May-June 2024_DA | Page 14

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रूप से भी सक्षम बनने लगता है । इसी सिदांि को धयान में रखकर देश के इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने दलितों और गरीबों को आर्थिक रूप से शसकिशाली बनाने वाली अभिनव अर्थवयवसथा की नींव डाली । * आर्थिक परिवर्तन से बदलता परिदृशय * देश के दूसरे प्रधानमंत्ी सव . लालबहादुर शासत्ी ने एक नारा दिया था " जय जवान-जय किसान "। इस नारे ने देश में किसानों की महत्ा सथातपि करने का काम किया था । ठीक उसी तरह प्रधानमंत्ी मोदी ने " श्रमेव जयते " का नारा देकर इस कड़ी को आगे बढ़ाया है । श्रमेव जयते को जय मजदूर कहा जा सकता है । 2014 में प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने अपनी महातवाकांक्षी योजना पंडित दीनदयाल उपाधयाय श्रमेव जयते की शुरूआत की थी । यह एक अभिनव पहल कही जा सकती है । अभिनव इसलिए कि औद्ोतगक और शहरी विकास के लिए गरीब , दलित , पिछड़ा वर्ग की जनता ही श्रमिक के रूप में काम करती है और इस वर्ग का का शोर्ण होता था । श्रमेव जयते योजना इस मिथक को तोड़ने और श्रमिकों को महत्ा देकर , उनहें विकास तक पहुंचाने की एक कोशिश कही जा सकती है । यदि हम इसके तहत शुरू की गई योजनाओं को देखें तो इसमें हमें रोजगार , तकनीक और नवाचार सब कुछ मिलेगा । पहली बार प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं में गरीब , दलित वर्ग और महिलाओं को महतवपूर्ण सथान दिया ।
रोजगार मोदी सरकार के लिए प्राथमिकता भी थी और चुनौती भी । पूर्वविटी मनमोहन सरकार में बढ़िी मंहगाई और घर्िे रोजगारों से त्सि होकर ही जनता ने मोदी जी को सत्ा दी थी । सत्ा में आते ही कई कदम उठाये गए , जिनसे रोजगारों का वयापक सिि पर सृजन हो । प्रधानमंत्ी मुद्रा योजना साधारण वयवसायी या उद्तमयों के वरदान तसद हुई । प्रधानमंत्ी मोदी ने बैंकों को लक्य दिया कि बिना गारंर्ी लिए उनहें समाज के निचले वर्ग को ऋण उपलबध कराना है । मुद्रा बैंक यानी माइरिो यूनिटस डेवलपमेंर् फंड रिफाइनेंस एजेंसी के जरिए
प्रधानमंत्ी मुद्रा योजना में 10 लाख रुपये तक के ऋण दिए जा रहे हैं । इसका सीधा लाभ गरीब , दलित और महिलाओं को मिला है कयोंकि ऐसे वयवसायों में गरीब , दलित और महिलाओं की ही संखया सर्वाधिक है । इसी तरह केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का सीधा लाभ जनता को मिला है और इससे उनकी आर्थिक ससथतियों में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है । दलितों , गरीबों और समाज के अंतिम छोर पर खड़े लोगों के लिए जो योजनाएं लायी गई , उनमे मुखय रूप से सवचछ भारत अभियान , प्रधानमंत्ी जन धन योजना , बेर्ी बचाओ-बेर्ी पढ़ाओ योजना , अर्ल पेंशन योजना , गरीबों और दलितों के लिए कम खर्च पर दुघ्णर्ना बीमा योजना , सुकनया समृतद योजना , मुद्रा बैंक . भूमि सवास्थय कार्ड योजना , वयापारियों के लिए भीम आधार एप , प्रधान मंत्ी रोजगार प्रोतसाहन योजना और मेक इन इंडिया आदि प्रमुख है । दलितों , गरीबों और महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का जो नया कवच मिला , वह प्रधानमंत्ी मोदी की दूरदृस्टि
और दलितों एवं गरीबों के लिए समर्पित भाव से किये जा रहे काययो को दर्शाने के लिए काफी है ।
विपषि उसी पुरानी रणनीति पर
आठ सौ वर्षों तक भारत पहले मुससलम शासकों और फिर अंग्ेजों की दासता के बाद जब 1947 में सविंत् हुआ , उस वकि देश के दलित , गरीब और किसानों को लगा कि सविंत् भारत में बनने जा रही कांग्ेस के नेतृतव वाली सरकार उनकी भी सुधि लेगी । लेकिन दुःख की बात यह रही कि देश के गरीब दलित और किसानों को आजादी के 60 बाद तक केवल सपने दिखाए गए । रोर्ी , कपडा , मकान से लेकर बिजली , पानी और सड़क जैसी जीवन की मूल आवशयकता के लिए तरसने वाली जनसँखया के कलयाण की बातें , संसद से लेकर नुककड़ तक होने वाले राजनेताओं के भार्णों में सुनी जाती रही , लेकिन वासितवकता के धरातल पर
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