क्वर सटोरी
भाईचारे का कोई सन्ेश नहीं देता है इलिाम: डा. आंबेडकर
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भीमराव आंबेडकर ने इस कटु तथ्य को सवीकार करने का आग्ह मक्या था कि दुमन्या भर के लोगों को ्यह जान लेना चिाहिए कि इसलाम सम्पूर्ण मानवता के साथ भाईचिारे का सन्देश नहीं देता है । उनका भाईचिारा और बंधुतव केवल अपने पत््ावलन्मब्यों के लिए है । इसलाम में एक बंधुतव तो है, परन्तु उसका लाभ उन्हीं तक सीमित है, जो उस पंथ में है । जो पंथ से बाहर है उनके लिए इसमें घृणा और शरिुता को छोड़कर और कुछ नहीं है । इसके साथ ही इसलाम का एक दोष ्यह भी है कि वह सामाजिक सवशासन की पद्धति है, जो स्ानी्य सवशासन से मेल नहीं खाती है । डा. आंबेडकर के अनुसार इसलामी मवचिारधारा की सववोच्ता सभी समप्रदा्यों की एकता का ही विरोध करती है । किसी बहुसमप्रदा्य वाले समाज में, वह मन्चि्य ही सामात््य समता के मार्ग में अवरोध बनकर आएगा । संप्रदा्य का ऐसा दृन््टकोण आकामक विसतारवाद की प्रेरणा देता है ।
डा. आंबेडकर कहते है कि मुस्लिम मनोवृमत् तथा मुस्लिम मवचिार को ध्यान में रखकर देश के भविष्य के समबत्ध पर मवचिार करना होगा । मुस्लिम राजनीमतज् जीवन के धर्मनिरपेक् पहलुओं को अपनी राजनीति का आधार नहीं मानते, क्योंकि उनके लिए इसका अर्थ हिन्दुओं के विरुद्ध अपने संघर्ष में अपने समुदा्य को
24 ebZ 2025