May-June 2024_DA | Page 10

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में कालपतनक खतरों को पैदा करके जनता को संगठित करने की अपनी रणनीति के तहत काम किया और दलित , पिछड़े और वनवासी वर्ग में बेचैनी पैदा करने में सफलता हासिल की । असुरक्षा की इस भावना ने वयापक हिंदुतव पहचान को खंडित कर दिया , जिसने उनहें एक दशक से अधिक समय तक भाजपा से बांधे रखा था । इस रणनीति से हिंदुतव की राजनीति तार-तार हो गई और जिस जातिवाद को तोड़ कर 2014 और 2019 में भाजपा जीती थी , उस पर जातिवाद की राजनीति हावी हो गई ।
संगठित विपषि की सफल हुई रणनीति
संगठित विपक्ष ने भाजपा को उत्ि प्रदेश , राजसथान , बंगाल , कना्णर्क जैसे कुछ राजयों में बड़ा झर्का दिया है । चुनाव परिणाम आने के बाद विपक्ष लगातरा यह प्रचारित करने में लगा हुआ है कि भाजपा भले ही चुनाव जीत गई है , लेकिन अपने लक्य से पीछे रह जाना उसके लिए बड़ी हार है । विपक्ष ऐसा करके जनता में यह संदेश देना चाहता है कि नरेंद्र
मोदी की लोकप्रियता अब ढलान पर है और उनहें हराया जा सकता है । लोकसभा चुनाव से पहले बिहार और कना्णर्क में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया था , लेकिन लोकसभा चुनाव में वैसा नहीं हुआ । मोदी-योगी छवि पर अतयतधक निर्भरता के कारण उममीदवार और कई कार्यकर्ता सुसि हो गए । इसके पीछे एक कारण यह भी रहा कि चुनाव से पहले विभिन्न दलों को छोड़कर आए नेताओं को आननफानन में तर्कर् देकर मैदान में उतार दिया गया और वर्षों से मेहनत कर रहे भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को अनदेखा किया गया ।
आरषिण में मुद्े पर असफल हुई रणनीति
भारत की राजनीति में जाति और आरक्षण एक ऐसा संवेदनशील मुद्ा है , जिसकी कोई भी दल अनदेखी नहीं कर पाया है । सविंत्िा के बाद से राजनीति में जाति की प्रधानता रही , पर 2014 के चुनाव के बाद मोदी सरकार ने जातिगत राजनीति को चरिवयूह को तोडा और गरीब , दलित , पिछड़ा , वनवासी , युवा , महिला ,
किसान के कलयाण के लिए काम किया । अबकी बार लोकसभा चुनाव में कांग्ेस और उसके गठबंधन के सहयोगियों ने दशकों पुरानी राजनीति पर काम करते हुए आरक्षण के मुद्े को उछाला । जनता के बीच आरक्षण के मुद्े के साथ ही यह भ्रम भी जोरशोर से फैलाया गया कि भाजपा अगर चुनाव जीतेगी तो संविधान बदल दिया जाएगा , जिससे आरक्षण समापि हो जाएगा । इस मुद्े ने आग में घी का काम किया । विपक्ष यह प्रचारित करता रहा कि अगर भाजपा को चार सौ सीर् मिली तो नया संविधान बनाया जाएगा । दलित , पिछड़े , वनवासी वर्ग की वह जनता , जो मोदी सरकार की लोककलयाणकारी योजनाओं से लाभासनवि होकर अपनी दीन दशा को बदलने में सफल हुई थी , वह भी विपक्ष द्ािा फैलाए गए मनोवैज्ातनक भय का शिकार हो गई और भाजपा के विरुद मतदान करने के लिए बड़ी संखया में उतरी । इस भ्रमित जनता को समझने और उनके भ्रम को दूर करने में भाजपा नेता असफल हुए , इसमें कोई संदेह नहीं है । भाजपा के बड़े नेताओं को सफाई देनी पड़ी कि वह
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