावों को चुनाव प्रचार में हथियार बनाकर प्रयोग कर रही है ।
विकासवाद के प्रवर्तक प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी
गत दस वर्षो में देश की नहीं , वरन विशव की जनता देख रही है कि राजनीति में विकासवाद के प्रवर्तक के रूप में सामने आए प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी की नीतियों ने किस तरफ
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