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सं्वैधानिक गणतंत्र

डा. आंबेडकर एक सामाजिक क्रान्तिकारी

श्ीमती रेणदुका रे

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ब भारत के विभाजन की कीमत पर आजादी आई, तो गांधी जी, पंडित नेहरू और अत््य नेताओं के अनुरोध पर संविधान सभा का गठन मक्या ग्या और इसके अधिकांश सदस्यों का चिुनाव विधान सभाओं ‌द्ारा मक्या ग्या । गांधी जी, पंडित नेहरू और अत््य नेताओं ने महसदूस मक्या कि न केवल उन व्यन्कत्यों को जो विधान सभाओं में थे, बल्कि जीवन में मभन्-मभन् क्ेरिों में प्रमतन््ठत मवमभन् पुरुषों और महिलाओं को भी संविधान सभा में उमचित स्ान मद्या जाना चिाहिए, ताकि ्यह वासतव में समदूचिे देश का, न केवल
उन व्यन्कत ्यों का जो सवतंरिता आंदोलन में आगे थे, प्रतिनिधितव कर सके । परिणामसवरूप, काफी संख्या में उन व्यन्कत्यों को संविधान सभा में सम्मिलित मक्या ग्या, जो राजनीतिक क्ेरि की बजाए, जीवन के अत््य मवमभन् क्ेरिों में प्रमतन््ठत थे । उनमें से सबसे उललेखनी्य नाम संभवतः डा. आंबेडकर का था, जो एक महान व्यक्तितव के धनी थे और संविधान का प्रारूप तै्यार करने वाली समिति के सभापति के रूप में जिनका ्योगदान अनदूठा था ।
डा. आंबेडकर दृढ़ इचछा शक्ति वाले व्यक्ति थे और जो कुछ भी उन्होंने ठीक समझा, उससे उन्हें आसानी से मवचिमलत नहीं मक्या जा सका । अनुसदूमचित जाति से संबंद्ध डा. आंबेडकर अपने
पद और स्थिति के बावजदूद जाति-प्रथा के कारण अनुमचित व्यवहार की कटुता से प्रभावित हुए । हालांकि वह गांधी जी की इस बात से पदूणतातः सहमत थे कि जाति के आधार पर कोई ' भेदभाव नहीं होना चिाहिए और सभी नागरिकों के साथ एक समान व्यवहार मक्या जाना चिाहिए, तथापि उन्होंने महसदूस मक्या कि इसके लिए गांधी जी का मार्ग सफल नहीं होगा, क्योंकि शतान्बद्यों से भारत में व्यापत जाति-प्रथा ने लोगों को रूढ़ और संकुमचित बना मद्या है । मेरे मवचिार से डा. आंबेडकर न केवल अनुसदूमचित जामत्यों के नेता थे, अथवा उन्हें केवल इसलिए आदर मद्या जाता है कि उन्होंने संविधान का प्रारूप तै्यार करने वाली समिति के सभापति के रूप में काम मक्या था, बल्कि वह उन नेताओं में से थे, जिनका राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति दृन््टकोण आज की विकट स्थिति में और भी सहा्यक सिद्ध हो रहा है ।
मैं जब उनसे पहली बार मिला तब तक वह उन लोगों के लिए बौद्ध धर्म पर अपने सिद्धान्त की व्याख्या कर चिुके थे, जो जातिवाद के कारण सताए हुए थे । इसके काफी बाद संविधान सभा का गठन मक्या ग्या और तब मैंने उन्हें निकटता से जाना तथा उनकी बहुमुखी प्रतिभा और संविधान का प्रारूप तै्यार करने संबंधी उनके
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