अपने उदघाटन भाषण में डा. वीरेंद् कुमार ने कहा कि सामाजिक समानता के बिना राष्ट्रीय विकास असंभव है । ्यह मचिंतन शिविर केवल समीक्ा बैठक नहीं है, बल्कि रचिनातमक संवाद, मवचिार-विमर्श और‘ विकसित भारत’ की दिशा में मंरिाल्य के प्र्यासों का आकलन करने के लिए सववोत्म तौर-तरीकों के आदान-प्रदान के लिए एक मिशन-केंमद्त मंचि है । इसका लक््य ्यह सुमनन््चित करना है कि जाति, आ्यु, क्मता, लिंग ्या पृ्ठभदूमि की परवाह किए बिना प्रत्येक नागरिक को सममान के साथ आगे बढ़ने के लिए समान अवसर मिलें । कल्याण से सशक्तिकरण तक की ्यारिा हमारी सामदूमहक जिममेदारी है और ्यह मंचि इस बात की आलोचिनातमक जांचि करने का अवसर प्रदान करता है कि हम कहां खड़े हैं और हम कहां जाना चिाहते हैं?
मवचिार-विमर्श का पहला दिन सशक्तिकरण के चिार प्रमुख सतंभों- शिक्ा, आर्थिक विकास,
सामाजिक सुरक्ा और सुलभता पर केंमद्त रहा । दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने दिव्यांगजनों के लिए छारिवृमत् और कौशल विकास एवं डिजिटल समावेशन जैसी ्योजनाओं के तहत हुई प्रगति की जानकारी दी । राज्यों ने मोबाइल मदूल्यांकन शिविर, समावेशी स्कूल बुमन्यादी ढांचिे और सुलभ परिवहन माडल सहित नवाचिारों
को साझा मक्या । चिचिाताओं में अधिक समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने के महतव पर प्रकाश डाला ग्या ।
मचिंतन शिविर-2025 में एक अलग सरि में वंमचित वगषों के लिए प्री-मैट्रिक और पोसट-मैट्रिक छारिवृमत् तथा पीएम-्यशसवी जैसी ्योजनाओं के तहत शैमक्क सशक्तिकरण पर ध्यान केंमद्त मक्या ग्या । राज्यों एवं केंद् शासित प्रदेशों ने नामांकन के उतसाहजनक रुझान की सदूचिना दी, लेकिन डिजिटल अनुप्र्योगों, सत्यापन प्रणामल्यों और ग्ामीण तथा आदिवासी क्ेरिों में आउटरीचि से जुड़ी चिुनौमत्यों की ओर भी ध्यान इंगित करा्या । मंरिाल्य ने राज्यों से समक्य संचिार रणनीति और समुदा्य-सतर पर लामबंदी अपनाने का आग्ह मक्या है । सरि में जमीनी सतर पर व्यावहारिक मुद्ों को साझा करने के साथ-साथ मवमभन् क्ेरिों से सुझाव और सह्योगातमक समाधान भी साझा किए गए ।
मचिंतन शिविर-2025 में मंरिाल्य की प्रमुख आजीविका-केंमद्त ्योजनाओं-पीएम-अज्य और एसईईडी- की समीक्ा की गई, जिसमें परिसंपमत् निर्माण, कलसटर विकास और उद्मिता समर्थन से जुड़े सफल माडल प्रदर्शित किए गए । राज्यों ने दिखा्या कि किस प्रकार ्यह ्योजनाएं समुदा्य-नेतृतव वाली संस्ाओं और क्मता निर्माण के माध्यम से अनुसदूमचित जामत्यों, अत््य
पिछड़ा वगषों और विमुकत जनजामत्यों के जीवन को बदल रही हैं । नमसते ्योजना की चिचिाताओं में प्रौद्ोमगकी, कानदूनी सुरक्ा उपा्यों और कौशल विकास के मिश्रण के माध्यम से सवचछता का्यता को आधुनिक बनाने और मैनुअल मैला ढोने की प्रथा को खतम करने के महतव को रेखांकित मक्या ग्या । निरंतर सह्योग और अंतर-एजेंसी समत्व्य के माध्यम से सफाई कमताचिारर्यों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए सममान और वित्तीय सवतंरिता सुमनन््चित करने पर चिचिाता की गई ।
एक अत््य विशेष सरि में नागरिक अधिकार संरक्ण अमधमन्यम और अत्याचिार निवारण अमधमन्यम के का्यातात्व्यन की समीक्ा की गई । जाति आधारित भेदभाव के पीमड़तों के लिए तेजी से जांचि, कानदून प्रवर्तन के प्रति संवेदनशीलता और मजबदूत कानदूनी सहा्यता की आवश्यकता पर जोर मद्या ग्या । मंरिाल्य ने जिला सतर पर पीमड़त-केंमद्त दृन््टकोण और अधिक जवाबदेही की आवश्यकता दोहराई । दो दिन तक हुई चिचिाताओं ने समावेशी शासन का एक पारिस्थितिकी तंरि बनाने के लिए मंरिाल्य की अटूट प्रतिबद्धता की पुन््ट की, जो करुणा, साक््य और हाशिए पर पड़े लोगों की वासतमवकताओं पर आधारित है ।
मचिंतन शिविर-2025 में देशभर के 34 राज्यों एवं केत्द्-शासित प्रदेशों और 19 मंमरि्यों ने
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